cheeta returns : चीता ही नहीं, ये 15 प्रजाति भारत से विलुप्त या झेल रहीं अस्तित्व का संकट, जानें पीएम मोदी की पहल
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cheeta returns : चीता ही नहीं, ये 15 प्रजाति भारत से विलुप्त या झेल रहीं अस्तित्व का संकट, जानें पीएम मोदी की पहल

cheeta returns  : भारत में चीता की वापसी हो चुकी है. इसके अलावा 15 प्रजातियां और भी हैं, जो भारत से विलुप्त हो चुकी हैं या अस्तित्व का संकट झेल रही हैं.  

Cheetah Back In India

भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के मौके पर विलुप्त हो चुके चीतों को अफ्रीकी देश नामीबिया से भारत लाया जा चुका है. इन्हें मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में रखा जाएगा. लेकिन क्या आपको पता है कि चीता ही नहीं करीब दो दर्जन ऐसे जानवर या पक्षी हैं, जो भारत से या तो विलुप्त हो चुके हैं. या फिर अस्तित्व का संकट झेल रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा ड्रग्स एंड क्राइम (UNODC) की रिपोर्ट के मुताबिक, सभी स्तनधारियों में 7.6% और पक्षियों की प्रजातियों के 12.6% जीव भारत में हैं.

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इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) की रेडलिस्ट के अनुसार,पक्षियों की 15 प्रजातियां,स्तनधारियों की 12 प्रजातियां और 18 अन्य प्रजातियां गंभीर रूप से लुप्त प्राय सूची में शामिल हैं. भारत में बंगाल टाइगर, भारतीय शेर, भारतीय गैंडा, गौर, अफ्रीकी लंगूर, तिब्बती हिरन, गंगा नदी की डॉल्फिन, नील गिरि, हिम तेंदुआ, ढोल, काली बत्तख, ग्रेट इंडियन बस्टर, जंगली उल्लू, सफेद पंख वाली बत्तख भारत की 15 सबसे लुप्तप्राय प्रजातियां हैं.

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कैसे पहचानी जाती है लुप्तप्राय प्रजाति
1. जब प्रजातियों की एक सीमित भौगोलिक सीमा होती है.
2. 50 से कम वयस्क प्रजाति की बहुत सीमित या छोटी आबादी.
3. क्या पिछली तीन पीढ़ी या 10 वर्षों के लिए आबादी में 80% से अधिक की कमी हो.
4. जीव की आबादी 250 से कम, पिछली एक पीढ़ी या 3 साल के लिए लगातार 25% कम रही हो.

खतरे के कारण
1.अंधाधुंध विकास के नाम पर प्राकृतिक वन्य जीव क्षेत्र का लगातार कम होना
2.भोजन और आवास की कमी,पेड़ों की कटान, खनन और कृषि जैसी मानवीय गतिविधियां.
3. अवैध शिकार से जानवरों और पक्षियों की कई प्रजातियां विलुप्त हो गईं
4. वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और अपशिष्ट प्रदूषण, खासकर प्लास्टिक का बढ़ता खतरा
5. प्रजनन या आबादी के बढ़ने के लिए अनुकूल परिस्थितियां न होना

Save the Tiger का अभियान
बाघ को बचाने के लिए 1970 में उसके शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 में प्रभावी हुआ था. सेव द टाइगर अभियान के बाद, बाघों की आबादी में एक तिहाई से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2010 में देश में 1700 बाघ थे,जो 2015 में 2226 हो गए. 1992 में, देश में प्राणि उद्यान के प्रबंधन के पर्यवेक्षण के लिए केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (CGA) शुरू किया गया था.

सरकार की पहल 
भारत पाँच मुख्य अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का हिस्सा है जो वन्य जीव संरक्षण से जुड़े हैं. वे हैं- (i) लुप्तप्राय प्रजातियों (CITES) में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर सम्मेलन, (2) वन्यजीव तस्करी (CAWT) के खिलाफ गठबंधन, (3) अंतर्राष्ट्रीय व्हेलिंग कमीशन (IWC), (4) संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन – विश्व धरोहर समिति (यूनेस्को – डब्ल्यूएचसी) (5) प्रवासी प्रजातियों पर कन्वेंशन (CHS).

 

 

 

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