दिल्ली हाई कोर्ट ने Delhi CM केजरीवाल के कोर्ट रूम वीडियो को सब जगह से डिलीट करने का क्यों दिया आदेश?
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दिल्ली हाई कोर्ट ने Delhi CM केजरीवाल के कोर्ट रूम वीडियो को सब जगह से डिलीट करने का क्यों दिया आदेश?

Delhi HC: दिल्ली हाई कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनीता केजरीवाल समेत छह लोगों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’, ‘मेटा’ और ‘यूट्यूब’ को नोटिस जारी किया है.

दिल्ली हाई कोर्ट ने Delhi CM केजरीवाल के कोर्ट रूम वीडियो को सब जगह से डिलीट करने का क्यों दिया आदेश?

Delhi HC on Arvind Kejriwal: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को दिल्ली हाई कोर्ट से झटका लगा है. अदालत ने सीएम केजरीवाल की पत्नी को कोर्ट रूम की रिकॉडिंग वीडियो को सोशल मीडिया के सभी प्लेटफॉर्म से हटाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई की याचिका पर सुनवाई के दौरान ये आदेश दिया है.

दिल्ली शराब नीति में कथित घोटाले के आरोप में जेल में बंद केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. 28 मार्च को जब केजरीवाल को राउज एवेन्यू स्थित स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया तो उन्होंने अपनी बात स्वंय रखी थी. इस दौरान उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड का मुद्दा उठाते हुए भाजपा पर निशाना साधा था. इस वीडियो को बाद में आम आदमी पार्टी के कई नेताओं ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर किया था. अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने भी अपने ट्विटर अकाउंट से कोर्ट रूम की इस रिकॉर्डिंग वीडियो को रिपोस्ट किया था.

कोर्ट ने क्यों वीडियो को हटाने का दिया आदेश?

कोर्ट रूम की इस रिकॉर्डिंग वीडियो के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए वकील ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल की पत्नी ने कोर्ट की कार्यवाही को गैरकानूनी तरीके से रिकॉर्ड किया और फिर इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया. याचिकाकर्ता ने यह भी दलील दी कि इससे कोर्ट की छवि को खराब करने की कोशिश की गई. याचिकाकर्ता वकील ने दावा किया कि कार्ट रूम की सुनवाई की वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करना  वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियम, 2021 के तहत प्रतिबंधित हैं.

याचिका में कहा गया था कि विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों समेत आम आदमी पार्टी के कई सदस्यों ने इरादतन और जानबूझकर अदालती कार्यवाही को बदनाम करने और उसे गलत तरीके से पेश करने के इरादे से इसकी ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग की तथा उसे सोशल मीडिया मंचों पर पोस्ट किया. याचिका में अदालत की कार्यवाही की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग करने और साझा करने के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान करने के खातिर गहन जांच करने के निर्देश देने का भी आग्रह किया गया था.

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