US Russia Oil Import: प्रतिबंध गए 'तेल' लेने... भारत को ज्ञान देने वाला अमेरिका अब खुद रूस से मंगा रहा तेल
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US Russia Oil Import: प्रतिबंध गए 'तेल' लेने... भारत को ज्ञान देने वाला अमेरिका अब खुद रूस से मंगा रहा तेल

Russia Oil Import By US: भारत के रूसी तेल खरीदने पर अमेरिका खूब लेक्चर दे रहा था. प्रतिबंधों के बावजूद अमेरिका ने खुद भी रूस से तेल का आयात शुरू कर दिया है.

US Russia Oil Import: प्रतिबंध गए 'तेल' लेने... भारत को ज्ञान देने वाला अमेरिका अब खुद रूस से मंगा रहा तेल

Russia US News: यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिका ने रूस से तेल का आयात फिर शुरू कर दिया है. स्‍पतनिक ग्लोब की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर-नवंबर में US ने रूस से करीब 46 हजार बैरल तेल आयात किया. रिपोर्ट में अमेरिका के एनर्जी इंफॉर्मेशन एडमिनिस्‍ट्रेशन (EIA) के आंकड़ों का हवाला दिया गया है. EIA डेटा यह भी दिखाता है कि अमेरिका ने हर बैरल तेल के लिए रूस को प्रीमियम का भी भुगतान किया है. अमेरिका का यह कदम उसके अपने ही प्रतिबंध के खिलाफ है. मार्च 2022 में अमेरिका ने रूसी तेल, गैस और अन्य एनर्जी सोर्सेज के आयात पर रोक लगा दी थी. अक्टूबर-नवंबर में रूस से तेल का आयात करने के लिए अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय (OFAC) से खास लाइसेंस जारी कराया गया. यह एजेंसी प्रतिबंधों को लागू कराने पर नजर रखती है. OFAC ही वह एजेंसी है जो प्रतिबंधित लेन-देन की खातिर केस-बाई-केस बेसिस पर लाइसेंस जारी करती है.

अमेरिका को क्‍यों खरीदना पड़ा महंगा रूसी तेल

अमेरिका का प्रतिबंध के बावजूद रूसी तेल मंगाना उसके दोहरे रवैये को दिखाता है. पिछले साल जब यूक्रेन में युद्ध छिड़ा, उसके बाद तमाम पश्चिमी देशों ने भारत के रूस से तेल खरीदने पर मुंह बिदकाया था. भारत को नैतिकता का पाठ पढ़ाया जा रहा था. अब अमेरिका ने न सिर्फ प्रतिबंधित तेल खरीदा है, बल्कि उसके लिए ज्यादा कीमत भी चुकाई है.

EIA डेटा के अनुसार, अमेरिका ने अक्टूबर में $74 प्रति बैरल की दर से और नवंबर में $76 प्रति बैरल की दर से तेल खरीदा. यह कीमत अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा 2022 में तय किए गए $60 के 'प्राइस कैप' से कहीं ज्यादा है. यह प्राइस कैप अमेरिका, G7 देशों, यूरोपियन यूनियन, स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने तेल निर्यात के जरिए रूस की आय कम करने की नीयत से लगाया था. 

अमेरिका ने रूस से तेल का आयात दोबारा शुरू करने का कोई कारण नहीं दिया. हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स ने कहा कि शायद ग्लोबल एनर्जी संकट, चीन के साथ तनाव और यूक्रेन मामले के चलते अमेरिका को ऐसा फैसला करना पड़ा हो.

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