अधिकांश पीड़ित वे है जो काम की तलाश में पलायन कर गुजरात और अन्य राज्य गए थे.
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दिल्ली: जहां पूरी दुनिया में आज के दिन एड्स जैसी बिमारी को रोकने के लिए पूरी कोशिशें की जा रही हैं वही भारत में एक छोटा सा जिला ऐसा भी है जहां 675 लोग एचआईवी पीड़ित हैं. संक्रामक बीमारी एड्स के रोकथाम के प्रति जागरूकता के लिए प्रति वर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है.
पश्चिमी मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के आदिवासी बहुल झाबुआ जिले में भी 675 एचआईवी पीड़ित है. चौकाने वाली बात यह है कि अधिकांश पीड़ित वे है जो काम की तलाश में पलायन कर गुजरात और अन्य राज्य गए थे. विश्व एड्स नियंत्रण कार्यक्रम शुरू होने के बाद से एड्स की रोकथाम के लिए काफी प्रयास किए जा रहे है. कई जागरूकता कार्यक्रम संचालित किये जा रहे है.
आंकड़ों की बात करें तो झाबुआ जिले में इस समय 675 मरीज एचआईवी (HIV) से पीड़ित है. जिसमें 435 पुरूष और 238 महिलाएं है. बीते एक वर्ष में 8 हजार 704 लोगों की जांच की गई जिसमें से 30 पुरूष और 20 महिलाएं एचआईवी पॉजिटिव निकले. एड्स नियंत्रण कार्यक्रम की शुरूआत से रोकथाम और जागरूकता के लिए जिले में सारा सेवा संस्थान नामक संस्था काम कर रहे है. संस्था द्वारा जुटाए गए आंकड़ों और सर्वे के अनुसार पीड़ित मरिजों में 338 मरीज ऐसे है जो काम की तलाश में अन्य राज्यों में पलायन कर गए थे.
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पर्याप्त पोषण न मिल पाना है मौत की वजह
सारा संस्था प्रमुख की माने तो अबतक 58 मरीजों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है, लेकिन इन मौतों के पीछे बहुत बड़ा कारण पीड़ित मरीज को पोषण न मिल पाना है. संस्था प्रमुख का दावा है कि एचआईवी पीड़ित मरीजों की आय बहुत कम है, जिसकी वजह से पर्याप्त पोषण नहीं ले पाए और उनकी मौत हो गई.
एचआईवी पीड़ित मरीजों के लिये सरकार ने एआरटी सेंटर बनाए है. जहां से वे दवाईयां ले सकते है, लेकिन झाबुआ में एआरटी सेंटर न होने के चलते मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. संस्था की ओर से कम उम्र के बच्चों को महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यक्रम और पीड़ित मरीजों के परिवारों को पीडीएस सिस्टम से जोड़े जाने की मांग की जा रही है. विश्व एड्स (AIDS) दिवस पर जिला एड्स नियंत्रण समिति द्वारा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाएगें. जागरूकता रैली के साथ कार्यशाला का भी आयोजन किया जाएगा.
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(इनपुट: सचिन जोशी)