खेतों में खड़ी फसल को आवारा पशुओं से बचाने के लिए किसान कई बार कटीले तार का घेरा लगाते हैं. लेकिन इससे पशुओं के जख्मी होने की घटनाएं सामने आई हैं. ऐसे में अब प्रदेश सरकार ने खेतों में कंटीले तार लगाने पर एक बार फिर रोक लगा दी है.
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लखनऊ: प्रदेश में किसान अब अपने खेतों में कटीले तार नहीं लगा सकेंगे. उत्तर प्रदेश सरकार ने इस संबंध में एक आदेश पारित किया है. इसके तहत खेतों की बाड़ लगाने के लिए कांटेदार या ब्लेड के तार का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. कंटीले तारों की जगह आदेश में कहा गया है कि किसान अपने खेत को सुरक्षित करने के लिए सादे तार या रस्सी का इस्तेमाल करें. यह फैसला गौ सेवा आयोग की एक बैठक के बाद लिया गया था. जहां यह चर्चा की गई थी कि कांटेदार तार की बाड़ जानवरों को घायल कर रही हैं.
गौसेवा आयोग ने लिया था संज्ञान
अतिरिक्त मुख्य सचिव (पशुपालन) रजनीश दुबे द्वारा सभी जिलाधिकारियों को लिखे पत्र में कहा गया है कि 7 अगस्त 2017 को गौ सेवा आयोग की बैठक के बाद सभी जिलाधिकारियों को दो निर्देश जारी किए गए. पहला 16 मार्च 2018 को और फिर 13 जुलाई 2021 को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि किसान अपने खेतों में बाड़ लगाने के लिए कांटेदार तारों का उपयोग न करें. इसके बजाय उन्हें इस उद्देश्य के लिए रस्सियों या साधारण तारों का उपयोग करने की सलाह दी गई.
उल्लंघन करने वालों पर होगी कार्रवाई
नए आदेश में कहा गया कि मवेशियों की सुरक्षा के मद्देनजर किसानों द्वारा कांटेदार तारों के उपयोग को प्रतिबंधित किया गया है. इन्हें एक ऐसी प्रणाली से बदला जाना चाहिए जो जानवरों को नुकसान न पहुंचाए. जिलाधिकारियों को आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए."
मेनका गांधी ने उठाया था मुद्दा
एक महीने पहले भाजपा सांसद मेनका गांधी ने भी इस संबंध में एक पत्र लिखा था. उन्होंने कहा कि लगभग 3 लाख आवारा मवेशी अभी भी खुले में घूम रहे हैं और सरकार मार्च 2023 तक उन्हें पशु आश्रयों में लाने के लिए समानांतर अभियान चला रही है. इन शेल्टरों में पहले से ही करीब आठ लाख आवारा मवेशी हैं. नोटिस में आगे कहा गया है कि सभी जिला मुख्यालयों में 24 घंटे का पशु चिकित्सालय चालू होना चाहिए. इन अस्पतालों में बारी-बारी से पशु चिकित्सकों और कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति की जाए.