Uttarakhand Tunnel Update: सुरंग में 2 KM की जगह और 22 डिग्री तापमान, जानिए मजदूरों ने किन हालात में 17 दिन बिताए?
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Uttarakhand Tunnel Update: सुरंग में 2 KM की जगह और 22 डिग्री तापमान, जानिए मजदूरों ने किन हालात में 17 दिन बिताए?

Uttarakhand Tunnel Rescue Update: उत्तरकाशी की सुरंग में पिछले 17 दिन से फंसे 41 मजदूर आज रात तक निकल सकते हैं. उन मजदूरों ने 2 किमी की जगह और 22 डिग्री तापमान में ये दिन कैसे गुजारे, ये आपको जानना चाहिए. 

Uttarakhand Tunnel Update: सुरंग में 2 KM की जगह और 22 डिग्री तापमान, जानिए मजदूरों ने किन हालात में 17 दिन बिताए?

Uttarkashi Tunnel Rescue Update: करीब 17 दिन अंधेरे और ठंडी सुरंग में बिताने के बाद 41 मजदूर अब बाहर निकलने वाले हैं. इन 17 दिनों में मजदूरों ने जिन हालात में समय गुजारा, वह सबके बूते की बात नहीं है. अंदर फंसे मजदूरों को केवल अकेलेपन और ऑक्सीजन की कमी से ही जंग नहीं लड़नी पड़ी बल्कि निराशा और कभी भी मौत से सामना होने का डर भी उनके सामने हर वक्त मौजूद रहा. ऐसे में मनोचिकित्सकों ने लगातार उनके संपर्क में रहकर उन्हें हिम्मत दिलाई, जिससे वे इन कठिन हालात में भी सुरंग में मजबूत बने रहे.  

'2 किमी अंदर फंसे हैं मजदूर'

बचाव कार्य में लगे अधिकारियों के मुताबिक सुरंग (Uttarakhand Tunnel Rescue Update) में 2 किलोमीटर अंदर फंसे मजदूरों तक एक पतले पाइप के जरिए माइक भेजा गया था, जिससे बाहरी दुनिया से उन का संपर्क स्थापित हो सका और बचावकर्मी उनसे बातचीत कर पाए. सरकार की ओर से बचाव अभियान स्थल पर पहले दिन से ही डॉक्टरों की एक टीम तैनात की गई थी, जो अंदर फंसे हुए मजदूरों से दिन में दो बार बात करती रही. 

'दिन में 2 बार करते हैं बात'

मजदूरों को प्रेरित रखने में डॉक्टरों के साथ ही मनोचिकित्सकों का भी बड़ा रोल रहा. उन मजदूरों से सुबह 9 बजे से 11 बजे तक और शाम 5 बजे से 8 बजे तक रोज संपर्क करके बात की जाती थी. इसके साथ ही बाहर खड़े मजदूरों के परिवारों की उनसे बात करवाई जाती रही. उन परिजनों के लिए टनल के बाहर एक कैंप लगाया गया, जिसमें उनके रहने और खाने-पीने के तमाम इंतजाम मौजूद थे. 

'परिवार वालों की रोजाना काउंसलिंग'

मनोचिकित्सकों की काउंसलिंग की वजह से अंदर फंसे (Uttarakhand Tunnel Rescue Update) मजदूरों को भी अपने बाहर निकलने की उम्मीद बनी रही और वे पॉजिटिव बने रहे. ऐसे ही अंदर फंसे एक मजदूर थे सबा अहमद. जब भी उन के परिवार वाले फोन के जरिए उनसे संपर्क करते तो वे यही कहते कि घबराओ मत, हम ठीक हैं. सबा अहमद के  भाई नैय्यर अहमद कहते हैं कि ड्रिलिंग में रुकावट की वजह से बचाव अभियान में देरी हुई, इसके बावजूद काउंसलिंग की वजह से उनके भाई का मोरल ऊंचा रहा. 

'मजदूरों को मिल रही हर चीज'

कैंप के पास सुरंग निर्माण कंपनी की ओर से उपलब्ध कराए गए एक कमरे में रह रहे नैय्यर कहते हैं कि वे वे अपने भाई से दिन में दो बार बात करते हैं और यह भी सुनिश्चित करते हैं कि सबा की पत्नी और तीन बच्चे, जो बिहार के भोजपुर में हैं, उनसे बात करें. नैय्यर ने कहा, 'हम उन्हें प्रेरित करते रहते हैं. हम कभी भी कठिनाइयों और बाधाओं के बारे में बात नहीं करते हैं, बल्कि उन्हें बताते हैं कि वे जल्द ही बाहर आ जाएंगे. कर्मचारी अच्छा कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगभग हर आवश्यक वस्तु मिल रही है.'

'10 डॉक्टर रहेंगे स्टैंडबाय पर'

डॉ. बिमलेश जोशी, जो साइट पर मेडिकल टीम के एक नोडल अधिकारी हैं. वे कहते हैं कि बचाव अभियान जारी रहने तक उत्तरकाशी में कम से कम 10 और डॉक्टर स्टैंडबाय पर रहेंगे. इसके साथ ही मनोचिकित्सक और डॉक्टर लगातार परिवार के सदस्यों के संपर्क में हैं और जरूरत पड़ने पर उनकी काउंसलिंग करते रहते हैं ताकि वे कुछ ऐसा न कहें जिससे फंसे हुए श्रमिकों के दिमाग पर कोई नकारात्मक प्रभाव पड़े.

'भेजा जाता था ये भोजन'

मेडिकल टीम के एक अन्य वरिष्ठ डॉक्टर डॉ. प्रेम पोखरियाल बताते हैं, 'शुरुआत में, हमने उन्हें जूस और एनर्जी ड्रिंक दिया. लेकिन अब उन्हें उचित भोजन मिल रहा है. सुबह में, हम उबले अंडे, दूध, चाय और दलिया भेजते हैं और दोपहर और रात के खाने के लिए उन्हें दाल, चावल, चपाती और सब्जी मिलती है. उन्हें डिस्पोजेबल प्लेटें भी भेजी गई हैं.'

'मनोरंजन के किए इंतजाम'

डॉ. पोखरियाल के मुताबिक, 'उन्हें हाइड्रेटेड रखने के लिए, हमने उन्हें ओआरएस पावर पीने के लिए कहा, जो पहले ही भेजा जा चुका है. आई ड्रॉप, विटामिन की गोलियां और अन्य ऊर्जा पेय भी उन्हें भेजे गए हैं.' एक अधिकारी ने कहा कि टूथपेस्ट, ब्रश, तौलिया, कपड़े और अंडरगारमेंट्स, सभी उन्हें उपलब्ध कराए जा रहे हैं. फिल्मों और वीडियो गेम वाले मोबाइल फोन उन्हें दिए गए.

'ऐसे करते हैं टाइम पास'

डॉ. पोखरियाल ने कहा, 'मैं उनसे रोजाना बात करता हूं. अंदर फंसे मजदूरों (Uttarakhand Tunnel Rescue Update) को सोने के लिए सौभाग्य से, जियोटेक्सटाइल शीट के बंडल मिल गए, जो पहले से ही वहां अंदर पड़े हुए थे. वक्त गुजारने के लिए वे योग और व्यायाम करते हैं और सुबह- शाम सुरंग में टहलते हैं. जहां वे फंसे हैं, वह इलाका सुरंग में करीब दो किलोमीटर अंदर का है. जहां पर अभी तापमान 22 डिग्री सेल्सियस से 24 डिग्री सेल्सियस के बीच है. लिहाजा उन्हें ऊनी कपड़ों की जरूरत नहीं है.'

'24 घंटे बिजली के इंतजाम'

वे बताते हैं कि सुरंग (Uttarakhand Tunnel Rescue Update) में 24 घंटे बिजली के पूरे इंतजाम हैं. जब निर्माणाधीन सुरंग में मलबा गिरा तो उससे अंदर की बिजली डिसटर्ब नहीं हुई क्यों कि उसे दीवारों में मौजूद मजबूत पाइपों के जरिए अंदर पहुंचाया गया था. यही हालांकि ऑक्सीजन की थोड़ी दिक्कत रही, जिसे लगातार पाइप के जरिए सप्लाई करके अंदर रहने लायक माहौल बनाए रखा गया है. 

(एजेंसी पीटीआई)

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