मोदी लहर में बीजेपी हार गई ये सीट, बसपा सांसद को पाले में लाने में जुटी भाजपा क्या 2024 में पलटेगी बाजी
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मोदी लहर में बीजेपी हार गई ये सीट, बसपा सांसद को पाले में लाने में जुटी भाजपा क्या 2024 में पलटेगी बाजी

Lalganj Lok Sabha Chunav 2024: लालगंज लोकसभा सीट बीजेपी के लिए कठिन सीटों में से एक है. भाजपा अब तक इस सीट पर एक बार ही जीत का परचम लहरा पाई है. 2019 में भी बीजेपी को यहां हार का सामना करना पड़ा था. 

UP Lok sabha Election 2024

Lalganj Lok Sabha Chunav 2024: आजमगढ़ जिले में एक आजमगढ़ और दूसरी लालगंज लोकसभा सीट है. लोकसभा चुनाव से पहले इस सीट को लेकर सियासी सरगर्मियां बढ़ी हुई हैं. प्रत्याशी टिकट की जुगत में जुटे हुए हैं. इस सीट पर मौजूदा समय में बसपा का कब्जा है. यहां से संगीता आजाद सांसद हैं. आइए देखते हैं इस सीट का सियासी गणित कैसा है. 

2024 लोकसभा चुनाव में कौन प्रत्याशी ( Lalganj Sabha Chunav 2024 Candidate)
बीजेपी - नीलम सोनकर 
सपा-कांग्रेस गठबंधन - दरोगा प्रसाद सरोज
बसपा - घोषित नहीं

'राम' नाम वालों को मिली ज्यादातर जीत
लालगंज के चुनावों में एक दिलचस्प बात है. 1962 से 2014 तक हुए 14 लोकसभा चुनावों में यहां से ज्यादातर ऐसे प्रत्याशी जीते. जिनके नाम में राम लगा हुआ था. हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी की नीलम सोनकर यहां से चुनाव जीतकर संसद पहुंची थीं.

1962 में हुए पहले चुनाव
लालगंज सीट पर पहली बार 1962 में चुनाव हुए थे. यहां से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के विश्राम प्रसाद चुनाव जीते थे. उसके बाद 1967 व 71 में यहां से कांग्रेसी उम्मीदवार रामधन राम लगातार जीते थे. इमरजेंसी के बाद देशभर में चुनाव हुए तो रामधन यहां से भारतीय लोकदल के टिकट पर खड़े हुए और जीत दर्ज की. इसके बाद 1980 में भी यह सीट जनता पार्टी के पास रही, यहां से छंगुर राम जीते. 1984 और 1989 के चुनाव में यहां से कांग्रेस के टिकट पर फिर रामधन राम जीते.

1996 में बसपा का खुला खाता
1989 में रामधन पाला बदलकर फिर जनता दल में गये और जीते. 1991 में राम बदन राम यहां से जनता दल से फिर चुनाव जीते. 1996 में इस सीट पर पहली बार बीएसपी का खाता खुला और पार्टी उम्मीदवार डॉ. बलिराम जीते. 1998 में सपा के दरोगा प्रसाद सरोज. 1999 में डॉ. बलिराम ने फिर जीत हासिल की. 2004 में दरोगा प्रसाद सरोज ने बाजी मारी. 2009 में डॉ. बलिराम फिर जीते. 

2014 में पहली बार खुला बीजेपी का खाता
वर्ष 2014 में पहली बार इस सीट पर बीजेपी का खाता खुला था. मोदी लहर ने इस सीट पर कमाल किया था, पार्टी की प्रत्याशी नीलम सोनकर ने पार्टी का झंडा इस सीट पर लहराया. बीएसपी की तरफ से पूर्व सांसद डॉ. बलिराम उम्मीदवार थे. 2019 में यह सीट एसपी-बीएसपी गठबंधन में बीएसपी के खाते में आ गई, जहां से बीएसपी ने संगीता आजाद को प्रत्याशी बनाया गया था. सुरक्षित सीट लोकसभा लालगंज से वर्ष 2019 में गठबंधन प्रत्याशी संगीता आजाद ने भाजपा की प्रत्याशी पूर्व सांसद नीलम सोनकर को 1,61,597 मतों से हराया था.

लालगंज सीट के जातीय समीकरण
लालगंज लोकसभा सुरक्षित सीट है, इस सीट में कुल 5 विधानसभाएं आती हैं. जिसमें अतरौलिया, निजामाबाद, फूलपुर पवई, दीदारगंज और लालगंज है. लोकसभा लालगंज की बात की जाये तो यहां करीब 19 लाख 76 हजार मतदाता हैं. जाति समीकरण देखा जाय तो यादव मुसलमानों और दलित वोटर निर्णायक संख्या हैं. 

मुस्लिम वोटर करीब 2.5 लाख, यादव 2 लाख, राजभर 1 लाख 20 हजार, खटीक 1 लाख 20 हजार, पासी 1 लाख 30 हजार, वैश्य 80 हजार, अन्य ओबीसी 3 लाख, अन्य अनुसूचित जाति के वोटरों की अनुमानित संख्या कीरब 1 लाख है. समय-समय पर यह अपने वोटों से सीट पर बदलाव करते रहे है. तीन विधानसभा में अतरौलिया फूलपुर और निजामाबाद में मुस्लिम और यादव बाहुल्य है, जबकि लालगंज और मेंहनगर विधानसभा में दलित बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है. 

टिकट की जुगत में जुटे दावेदार
लालगंज जिलाध्यक्ष के अनुसार भाजपा से पूर्व सांसद नीलम सोनकर का नाम शामिल है, सपा के संभावित दावेदारों में  दरोगा प्रसाद सरोज, कुंवर फतेह बहादुर, बसपा से डॉ. बलिराम, सांसद संगीता आजाद समेत कई दावेदारों के नाम हैं. हालांकि देखना होगा पार्टी किन चेहरों को मैदान में उतारती है.

क्या हैं प्रमुख मुद्दे
लालगंज लोकसभा में अगर मुद्दों की बात की जाए तो यहां पर ट्रेन की सुविधा बढ़ाने व विकास प्रमुख है, लंबे समय से रेलवे की मांग रही लेकिन अभी तक पूरी नहीं हो पाई है. हालांकि वर्तमान सांसद द्वारा मांग की जा रही है. 

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