भारतीय सैन्य अकादमी से शनिवार को कुल 344 कैडेट पास आउट हुए हैं. पासिंग आउट परेड में मुख्य अतिथि के तौर पर लेफ्टिनेंट जनरल सेंट्रल कमांड योगेंद्र डिमरी मौजूद रहे.
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रामानुज/देहरादून : भारतीय सेना में युवाओं का क्रेज लगातार बढ़ता जा रहा है. युवा देश की शान की हिफाजत करने के लिए अपने सर्वोच्च बलिदान को देने के लिए हमेशा तैयार हैं. भारतीय सैन्य अकादमी (National Defence Academy)में पासिंग आउट परेड में भारतीय सेना को 314 सैन्य अधिकारी मिले हैं. 11 मित्र देशों के 30 सैन्य अधिकारी पास आउट हुए हैं. इस तरह से कुल पासिंग आउट परेड में 344 कैडेट पास आउट हुए हैं. भारतीय सैन्य अकादमी में 1932 से 10 दिसंबर 2022 तक 64,हजार 489 कैडेट्स पास आउट हो चुके हैं. मित्र देशों के पास आउट होने कैडेट्स की संख्या 2893 हैं.
क्या कहते हैं कैडेट
पासिंग आउट परेड में पास हुए रांची के रहने वाले गोल्ड मेडल से सम्मानित पवन कुमार का कहना है कि उनके पिता पुलिस में सेवारत हैं. वह कड़ी मेहनत करके भारतीय सेना में शामिल हुए हैं, उनका कहना है कि युवाओं को देश की सबसे अच्छी सेवा करने का मौका भारतीय सेना में ही मिलता है. उनका कहना है कि अगर लक्ष्य को लेकर सजग रहें तो अपनी मंजिल को हासिल कर सकते हैं.
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हरियाणा के जगजीत सिंह से जिन्हें भारतीय सैन्य अकादमी में बेहतर ट्रेनिंग करने के लिए सिल्वर मेडल से नवाजा गया. जगजीत सिंह हरियाणा के रहने वाले हैं. इनके पिता किसान हैं, भारतीय सेना में जाना चाहते थे मगर वह नहीं जा सके. इसके लिए उन्होंने अपने बेटे को सेना में जाने के लिए प्रेरित किया. उनका कहना है कि आज उनका सपना दूसरी पीढ़ी में पूरा हुआ है. वह चाहते थे कि वह खुद सेना में जाकर देश की सेवा करें मगर ऐसा मौका नहीं मिला. आज उनके सपने को उनके बेटे जगजीत सिंह ने साकार किया है.
रेवंत अहलावत हरियाणा के रहने वाले हैं इनका पूरा परिवार सेना में है. चौथी पीढ़ी में वे सेना में अपनी सेवा दे रहे है. सबसे बड़ी बात है कि इनके परिवार में एयर फोर्स नेवी मिलिट्री तीनों सेनाओं में परिवार के सभी सदस्य शामिल हैं. रेवंत अहलावत का कहना है कि आज उन्होंने अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाने का काम किया है.
निशांत पुरोहित देहरादून के रहने वाले हैं,उनका कहना है कि उनके पिता भी सेना में थे और अपने पिता की सेना की सर्विस को देखकर प्रेरित हुए. हिमाचल प्रदेश के रहने वाले रोहित के पिता शहीद हो गए थे. आज उन्होंने सेना में जाकर अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाया है. उनका कहना है कि जिस तरह से उन्होंने सेना को ज्वाइन किया है इससे यह संदेश युवाओं को देना चाहते हैं कि मुसीबतें कितनी भी हो मगर उससे घबराना नहीं है चुनौतियों से लड़ना है और आगे बढ़ाना है.