कमेटी को क्या-क्या सुविधाएं दी जाएंगी, इसके लिए भी गाइडलाइंस जारी की गई है. कमेटी के स्टाफ के लिए वेतन की सुविधा तय की गई है. दिल्ली में जिम्मेदारी स्थानीय आयुक्त और देहरादून में राज्य संपत्ति विभाग को दी गई है. इसी तरह से समिति का खर्चा गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय वहन करेगा. सबसे प्रमुख बात है कि 2022-23 के बजट में प्रदेश सरकार ने कुल 5 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.
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राम अनुज/देहरादून: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की तैयारियां तेज हो गई है. प्रदेश सरकार ने रिटायर जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है. जिसकी गाइडलाइंस भी जारी हो गई है, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की तरफ से आदेश में कहा गया है कि कमेटी कानून का मसौदा तैयार करेगी.
कमेटी को सुविधाओं के लिए जारी की गईं गाइडलाइंस
कमेटी को क्या-क्या सुविधाएं दी जाएंगी, इसके लिए भी गाइडलाइंस जारी की गई है. कमेटी के स्टाफ के लिए वेतन की सुविधा तय की गई है. दिल्ली में जिम्मेदारी स्थानीय आयुक्त और देहरादून में राज्य संपत्ति विभाग को दी गई है. इसी तरह से समिति का खर्चा गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय वहन करेगा. सबसे प्रमुख बात है कि 2022-23 के बजट में प्रदेश सरकार ने कुल 5 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.
2022 के विधानसभा चुनाव में सीएम धामी ने लागू करने का किया था ऐलान
2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड में कॉमन सिविल कोड को लागू करने का ऐलान किया था. तब से लेकर सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं. मगर जिस तरह से प्रदेश सरकार काम कर रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले 6 महीने में कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप सकती है, इसी के आधार पर काम किया जाएगा.
6 महीने में मसौदा तैयार करेगी कमेटी
माना जा रहा है कि कमेटी के रिपोर्ट के आधार पर सरकार प्रदेश से यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करेगी. मगर जिस रफ्तार के साथ काम हो रहा है, इससे उम्मीद की जा रही है कि आने वाले 6 महीने में यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट का मसौदा पूरी तरह से तैयार हो जाएगा. देखना होगा कि इस कमेटी की रिपोर्ट में क्या क्या तथ्य सामने आते हैं.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि कमेटी की प्राइमरी सर्वे में कई बातें सामने आई है कि अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होता है तो तकरीबन 20 से 30 फ़ीसदी घरेलू मामले कोर्ट में जाने के पहले ही समझ जाएंगे और इससे लोगों को काफी फायदा मिलेगा.
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