क्या है अनुच्छेद 164 (4) जिसके चलते हार के बावजूद पुष्कर सिंह धामी दोबारा बनेंगे उत्तराखंड के सीएम
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क्या है अनुच्छेद 164 (4) जिसके चलते हार के बावजूद पुष्कर सिंह धामी दोबारा बनेंगे उत्तराखंड के सीएम

उत्तराखंड की राजनीति और राजनेताओं का सियासी सफर हमेशा से ही उतार चढ़ाव और ढेरों सस्पेंस से भरा रहता है.

क्या है अनुच्छेद 164 (4) जिसके चलते हार के बावजूद पुष्कर सिंह धामी दोबारा बनेंगे उत्तराखंड के सीएम

देहरादून: उत्तराखंड की राजनीति और राजनेताओं का सियासी सफर हमेशा से ही उतार चढ़ाव और ढेरों सस्पेंस से भरा रहता है. 2022 के सियासी संग्राम में अपनी सीट खटीमा से हारने के बाद पुष्कर सिंह धामी के दोबारा मुख्यमंत्री बनने की संभावना कम दिख रही थी. लेकिन देवभूमि के दंगल में हमेशा की तरह फिर सियासी दांव देखने को मिला. जिसने पुष्कर सिंह धामी के दोबारा सीएम ना बन पाने की सभी अटकलों को पटखनी दे दी. 

लेकिन सवाल यह है कि जब पुष्कर सिंह धामी अपनी सीट से ही हार गए तो अब उन्हें विधायक दल का नेता यानी कि मुख्यमंत्री कैसे चुन लिया गया. दरअसल दुनिया के सबसे बड़े लिखित भारतीय संविधान में अनुच्छेद है 164 (4) ऐसा है, जिसके तहत अगर कोई नेता विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर पाने में असफल रहता है तो भी उसे मुख्यमंत्री या मंत्रिमंडल का सदस्य यानी कैबिनेट मंत्री चुना जा सकता है. 

क्या कहता है आर्टिकल 164 (4) 
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 164 (4) मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 164 (4) के तहत अगर किसी को बगैर विधानपरिषद या विधानसभा चुनाव जीते मंत्री अथवा मुख्यमंत्री बना दिया जाए तो 6 महीने के अंदर उसके लिए विधानसभा या विधान परिषद चुनाव जीतना अनिवार्य है. अगर वो ऐसा नहीं कर पाता है तो 6 महीने बाद  उसका कार्यकाल स्वत: ही समाप्त हो जाता है, और उसे पद से त्यागपत्र देना पड़ता है. 

देवभूमि के 'दंगल' में पहले भी लग चुका है अनुच्छेद 164 (4) का दांव 
उत्तराखंड के सियासी संग्राम में 2022 के चुनाव से पहले भी अनुच्छेद 164 (4) का दांव लगाया जा चुका है. दरअसल उत्तराखंड विधानसभा के पिछले कार्यकाल की बात करें तो 5 वर्षों में तीन मुख्यमंत्रियों का शासन रहा. सबसे पहले बीजेपी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को राज्य की बागडोर सौंपी, लेकिन उत्तराखंड बीजेपी में गुटबाजी और त्रिवेंद्र सिंह के खिलाफ बढ़ते रोष के चलते 2021 में केंद्रीय नेतृत्व ने तीरथ सिंह रावत को सीएम बना दिया. 

तीरथ सिंह रावत उस समय विधानसभा के सदस्य नहीं थे और अनुच्छेद 164 (4) के अनुसार 6 महीने के अंदर विधानसभा की सदस्यता लेना उनके लिए अनिवार्य था, लेकिन कोरोना काल के चलते राज्य में चुनाव नहीं कराया जा सका, जिसके चलते तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा, और पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड की बागडोर सौंपी गई. 

धामी को मिलेगी सत्ता तो फिर किसका कटेगा पत्ता 
अनुच्छेद 164 (4) के अनुसार विधायक दल का नेता चुने जाने पर पुष्कर सिंह धामी को आने वाले 6 महीने में विधानसभा सदस्यता लेनी होगी. इसके लिए किसी अन्य विधायक को अपनी विधानसभा सीट से त्यागपत्र देना होगा ताकि खाली हुई सीट पर उप-चुनाव हों और पुष्कर सिंह धामी उस सीट पर जीत हासिल कर मुख्यमंत्री पद पर 6 महीने बाद भी काबिज रह सकें.

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