केदारनाथ आपदा के 9 साल पूरे: हजारों को बहा ले गई थी मंदाकिनी, रोंगटे खड़े कर देती हैं त्रासदी की यादें
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केदारनाथ आपदा के 9 साल पूरे: हजारों को बहा ले गई थी मंदाकिनी, रोंगटे खड़े कर देती हैं त्रासदी की यादें

इस जलप्रलय से साल 2013 में सबसे ज्यादा नुकसान केदारनाथ धाम को हुआ था...बीते कई सालों तक जगह-जगह दबे हुए शव मिलते रहे...तबाही इतनी ज्यादा थी. रेस्क्यू कार्य करने में महीनों लग गए...केदारनाथ में तीर्थ यात्रियों का सैलाब उमड़ने से नए रिकार्ड बने हैं. 

केदारनाथ आपदा के 9 साल पूरे: हजारों को बहा ले गई थी मंदाकिनी, रोंगटे खड़े कर देती हैं त्रासदी की यादें

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में 16-17 जून 2013 की वो तारीख, जिसने उत्तराखंड को तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. आसमानी आफत ने केदार घाटी समेत पूरे उत्तराखंड में बर्बादी के वो निशान छोड़े, जिन्हें अब तक नहीं मिटाया जा सका. लगातार 9 सालों के प्रयासों के बाद से केदारनाथ धाम की यात्रा फिर से सुचारू रूप से शुरू हो गई है. प्रलय से प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्निर्माण पर 2700 करोड़ रुपये खर्च हुए.

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आपदा से उबरी केदारपुरी
केदारनाथ में तीर्थ यात्रियों का सैलाब उमड़ने से नए रिकार्ड बने हैं. आपदा से अब केदारपुरी पूरी तरह उबर चुकी है. विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद कम समय में ही पुनर्निर्माण कार्य पूरे हुए हैं. मंदाकिनी और सरस्वती नदी में बाढ़ सुरक्षा कार्य किए गए हैं. धाम में पहले के मुकाबले अब तीर्थ यात्रियों को काफी बेहतर सुविधाएं सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जा रही हैं. आपदा के बाद केदारनाथ के लिए हेली सेवा का क्रेज काफी बढ़ गया है. वर्तमान में 9  हेली कंपनियों को केदारनाथ के लिए उड़ान भरने की परमीशन दी गई है.

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भीम शिला ने किया मंदिर को सुरक्षित
ऐसा कहा जाता है मंदिर के ठीक पीछे ऊपर से बहकर आए एक बड़े पत्थर ने बाबा के मंदिर को सुरक्षित कर दिया था. आज उस पत्थर को भीम शिला के नाम से जाना जाता है.

आपदा के जख्म बरसी पर हो जाते हैं ताजा
साल 2013 में केदारनाथ धाम में आई विनाशकारी आपदा में लापता हुए लोगों का दर्द आज भी उनके परिजनों के चेहरों पर साफ दिखाई देता है. हालांकि आपदा के नौ साल बीत गए हैं लेकिन इस आपदा के जख्म, आपदा की बरसी पर फिर से ताजे होते चले जाते हैं. इस भीषण आपदा में अब भी 3,183 लोगों का कोई पता नहीं चल सका है.

अब तक इतने लोग लापता
इस जलप्रलय से साल 2013 में सबसे ज्यादा नुकसान केदारनाथ धाम को हुआ था. बीते कई सालों तक जगह-जगह दबे हुए शव मिलते रहे. तबाही इतनी ज्यादा थी. रेस्क्यू कार्य करने में महीनों लग गए. अपनों की तलाश में लोग दर-दर भटकते रहे. केदारनाथ धाम में आई विनाशकारी आपदा में लापता हुए लोगों का दर्द आज भी उनके परिजनों के चेहरों पर साफ दिखाई पड़ता है.

हेलीकॉप्टर हादसे में 23 की मौत
केदार आपदा के बाद रेस्क्यू के दौरान केदारनाथ में हेलीकॉप्टर हादसे भी हुए. इन हादसों में वायु सेना के जवानों से लेकर यात्रियों ने अपनी जान गंवाई थी. साल 2013 की केदारनाथ आपदा के दौरान भी रेस्क्यू करते हुए वायु सेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर समेत तीन हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुए थे. इन दुर्घटनाओं में कुल 23 लोगों की मौत हुई.

केदारनाथ का स्वरूप पूरी तरह बदला
केदारनाथ त्रासदी को नौ साल पूरे हो चुके हैं और इस कालखंड में केदारनाथ का स्वरूप पूरी तरह बदल चुका है. अब तीर्थ यात्री पहले के मुकाबले कई गुना अधिक उत्साह से बाबा के दर्शनों और केदारपुरी के दिव्य और भव्य स्वरूप को निहारने आ रहे हैं. दर्शनार्थियों की संख्या इन नौ सालों दोगुनी से  भी ज्यादा हो गई है. सरकार ने केदारपुरी को आपदा की दृष्टि से काफी सुरक्षित बना दिया है. केदारनाथ धाम के चारों ओर सुरक्षा की दृष्टि से त्रिस्तरीय सुरक्षा दीवार का निर्माण किया गया है.

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मौत का सटीक आंकड़ा आज तक नहीं मिला
केदारनाथ आपदा में कितने लोगों की जान गई इसका भी सटीक आंकड़ा किसी के पास नहीं है, लेकिन हजारों लोगों की मरने की सूचना पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज है. भारत के ही नहीं बल्कि विदेश के लोगों ने भी अपनी जान गंवाई थी. आपदा को नौ साल बीत चुके हैं, लेकिन आज भी कुछ सवाल जिंदा हैं.

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