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Difference between curd and yogurt: सर्दी हो या गर्मी दही (Dahi) हमारी डाइट का हिस्सा है. लस्सी, छाछ हो या फिर रायता, इसका स्वाद सभी को भाता है. स्वाद ही नहीं पोषक तत्वों के मामले में दही का कोई जबाव नहीं है. दही को अक्सर लोग कर्ड बोलते हैं, पर दोनों को बनाने का तरीका अलग होता है. क्या आप भी कर्ड (curd) और योगर्ट (yogurt) के बीच अंतर नहीं कर पाते तो हम आपको यहां पर बताते हैं. दही हेल्थ, स्किन और हमारे बालों के लिए अच्छा होता है.
पाए जाते हैं ये पोषक तत्व
कर्ड और योगर्ट, दोनों डेयरी प्रोडक्ट है. ज्यादातर लोगों को लगता है कि यह सेम होता है. हालांकि, इन दोनों में बहुत अंतर होता है. दही को हम घर पर बनाकर तैयार कर लेते हैं जबकि योगर्ट इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट है. इसे घर में नहीं बनाया जा सकता है. कर्ड (Curd) को बनाने का तरीका अलग होता है. दही पोषक तत्वों का भंडार होता है. इसमें कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर और सेलेनियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है. दही खाने से हड्डियों को मजबूती मिलती है. इसके अलावा जोड़ की बीमारी यानी ऑस्टियोपोरिसिस में भी यह बहुत फायदेमंद होता है. यह दांत की समस्या को भी दूर करता है.
कैसे बनता है दही!
दही जमाने के लिए हम गर्म दूध में जामन डालते हैं जो 5 से 7 घंटे में कर्ड में परिवर्तित हो जाता है.दही हल्का खट्टा होता है.
योगर्ट बनाने का तरीका
दही को तो हम घऱ में बना लेते हैं पर योगर्ट बनाने के लिए दो अलग-अलग बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें फ्लेवर भी एड किया जाता है. ये सब एक प्रोसेस के तहत किया जाता है. योगर्ट मीठा होता है. दही के मुकाबले यह गाढ़ा होता है और छाछ को छान कर तैयार किया जाता है. यह पेट में सूजन, दस्त, एसिडिटी जैसी समस्याओं को दूर करने में मददगार होता है.
दही में पाए जाते हैं ये विटामिन
दही में विटामिन बी 6, विटामिन बी 12, कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, फास्फोरस और आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है
योगर्ट में होते हैं ये तत्व
योगर्ट को सोडियम, विटामिन ए और कैल्शियम होता है.
दही को हम कई तरीकों से इस्तेमाल कर सकते हैं जबकि योगर्ट के साथ ऐसा नहीं है. इसे कुछ ही चीजों में इस्तेमाल में लाया जा सकता है. जिस तरह से योगर्ट को बनाया जाता है उसमें अलग-अलग फ्लेवर्स का इस्तेमाल किया जा सकता है. दही में ये नहीं हो सकता है. दही आमतौर पर नॉर्मल फ्लेवर का ही होता है. इसलिए इन्हें खाने का तरीका भी अलग होता है.