UP Politics: लखनऊ से दिल्ली तक हलचल, क्या बीजेपी अध्यक्ष बनना चाहते हैं केशव प्रसाद मौर्य?
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UP Politics: लखनऊ से दिल्ली तक हलचल, क्या बीजेपी अध्यक्ष बनना चाहते हैं केशव प्रसाद मौर्य?

Keshav Prasad Maurya: यूपी बीजेपी (UP BJP rift) में मचे घमासान को लेकर पार्टी नेताओं का दावा है कि संगठन और सरकार में कहीं कोई दिक्कत नहीं है. इसके बावजूद आज सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने एक ट्वीट करके सनसनी फैला दी. अखिलेश के ट्वीट को केशव प्रसाद मौर्य के हालिया रुख से जोड़कर देखा जा रहा है.

UP Politics: लखनऊ से दिल्ली तक हलचल, क्या बीजेपी अध्यक्ष बनना चाहते हैं केशव प्रसाद मौर्य?

Keshav Prasad Maurya News: उत्तर प्रदेश बीजेपी और यूपी सरकार (UP BJP Vs UP Government) में तनातनी की खबरें फिर सुर्खियों में हैं. सीएम और डिप्टी सीएम के बीच तकरार और अंदरखाने मचे घमासान की खबरें भी थमने का नाम नहीं ले रही हैं. बदलापुर के बीजेपी विधायक रमेश चंद्र मिश्रा, बीजेपी MLC देवेंद्र प्रताप सिंह, सहयोगी संजय निषाद और अनुप्रिया पटेल भी योगी सरकार (Yogi Government) के कामकाज पर सवाल उठा चुके हैं. मिश्रा और सिंह सफाई दे चुके हैं. बीजेपी की सहयोगी नेता भी अपने-अपने हित देखते हुए मान जाएंगे. लेकिन लाख टके का सियासी सवाल अपनी जगह बना हुआ है कि आखिर केशव प्रसाद मौर्या क्या चाहते हैं?

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यूपी में लोकसभा चुनाव के बाद से बीजेपी में मची उथल-पुथल शांत होने का नाम नहीं ले रही. एक तरफ नेताओं की बयानबाजी को लेकर सरकार घिरी है तो दूसरी तरफ यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को लेकर तरह-तरह की अटकलबाजी चल रही है. 

बीजेपी की अंदरूनी कलह पर अखिलेश का मॉनसून ऑफर

यूपी बीजेपी के भीतर जारी कलह पर पूर्व सीएम और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने तंज कसा है. अखिलेश ने X पर लिखा, 'मानसून ऑफर: सौ लाओ, सरकार बनाओ!'

केशव प्रसाद मौर्य का 'हठ योग'

केशव प्रसाद मौर्य करीब हफ्तेभर से 'संगठन' और 'संगठन की ताकत' की माला जप रहे हैं. वो दिल्ली से लौटकर भी 'हठयोग' पर अड़े हैं. वो कहते हैं कि संगठन से बड़ा कोई नहीं, हालांकि इसमें कोई बुराई नहीं है, ये एक सामान्य बात है. लेकिन उनके इन बयानों की टाइमिंग पर सवाल जरूर उठ रहे हैं. दरअसल मौर्य न सिर्फ योगी को घेर रहे हैं, बल्कि ऐसा लगता है कि लोकसभा चुनाव में यूपी में पार्टी के खराब प्रदर्शन पर अपने हिस्से की जिम्मेदारी योगी सरकार पर डालकर बचने की कोशिश कर रहे हैं.

मौर्य, योगी 1.0 से अभी तक लगातार डिप्टी सीएम हैं. 2022 में अपनी ही सीट हारने के बावजूद पद पर कायम है. 2017 से 2022 के बीच PWD जैसे अहम मंत्रालय के साथ 4-4 विभाग संभालते रहे हैं, उनका अब सरकार को घेरना समझ से परे है, मानो वो डिप्टी सीएम न होकर प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे हों. 

मौर्य की नजर बीजेपी अध्यक्ष पद पर?

2017 में यूपी विधानसभा चुनाव के समय मौर्य बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे. उस समय कहा गया था कि योगी के CM बनने के बाद उन्हें प्रदेश में खुद को दूसरे नंबर के नेता की भूमिका के तौर पर स्वीकार करना यानी सीएम से सामंजस्य बिठाना मुश्किल काम लगा होगा. ऐसी बातों को दरकिनार करने के लिए मौर्य को डिप्टी सीएम बनाया गया था. आगे योगी के दूसरे कार्यकाल में ये कहा गया कि योगी की शक्तियों पर अंदरखाने अंकुश लगाने की कोशिश हुई, अगर ऐसा हुआ तो भी योगी ने एक बड़ी लकीर खींचते हुए चुनौती देने वाले नेताओं को सीमित कर दिया.

चार जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद साफ हुआ कि यूपी में बीजेपी की जातिगत सोशल इंजीनियरिंग फेल हो गई. OBC वर्ग में गैर-यादवों के बीच भी समाजवादी पार्टी को लेकर उत्साह देखा गया. नतीजों पर मंथन के दौरान OBC और दलितों को पार्टी कैडर के साथ और बेहतर तालमेल स्थापित कराने और राज्य पदाधिकारियों के बीच समान अवसर देने की जरूरत महसूस की गई.

इसके बाद ये कयास भी लगाए जाने लगे कि कहीं मौर्य की नजर अध्यक्ष पद पर नहीं है?  सूत्रों ने कहा कि जल्द ही यूपी बीजेपी सदस्यों की और बैठकें होने की उम्मीद है, जिसमें योगी की केंद्रीय अधिकारियों से मुलाकात भी शामिल है.

डेंट को कैसे हटा रही बीजेपी?

सीएम वर्सेज डिप्टी सीएम के इस 'महा-एपिसोड' पर बीजेपी के एक वरिष्ठ राष्ट्रीय नेता ने कहा कि पार्टी में लगातार चल रही संवाद की कवायद यूपी में लोकसभा चुनावों के पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए किसी को दोषी ठहराना नहीं है. वहीं ये भी सच है कि जहां- मौर्य ने यूपी की राज्य सरकार पर अपने हमले जारी रखे हैं, वहीं योगी आदित्यनाथ राज्य भर के नेताओं के साथ व्यक्तिगत रूप से या छोटे-छोटे समूहों में बैठकें कर रहे हैं. इन बैठकों की तस्वीरें मुख्यमंत्री कार्यालय के आधिकारिक हैंडल से पोस्ट की जा रही हैं. इस कवायद से योगी एक सूक्ष्म संदेश देते दिख रहे हैं कि राज्य इकाई से भी वो लगातार संपर्क में है और संगठन पर उनकी पकड़ भी किसी से कम नहीं है.

दरअसल जब मौर्य कहते हैं कि उन्हें पार्टी कार्यकर्ताओं का दर्द महसूस होता है, तो क्या वह डिप्टी सीएम नहीं हैं? क्या वो सरकार से बाहर हैं? क्या सरकार का मतलब सिर्फ सीएम होता है. डिप्टी सीएम के रूप में उन्हें बयानबाजी के बजाय उन्हीं कार्यकर्ताओं की चिंताओं के बारे में भी खुलकर बताते हुए उनकी डिमांड भी सबको खुले आम सार्वजनिक मंच से बतानी चाहिए थी.

क्या बोले योगी?

लखनऊ में राज्य कार्यकारिणी की बैठक में CM योगी ने कहा, 'जब हम ये मान के चलते हैं अति आत्म-विश्वास में कि हम तो जीत ही रहे हैं, तो स्वभाविक रूप से हमें नुकसान उठाना पड़ता है. जो विपक्ष चुनाव के पहले हिम्मत हार के हताश निराश था वो आज हम पर सवाल उठा रहा है. कोटा सिस्टम को लेकर ऐसा दुस्प्रचार किया गया कि हम आरक्षण खत्म करने जा रहे हैं. इसका भी नुकसान हुआ.' जब योगी ने ये कहा तो बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी वहां मौजूद थे.

केशव मौर्य का पक्ष

इसके बाद केशव मौर्य ने कहा, 'हमारे यहां संगठन हमेशा सरकार से बड़ा है. सभी मंत्रियों, विधायकों और जन प्रतिनिधियों को कार्यकर्ताओं का सम्मान देना चाहिए. मैं पहले कार्यकर्ता हूं और उसके बाद उप-मुख्यमंत्री. BJP के संस्कारों में संगठन को हमेशा सरकार के ऊपर प्राथमिकता दी जाती है. इसलिए सभी मंत्रियों, विधायकों और जन प्रतिनिधियों का दायित्व है कि वे कार्यकर्ताओं का सम्मान करें और उनके मान-सम्मान का पूरा  ध्यान रखें.'

सीएम और डिप्टी सीएम के बीच बढ़ते मतभेदों को सबके सामने ला दिया है. बात निकली तो फिर दूर तक गई.

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