Radhika Sen: हिमाचल की बेटी ने कांगो में किया कुछ ऐसा, संयुक्त राष्‍ट्र भी थपथपाने लगा पीठ, हर भारतीय को होगा गर्व
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Radhika Sen: हिमाचल की बेटी ने कांगो में किया कुछ ऐसा, संयुक्त राष्‍ट्र भी थपथपाने लगा पीठ, हर भारतीय को होगा गर्व

Indian Army Major Radhika Sen: भारत की बेटियां अब किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है. वो पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर नाम रोशन कर रही हैं अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रही हैं. इसी कड़ी में हिमाचल की बेटी ने ऐसा काम किया कि हर तरफ उनकी चर्चा हो रही है. जानें कौन हैं राधिका सेन, पूरी दुनिया में हो रहा जिनका नाम, भारत की हर बेटियों को होगा नाज. 

Radhika Sen: हिमाचल की बेटी ने कांगो में किया कुछ ऐसा, संयुक्त राष्‍ट्र भी थपथपाने लगा पीठ, हर भारतीय को होगा गर्व

UN Military Gender Advocate Award:  मंजिल उन्हें मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसले से उड़ान होती है. किसी शायर की यह लाइनें बहुत लोगों ने पढ़ी और सुनी होंगी, लेकिन हिमाचल की बेटी राधिका सेना ने इसे खूब अच्छे से समझा है और साबित कर दिया है कि हौसले के दम पर आसमां भी हासिल हो सकता है.  दृढ़ संकल्प और हौसलों की मिसाल बनी राधिका को अंतरराष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्रीय शांति सैनिक दिवस पर प्रतिष्ठित सैन्य लिंग अधिवक्ता पुरस्कार (UN Military Gender Advocate of the year Award) से सम्मानित किया जाएगा. उन्हें यह सम्मान संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस देंगे. मेजर राधिका सेन कांगो में संयुक्त राष्ट्र मिशन में काम कर चुकी हैं. आइए जानते हैं कौन हैं राधिका सेन.

राधिका का 1993 में जन्म 
राधिका सेन का जन्‍म साल 1993 में हिमाचल प्रदेश में हुआ. वह बचपन से ही भारतीय सेना ज्‍वाइन करने का ख्‍वाब देखा करती थीं. राधिका सेन ने बायोटेक इंजीनियर की डिग्री ली है. आईआईटी बॉम्बे से मास्टर डिग्री कर रहीं थी तब आर्मी ज्वाइन करने का फैसला किया. राधिका सेन आठ साल पहले यानी 2016 में सेना में शामिल हुई थीं.

कांगो में की गईं तैनात
भारतीय सेना में भर्ती होने के बाद वह लगातार एक के बाद एक पायदान ऊपर बढ़ती गईं. उन्हें 2023 में भारतीय रैपिड डिप्लॉयमेंट बटालियन के साथ यूएन एंगेजमेंट प्लाटून कमांडर के रूप में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (मोनुस्को) में नियुक्त किया गया था, और उन्होंने अप्रैल 2024 में अपना कार्यकाल पूरा किया.

यूएन एंगेजमेंट प्लाटून में क्या मिली जिम्मेदारी
राधिका सेन ने बताया कि उनका एंगेजमेंट प्लाटून में होने का मुख्य उद्देश्य लोगों को कुछ अलग करने के लिए प्रेरित करना था. उन्होंने कहा, "किसी भी संघर्ष वाले इलाके में महिलाएं एवं लड़कियां ही असमान रूप से प्रभावित होती हैं." मेजर सेन ने आगे कहा कि उनका और उनकी टीम का प्रयास उन महिलाओं और लड़कियों तक पहुंचना था. उनसे उनकी परेशानियों को लेकर बात करना और उन परेशानियों से उन्हें बाहर निकालना था. यही उन्होंने कांगों में किया.

महिलाओं और लड़कियों के लिए किया काम
मेजर सेन ने कहा, "आज की दुनिया में यह बहुत महत्वपूर्ण है कि महिलाएं एक-दूसरे का समर्थन करें और समाज में मौजूद भेदभावपूर्ण मानदंडों से लड़ें. महिलाओं को सशक्त बनाने में रोजगार की अहम भूमिका है. इस दौरान पुरुषों को भी महिलाओं का समर्थन करना चाहिए." उन्होंने आगे कहा, "हम महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षा देते थे."

संयुक्त राष्ट्र से मिलेगा अवार्ड
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने गुटेरेस गुरुवार को राधिका सेन को 2023 मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड प्रदान करेंगे. इसे संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षकों के अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है. अभी संयुक्त राष्ट्र के लिए काम करने वाली महिला सैन्य शांतिरक्षकों में भारत का 11वां सबसे बड़ा योगदान है.
 

क्यों दिया जाता है ये अवार्ड
प्रतिष्ठित जेंडर एडवोकेट पुरस्कार साल 2000 के सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को बढ़ावा देने में एक पीस कीपर के प्रयासों को मान्यता देता है, जो महिलाओं और लड़कियों को संघर्ष वाले इलाकों में यौन हिंसा से बचाने का प्रयास करता है. सेन मेजर सुमन गवानी के बाद राधिकायह सम्मान पाने वाली दूसरी भारतीय पीस कीपर हैं. सुमन गवानी ने दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन के साथ काम किया था और 2019 में यह पुरस्कार प्राप्त किया था. संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में 6,063 भारतीय कर्मियों में से 1,954 मोनुस्को के साथ काम करते हैं, जिनमें से 32 महिलाएं हैं.

राधिका सेन एक रोल मॉडल
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बधाई देते हुए राधिका सेन को एक रोल मॉडल बताया. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, राधिका सेन ने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में संयुक्त राष्ट्र मिशन के साथ काम किया, जहां उन्होंने उत्तरी किवु में एक अलर्ट नेटवर्क बनाने में मदद की, जो समुदाय के लोगों, युवाओं और महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए आवाज उठाने के लिए एक मंच प्रदान किया. उन्होंने समर्पण की भावना के साथ महिलाओं और लड़कियों सहित संघर्ष-प्रभावित समुदायों का विश्वास जीता. सेन के सैनिकों ने उत्तरी किवु में बढ़ते संघर्ष के माहौल में उनके साथ काम किया.

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