Maha Kumbh 2025: अगर आपकी भी महाकुंभ में स्नान की इच्छा है और वह नहीं पूरी हो पा रही है तो शास्त्र में इसके लिए भी व्यवस्था की गई है. घर पर स्नान से पहले मंत्रों का जाप या उच्चारण आपको कुंभ का पुण्य देगा.केवल इन मंत्रों का उच्चारण से घर में ही गंगा स्नान का लाभ लिया जा सकता है.
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Maha Kumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन चल रहा है. संगमनगरी में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा हुआ है. 144 साल के बाद बने इस अद्भुत संयोग में हर किसी की इच्छा होगी कि वह भी इस आयोजन का हिस्सा बने और त्रिवेणी के जल में स्नान कर खुद को पवित्र करे. सभी के लिए यह संभव नहीं है. कुछ लोग चाहकर भी इसका हिस्सा नहीं बन पा रहे. अगर आप भी इन लोगों में शामिल हैं तो निराश होने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है. शास्त्रों में इस बात का जिक्र किया है कि आप घर भी कुंभ स्नान का लाभ ले सकते हैं. इसके लिए आपको पूरे मनोभाव से मंत्रों का जाप करना है. वेद पुराणों और धर्म शास्त्रों में गंगा नदी की स्तुति और आह्नान के लिए कुछ ऐसे मंत्र हैं, जिनके उच्चारण और वाचन से हर क्षेत्र गंगा तीर्थ हो जाता है और हर जल गंगा जल बन जाता है. आइए जानते हैं इन मंत्रों के बारे में.
इन मंत्रों का उच्चारण करें और घर में ही लें गंगा स्नान का लाभ
संगम तीर्थ क्षेत्र में गंगा-यमुना और सरस्वती का संगम है. इसलिए तीर्थराज प्रयाग की महिमा भी है. इसके अलावा गंगा की ही भांति इन सभी की नदियों की उत्पत्ति अलग-अलग काल में ब्रह्मदेव के कमंडल से ही हुई है और इन्हें सप्त धारा कहा जाता है.इन सभी नदियों के ध्यान का मंत्र बहुत प्रभावी है जो स्नान के जल को गंगा जल और त्रिवेणी का बना देता है. इसलिए स्नान से पहले इस मंत्र का उच्चारण करें.
1- गंगां वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतं ।त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु मां ।।
अर्थ-जो पापों को हरने वाली है. ऐसी मां गंगा मेरे भी पापों को हर लें. इस मंत्र को पढ़ने और स्नान करने से मां गंगा आपके पास स्थित जल स्त्रोत में शामिल हो जाएंगीं.
2- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती ।नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु ॥
अर्थ-गंगा मां से कीजिए प्रार्थना इसी तरह गंगा स्त्रोत से लिया गया गांगेय श्लोक भी बहुत पवित्र है. इस श्लोक मंत्र में मां गंगा कि पवित्रता का वर्णन किया गया है और उनसे अपने पापों से मुक्ति मांगने की प्रार्थना की गई है.
3-गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानां शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोके स गच्छति॥
अर्थ- अगर वह गंगा तट पर आने में सक्षम न हो तो मां गंगा उसके पास जाती हैं और उसे पापमुक्त और शीतलता प्रदान करती हैं. यह श्लोक मंत्र स्नान करते समय जरूर पढ़िए.
4- गंगा तव दर्शनात् मुक्ति
स्नान करते समय मां गंगा का एक सबसे छोटा सा और महत्वपूर्ण मंत्र का अगर वाचन किया जाए तो आपके जल पात्र का जल ही गंगाजल बन जाता है और इसका स्नान कुंभ स्नान जैसा ही फल देता है.
5-गंगा नदी हैं मुक्ति का मार्ग गंगा नदी का दर्शन मात्र ही मुक्ति का मार्ग है. स्नान कर लेना तो सारे कर्म के बंधन काट लेना है. वहीं मां गंगा का स्मरण कई पुण्यों का भागी बनाता है.
डिस्क्लेमर लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.
महाकुंभ के पवित्र गंगाजल का घर में कहां रखें, इस दिशा में रखेंगे तो होगी बरकत