Uttar Pradesh ने देश को दिए कितने राष्ट्रपति? चुनाव में निभाता है महत्वपूर्ण भूमिका, जानें
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Uttar Pradesh ने देश को दिए कितने राष्ट्रपति? चुनाव में निभाता है महत्वपूर्ण भूमिका, जानें

यूपी से अब तक महज दो राष्ट्रपति चुने गए हैं. जिनके नाम डॉ जाकिर हुसैन खां और रामनाथ कोविंद हैं. राष्ट्रपति चुनाव में यूपी का महत्वपूर्ण योगदान रहता है. यहां हम आपको बता रहे हैं कि कैसे यूपी इस चुनाव में अहम रोल निभाता है. 

Uttar Pradesh ने देश को दिए कितने राष्ट्रपति? चुनाव में निभाता है महत्वपूर्ण भूमिका, जानें

President From UP: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई 2022 को पूरा होने वाला है. देश के अगले राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत हो रही है. उत्तर प्रदेश जनसंख्या की दृष्टि से देश में पहले स्थान पर है. वहीं, राष्ट्रपति चुनाव में यूपी का महत्वपूर्ण योगदान रहता है. यहां से अब तक महज दो राष्ट्रपति चुने गए हैं. जिनके नाम डॉ जाकिर हुसैन खां और रामनाथ कोविंद हैं. डॉ जाकिर हुसैन खां यूपी के फर्रुखाबाद जिल से ताल्लुक रखते हैं, जबकि रामनाथ कोविंद का संबंध कानपुर देहात से है. आज हम आपको इस आर्टिकल में इन दोनों राष्ट्रपतियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं. 

डॉ जाकिर हुसैन की पारिवारिक पृष्ठभूमि
आजाद भारत के तीसरे राष्ट्रपति और भारत रत्न 8 फरवरी 1897 को डॉ जाकिर हुसैन खां का जन्म हैदराबाद में हुआ था, लेकिन उनका परिवार यूपी के फर्रुखाबाद की कायमगंज तहसील के गांव पितौरा आ गया था. उस समय डॉ जाकिर हुसैन काफी छोटे थे. उनके पिता फिदा हुसैन खां का पुराना घर अभी भी गांव पितौरा में है. डॉ जाकिर हुसैन खां के पिता वकील थे. वह हैदराबाद में वकालत करते थे. जब उनकी उम्र मात्र 9 साल थी तब उनके पिता का देहांत हो गया था.

पिता के देहांत के बाद उनकी मां नाजनीन बेगम उन्हें लेकर गांव पितौरा स्थित अपने पैतृक आवास आ गई थीं. डॉ जाकिर हुसैन ने अपनी शुरुआती शिक्षा घर से ही प्राप्त की थी. सात भाईयों में वे दूसरे नंबर के थे. एक शिक्षित और आर्थिक रूप से संपन्न परिवार में जन्म लेने की छाप उनके व्यक्तित्व पर साफ नजर आती थी.

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एजुकेशन और करियर 
इटावा के इस्लामिया स्कूल से उन्होंने साल 1915 में हाईस्कूल परीक्षा पास की. मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज जो अब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के नाम से जाना जाता, यहां से उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई पूरी की. डॉ जाकिर हुसैन ने इंटर, ग्रेजुएशन, मास्टर्स और एलएलबी करने के बाद जर्मनी जाकर बर्लिन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी. साल 1927 में डॉ जाकिर हुसैन को जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की कमान संभालने का अवसर प्राप्त हुआ. आजादी के बाद उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति का पदभार संभाला. 

डॉ जाकिर हुसैन का राजनातिक सफर 
साल 1957 से 62 तक वह बिहार के राज्यपाल रहे. 
साल 1962 से 67 तक देश के उपराष्ट्रपति रहे. 
साल 1963 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजे गए. 
13 मई 1967 को वह देश के तीसरे राष्ट्रपति बने, लेकिन अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले ही वह दुनिया से रुखसत हो गए.

अब जाकिर महल के नाम से जाना जाता है उनका पैतृक घर
डॉ जाकिर हुसैन खां के दो बेटियां थीं. इनकी एक बेटी सईदा बेगम की शादी कायमगंज के गांव पितौरा निवासी खुर्शीद आलम खां से हुई थी. खुर्शीद आलम खां और उनके बेटे सलमान खुर्शीद भारत सरकार में मंत्री रहे हैं. सलमान खुर्शीद ने ही अपने नाना डॉ जाकिर हुसैन के पैतृक घर का जीर्णोद्धार कराया.अब यह जाकिर महल के नाम से जाना जाता है. यहां पर संग्रहालय बनाने की तैयारियां चल रही हैं. 

वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
अब बात करते हैं देश के वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की, वह देश के 14वें राष्ट्रपति हैं. उनका जन्म 1 अक्टूबर 1945 को कानपुर देहात के परौंख डेरापुर में हुआ. उनके पिता का नाम मैकू बाबा और माता का नाम कलावती हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने गांव के ही प्रायमरी स्कूल में 5वीं तक की शिक्षा प्राप्त की. इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए अपनी बुआ के पास कानपुर चले गए. उनकी पत्नी का नाम सविता कोविंद है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के दो बच्चे हैं, बेटे का नाम प्रशांत और बेटी का नाम स्वाति है. 

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का राजनीतिक सफर 
साल 1991 में रामनाथ कोविंद भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गए थे.
साल 1994 में वह राज्यसभा के सदस्य चुने गए.
इसके बाद साल 2000 में भी राज्यसभा सदस्य चुने गए. 
साल 2007 में पुखरायां से विधानसभा चुनाव लड़े और तीसरे नंबर पर रहे. 
8 अगस्त 2015 को बिहार के  राज्यपाल के बने.
इसके बाद 25 जुलाई 2017 को राष्ट्रपति चुने गए.

गांव के हित में किया पैतृक घर का दान 
बिहार के राज्यपाल रहते समय उन्होंने परौंख में स्थित अपने पैतृक घर को गांव के लिए दान दे दिया था. इस दो मंजिला भवन में मिलन केंद्र का संचालन किया जाता है. जहां समूह की महिलाएं अपना काम करती हैं और प्रशिक्षण पाती हैं. वहीं, अगर गांव में कोई शादी या अन्य कार्यक्रम होते हैं, तो यहां पर उस समारोह का आयोजन किया जाता है. 

राष्ट्रपति चुनाव में यूपी का है अहम रोल 
राष्ट्रपति चुनाव में अपनाई जाने वाली आनुपातिक प्रतनिधित्व प्रणाली की विधि के हिसाब से प्रत्येक वोट का अपना मूल्य होता है. इस चुनाव में अहम भूमिका यूपी की है, क्‍योंकि यहां से सबसे ज्‍यादा 80 सांसद हैं. साथ ही सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य यूपी सबसे ज्यादा विधायक देता है.

सबसे ज्यादा यूपी के विधायकों के वोट का वेटेज होता है. सांसदों के वोट का मूल्य निश्चित है, लेकिन विधायकों के वोट का मूल्य अलग-अलग राज्यों की जनसंख्या पर निर्भर करता है. इस बार के चुनाव में एक सांसद के वोट का वेटेज 700 होगा, पहले यह 708 होता था. उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट का मूल्य 208 है. यहां कुल 403 विधानसभा सीटें हैं. यहां के कुल विधायकों की वोट वैल्‍यू 83824 हुई, जो कि सबसे ज्यादा है.  

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