यूपी के इस शहर में है झगड़ेश्वर महादेव मंदिर, जहां बिना लड़ाई के पूरा नहीं होता कोई शुभ काम
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यूपी के इस शहर में है झगड़ेश्वर महादेव मंदिर, जहां बिना लड़ाई के पूरा नहीं होता कोई शुभ काम

किसी को जानकारी नहीं है कि इस मंदिर की स्थापना कब और कैसे हुई. शहर के राजाबाजार के डेग वाली गली स्थित झगड़ेश्वर महादेव मंदिर सदियों पुराना माना जाता है. कहा जाता है कि यहां पर, मंदिर के पास में ही एक किला था, जिसमें एक शिवलिंग पाया गया. विधि-विधान से उस शिवलिंग की स्थापना कर दी गई और फिर 1938 में मंदिर जीर्णोद्धार हुआ...

यूपी के इस शहर में है झगड़ेश्वर महादेव मंदिर, जहां बिना लड़ाई के पूरा नहीं होता कोई शुभ काम

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी केवल तहजीब, चिकन (Chikan) या चिकन (Chicken) के लिए ही फेमस नहीं है, बल्कि यहां का इतिहास ऐसा निराला है कि इस शहर की कहानियां सुनने वाला यहीं का होकर रह जाता है. लखनऊ के कई धार्मिक स्थल ऐसे हैं, जिनकी बैकग्राउंड स्टोरी जानेंगे तो आपका मुंह भी खुला रह जाएगा. इन्हीं में से एक फेमस स्टोरी के बारे में हम आपको बताते हैं, जो अलीगंज के प्राचीन शिव मंदिर से जुड़ी है. दरअसल, इस मंदिर को झगड़ेश्वर महादेव नाम से जाना जाता है. नाम से ही जाहिर है कि इस मंदिर का संबंध किसी तरह के लड़ाई-झगड़े से है. 

बिना झगड़े के नहीं होता कोई काम
यह एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां भगवान शिव का नाम तो लिया ही जाता है, साथ ही मान्यता है कि यहां बिना झगड़े के किसी शुभ काम की शुरुआत नहीं होती. थोड़ी देर के लिए ही सही, लेकिन यहां झगड़ा होना जरूरी है. यह लड़ाई मंदिर में आयोजन को लेकर हो जाती है. 

भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से होती है दुआएं पूरी
वहीं, माना जाता है कि यहां शिव के दर्शन करते ही सभी दुख खत्म हो जाते हैं. भक्त यहां भोले का रुद्राभिषेक कर प्रार्थना करते हैं और सोमवार को महिलाएं व्रत रख, मनचाहा वरदान मांगने के लिए इस मंदिर में दर्शन करने आती हैं औऱ फूलों से बाबा का श्रृंगार करती हैं.

मंदिर की स्थापना कब, किसने और कैसे की, नहीं है जानकारी
बता दें, किसी को जानकारी नहीं है कि इस मंदिर की स्थापना कब और कैसे हुई. शहर के राजाबाजार के डेग वाली गली स्थित झगड़ेश्वर महादेव मंदिर सदियों पुराना माना जाता है. कहा जाता है कि यहां पर, मंदिर के पास में ही एक किला था, जिसमें एक शिवलिंग पाया गया. विधि-विधान से उस शिवलिंग की स्थापना कर दी गई और फिर 1938 में मंदिर जीर्णोद्धार हुआ. वहीं, यह भी माना जाता है कि घर में झगड़ा चल रहा हो तो झगड़ेश्वर महादेव के दर्शन कीजिए, लड़ाई और क्लेश शांत हो जाता है.

बिना झगड़े के नहीं हुआ कोई आयोजन
जानकारी के मुताबिक, मंदिर में आजतक बिना झगड़े के कोई आयोजन नहीं हो सका है. लेकिन, कुछ ही देर में बाबा हर लड़ाई सुलझा देते हैं. यहां श्रद्धालु झगड़ा शांत करने के लिए दर्शन को आते हैं. 

सावन के सोमवार का विशेष महत्व
बता दें, यहां पर सावन के सोमवार को दर्शन का विशेष महत्व है. ऐसे में मंदिर में इसके लिए खास इंतजाम किए जाते हैं. बताया जाता है कि यहां पर दूर-दूर से लोग बाबा के दर्शन के लिए आते हैं. वहीं, यह बात भी सामने आई है कि मंदिर के निर्माण से एक झगड़ा शुरू हुआ था जो अभी तक चल रहा है.

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