Uttarakhand Tunnel Rescue Operation Live: ड्रिलिंग कर रही मशीन के प्लेटफॉर्म में आई गड़बड़ी, मजदूरों को निकालने में होगी देरी!
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Uttarakhand Tunnel Rescue Operation Live: ड्रिलिंग कर रही मशीन के प्लेटफॉर्म में आई गड़बड़ी, मजदूरों को निकालने में होगी देरी!

Uttarakhand Tunnel Collapse Update: Uttarakhand Tunnel Collapse Update: उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित सिलक्यारा में हुए टनल हादसे को हुए 11 दिन बीत चुके हैं. टनल में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.

Uttarakhand Tunnel Rescue Operation Live: ड्रिलिंग कर रही मशीन के प्लेटफॉर्म में आई गड़बड़ी, मजदूरों को निकालने में होगी देरी!

Uttarkashi Tunnel Rescue Update Live: राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) के महानिदेशक अतुल कर्कवाल ने सिलक्यार टनल में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर कहा कि ऑगर मशीन का काम दोबारा शुरू हो गया है. 6-6 मीटर की पाइप डाली जाएंगी. अगर कोई obstacle रास्ते में नहीं आता है तो आज ये काम पूरा हो जायेगा.

उत्तराखंड की निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए मलबे में की जा रही ड्रिलिंग के दौरान आई बाधा को दूर करने के बाद बृहस्पतिवार को फिर से बचाव अभियान शुरू कर दिया गया. अधिकारी बुधवार रात के दौरान बचाव अभियान के पूरा होने की संभावना देख रहे थे लेकिन मलबे की ड्रिलिंग के दौरान लोहे का सरिया आने से अभियान में कई घंटे की देरी हुई.

काट दिया गया लोहे का सरिया

मौके पर मौजूद प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने बताया कि मलबे में अमेरिकी ऑगर मशीन से की जा रही ड्रिलिंग के दौरान लोहे का सरिया आ गया था. हालांकि, उन्होंने कहा कि उसे गैस कटर के माध्यम से काट दिया गया है. इससे 57 मीटर मलबे को भेदे जाने के काम में करीब पांच-छह घंटे की देरी हुई जिससे बुधवार शाम को बने उत्साह के माहौल में थोड़ी कमी आ गयी.

इस बीच, बचाव कार्यों में समन्वय के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से नोडल अधिकारी बनाए गए सचिव नीरज खैरवाल ने यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया कि मलबे में 45 मीटर से आगे बढ़ने के दौरान बुधवार रात आए अवरोध के बाद 1.8 मीटर पाइप और अंदर चला गया है. उन्होंने बताया कि 45 मीटर के आगे ड्रिलिंग करने पर एक गर्डर ऑगर मशीन में अटक गया था जिससे मशीन का पुर्जा भी टूट गया था. खैरवाल ने बताया कि गर्डर को काटने के लिए ऑगर मशीन को पीछे लाना पड़ा और उसके विभिन्न हिस्से अलग करने पड़े जिसमें दो घंटे से ज्यादा समय लगा.

उन्होंने बताया कि सुरंग के अंदर जाकर विशेषज्ञों ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीम की सहायता से दो-ढ़ाई घंटे में सरिए काटे और अवरोध को खत्म किया. उन्होंने कहा, ‘अच्छी बात यह है कि इस सबके बाद भी पाइप 1.8 इंच और अंदर चला गया है.’ उन्होंने कहा कि इसके बाद ड्रिलिंग के दौरान मशीन ने दवाब महसूस किया है जिसके चलते पाइप को आगे ना बढ़ाकर उसकी जांच की जा रही है.

'हमारी उम्मीद और हौंसला बुलंद'

संवाददाता सम्मेलन में मौजूद राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने कहा, ‘हमारी उम्मीद और हौसला बुलंद है और हम चाहते हैं कि हम तेजी से अपना काम आगे बढ़ाएं.’

इस प्रकार अब तक 46.8 मीटर तक मलबे को भेदा जा चुका है जबकि 12-13 मीटर और भेदा जाना है. एक अन्य अधिकारी ने बताया कि 48 मीटर तक ड्रिलिंग की जा चुकी है. यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था और पिछले 11 दिनों से 41 श्रमिक उसके अंदर फंसे हुए हैं जिन्हें निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है. ऑगर मशीन से ड्रिलिंग कर उसमें छह-छह मीटर लंबे, 800 मिलीमीटर व्यास के पाइपों को जोड़कर श्रमिकों को निकालने का रास्ता बनाया जा रहा है.

अधिकारियों ने बताया कि एक बार पाइप मलबे के दूसरी ओर पहुंच जाए तो एनडीआरएफ के जवान उसमें जाकर श्रमिकों को एक-एक कर बाहर लाएंगे जिसके लिए पूर्वाभ्यास (मॉक ड्रिल) कर लिया गया है. श्रमिकों को पहिए लगे कम ऊंचाई के स्ट्रेचर पर लिटाकर रस्सियों की सहायता से बाहर लाया जाएगा. भास्कर खुल्बे ने कहा कि इस प्रक्रिया में भी तीन घंटे लगने की संभावना है. इस बीच, श्रमिकों को ऑक्सीजन, भोजन, पानी, दवाइयां तथा अन्य सामान सोमवार को डाली गयी पाइपलाइन के जरिए लगातार भेजा जा रहा है.

जनरल वीके सिंह भी मौके पर पहुंचे

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह और एनडीआरएफ के महानिदेशक अतुल करवाल भी बचाव कार्यों की समीक्षा करने के लिए सिलक्यारा पहुंचे. घटनास्थल पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी पहुंचे और उन्होंने सुरंग में पिछले 11 दिनों से फंसे श्रमिकों से बातचीत कर उनका हौसला बढ़ाया. इस दौरान उनके साथ केंद्रीय मंत्री भी मौजूद थे.

सुरंग में स्थापित ‘ऑडियो कम्युनिकेशन सेटअप’ के माध्यम से धामी ने श्रमिकों से बातचीत करते हुए उन्हें बताया कि राहत एवं बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है और बचावकर्मी उनके बहुत नजदीक पहुंच चुके हैं. धामी ने कहा, ‘हम करीब 45 मीटर (मलबे के जरिए) से आगे आ चुके हैं. पूरा देश आपके साथ खड़ा है. आप सभी लोग हौसला बनाएं रखें.’

मुख्यमंत्री ने दो श्रमिकों-गब्बर सिंह नेगी और सबा अहमद से श्रमिकों के बारे में पूछा और सबका मनोबल बनाए रखने के लिए उन दोनों की सराहना की. धामी ने बचाव अभियान में दिन-रात जुटे श्रमिकों से भी बात कर उनकी पीठ थपथपाई. इस बीच, सिलक्यारा में चल रहे बचाव अभियान के मद्देनजर निकटवर्ती मातली में अस्थायी रूप से मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय बना दिया गया है.

एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, बचाव अभियान के दौरान शासकीय कार्य भी प्रभावित न हों और अभियान की निगरानी भी बेहतर तरीके से हो, इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री का यह अस्थायी कैम्प कार्यालय स्थापित किया गया है. बुधवार शाम से मुख्यमंत्री उत्तरकाशी जिले में मौजूद हैं. उधर, मुख्यमंत्री ने बृहस्पतिवार को ईगास का पर्व भी न मनाने का निर्णय लिया और मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित कार्यक्रम को भी उन्होंने रद्द कर दिया.

रूड़की स्थित केंद्रीय खनन और ईंधन अनुसंधान संस्थान के तीन वैज्ञानिक मौके पर कार्यों का जायजा लेने पहुंच गए हैं. इसमें सुरंग विशेषज्ञ आर डी द्विवेदी भी शामिल हैं. अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने कहा, ‘इस समय ऐसा लगता है कि जैसे हम सामने के दरवाजे पर हैं और उस पर दस्तक दे रहे हैं. हम जानते हैं कि लोग दूसरी तरफ हैं.’

सुरंग से निकलते ही मिलेगी मेडिकल हेल्प

उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने कहा कि श्रमिकों के बाहर निकलने के बाद उन्हें तत्काल चिकित्सकीय सहायता प्रदान की जाएगी. उन्होंने कहा कि घटनास्थल से 30 किलोमीटर दूर चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 41 बिस्तरों का अस्पताल तैयार किया गया है. सुरंग के बाहर भी चिकित्सकों तथा उपकरणों से लैस एंबुलेंस तैयार खड़ी हैं.

एनडीआरएफ के महानिदेशक ने बताया कि सुरंग में फंसे श्रमिक ठीक है. उन्होंने कहा, ‘सुरंग में काम करने वाले लोग मानसिक रूप से दृढ़ होते हैं और इन लोगों को यह भी पता है कि उन्हें बाहर निकालने के लिए जबरदस्त प्रयास किए जा रहे हैं तो वे आशान्वित हैं.’

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