Gyanvapi ASI Survey Report: ज्ञानवापी मस्जिद समिति का कहना है कि एएसआई की रिपोर्ट मुकदमे का एक भाग है, पूरी तरह ज्ञानवापी का फैसला नहीं है. ज्ञानवापी मस्जिद मुसलमानों की आस्था से जुड़ी हुई है.
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Gyanvapi Mosque: ज्ञानवापी मस्जिद समिति की ओर से एक बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने शुक्रवार (26 जनवरी) को कहा है, कि मस्जिद का ASI सर्वेक्षण सिर्फ एक रिपोर्ट है, कोई फैसला नहीं, जिसके बारे में हिंदू पक्ष के वकीलों का दावा है कि इसे पहले से मौजूद मंदिर के अवशेषों पर बनाया गया था. अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने कहा कि वे ASI सर्वेक्षण रिपोर्ट का अध्ययन कर रहे हैं, जिसके बाद वे कुछ कहेंगे.
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली समिति के सचिव मोहम्मद यासीन का कहना है, कि यह सिर्फ एक रिपोर्ट है, कोई फैसला नहीं. कई तरह की रिपोर्ट हैं. यह इस मुद्दे पर अंतिम शब्द नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय जब पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 से संबंधित मामले की सुनवाई करेगा तो वे (समिति) अपने विचार प्रस्तुत करेंगे. अधिनियम कहता है कि अयोध्या में राम मंदिर को छोड़कर किसी भी स्थान का ‘‘धार्मिक चरित्र’’ 15 अगस्त, 1947 को मौजूद स्थान से नहीं बदला जा सकता है.
मस्जिद हिंदुओं को सौंप देना चाहिए: गिरिराज
नवीनतम घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए, भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने शुक्रवार (26 जनवरी) को कहा कि मुसलमानों को ज्ञानवापी मस्जिद स्थल हिंदुओं को सौंप देना चाहिए. इसी दौरान उन्होंने कहा कि ऐसा कोई बयान नहीं दिया जाना चाहिए, जिससे सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़े.
काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मामले में हिंदू याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने बृहस्पतिवार (24 जनवरी) को दावा किया था, कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI ) के एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट से पता चलता है कि मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर के एक अवशेष पर किया गया था. हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि ASI रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है, कि काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित मस्जिद 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के शासनकाल के दौरान एक भव्य हिन्दू मंदिर के ध्वस्त होने के बाद अवशेषों पर बनाई गई थी. उन्होंने यह भी दावा किया कि सर्वेक्षण रिपोर्ट में उस स्थान पर मंदिर के अस्तित्व के पर्याप्त सबूत हैं, जहां अब मस्जिद है.
हिंदू याचिकाकर्ताओं में से एक राखी सिंह का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील मदन मोहन यादव ने कहा कि सर्वेक्षण के दौरान 32 स्थानों पर ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जो बताते हैं कि वहां मंदिर था. जैन ने दावा किया कि सर्वेक्षण के दौरान दो तहखानों में हिंदू देवताओं की मूर्तियों के मलबे पाए गए हैं, और ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण में स्तंभों (खंभों) सहित पहले से मौजूद मंदिर के कुछ हिस्सों का इस्तेमाल किया गया था. उन्होंने दावा किया कि मंदिर को तोड़ने का आदेश और तारीख पत्थर पर फारसी भाषा में है. साथ ही उन्होंने कहा, कि ‘‘महामुक्ति’’ लिखा हुआ एक पत्थर भी मिला है.
जैन ने यह भी दावा किया कि मस्जिद के पीछे की तरफ पश्चिमी दीवार पहले से मौजूद मंदिर की दीवार है. उन्होंने कहा कि दीवार पर एक ‘‘घंटा’’ और एक ‘‘स्वास्तिक’’ चिन्ह है. उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि तहखाने की छत नागर शैली के मंदिरों के स्तंभों पर रखी गई है. जैन ने दावा किया, ‘‘इन साक्ष्यों से पता चलता है कि जब 17वीं शताब्दी में औरंगजेब ने आदिविश्वेश्वर मंदिर को ध्वस्त किया था, तब वहां एक भव्य मंदिर पहले से मौजूद था.
जैन कहते है, कि वे वजू खाना के सर्वेक्षण के लिए अदालत में अपील करेंगे, जहां नमाज से पहले वजू किया जाता है. उन्होंने कहा कि वे रिपोर्ट के आधार पर छह फरवरी को अगली सुनवाई के दौरान अदालत के सामने सबूत रखकर अपना पक्ष रखेंगे. इससे पहले बृहस्पतिवार (24 जनवरी) को दिन में, हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों के कुल 11 लोगों ने काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी परिसर पर ASI सर्वेक्षण रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए अदालत में आवेदन किया था.
सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है, कि ‘‘मौजूदा संरचना में प्रयुक्त स्तंभों और भित्ति स्तंभों का व्यवस्थित और वैज्ञानिक तरीके से अध्ययन किया गया है. मस्जिद के विस्तार और निर्माण के लिए, स्तंभों सहित पहले से मौजूद मंदिर के कुछ हिस्सों को थोड़े से संशोधनों के साथ दोबारा उपयोग किया गया. गलियारे में खंभों के सूक्ष्म अध्ययन से पता चलता है, कि वे मूल रूप से पहले से मौजूद हिंदू मंदिर का हिस्सा थे.