Barabanki News : बाराबंकी के रहने वाली महिला के पति डॉ. एचपी दिवाकर की संपत्ति विवाद के चलते साल 1984 में हत्या हो गई थी. पति के मौत के बाद डरी-सहमी महिला बाराबंकी ससुराल में संपत्ति छोड़कर पटना चली गई और अपनी मौसी के यहां रहकर बच्चों का भरण पोषण किया.
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नितिन श्रीवास्तव/बाराबंकी : इन दिनों सोशल मीडिया पर एक दर्दनाक कहानी वायरल हो रही है. इसे पढ़कर सबकी आंखें नम हो जाएंगी. दरअसल, 90 साल की उम्र में एक महिला नदी किनारे भीख मांगती है. इस महिला के पति बाराबंकी के मशहूर फिजीशियन थे और बेटी मुंबई में अभिनेत्री है, लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर आज यह बुजुर्ग महिला अपना पेट पालने के लिए पटना में गंगा किनारे काली घाट पर रोजाना भीख मांगती है.
यह है पूरी कहानी
जानकारी के मुताबिक, बाराबंकी के रहने वाली महिला के पति डॉ. एचपी दिवाकर की संपत्ति विवाद के चलते साल 1984 में हत्या हो गई थी. पति के मौत के बाद डरी-सहमी महिला बाराबंकी ससुराल में संपत्ति छोड़कर पटना चली गई और अपनी मौसी के यहां रहकर बच्चों का भरण पोषण किया. बेटा कभी इलाके का मशहूर गवैया था लेकिन वह डिप्रेशन में आकर मानसिक रूप से विकलांग हो चुका है. बेटी टीवी सीरियल में मशहूर अभिनेत्री है और वह अपनी मां को भूल चुकी है. 90 साल की उम्र में लाचार और बेसहारा बुजुर्ग महिला भीख मांगने को मजबूर है.
बेटा मानसिक रूप से विकलांग
90 साल की उम्र में नदी किनारे भीख मांग रही इस बुजुर्ग महिला का नाम पूर्णिमा देवी है. इनके पति के गाने बॉलीवुड में इस्तेमाल हुए, बेटी अभिनेत्री है और बेटा कभी इलाके का मशहूर गवैया था, लेकिन डिप्रेशन में आकर वह मानसिक रूप से विकलांग हो चुका है.
शादी के दस साल बाद पैदा हुए बच्चे
पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में महाकाल मंदिर के पुजारी हरिप्रसाद शर्मा के घर एक बच्ची पैदा पूर्णिमा देवी. इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद बाराबंकी के मशहूर फिजिशियन डॉ. एचपी. दिवाकर से इनकी शादी हो गई. शादी के दस साल में एक बेटा और एक बेटी पैदा हुई. डॉक्टर होने के साथ-साथ उनके पति दिवाकर को गाने लिखने का शौक था. पूर्णिमा की मानें तो उनके पति के लिखे कई गाने जैसे ‘शाम हुई सिंदूरी’ और ‘आज की रात अभी बाकी है’, बॉलीवुड में 70 दशक के फिल्मों में इस्तेमाल किए गए.
गाना गाकर बच्चों का भरण-पोषण किया
लेकिन साल 1984 में संपत्ति को लेकर हुए विवाद में बदमाशों ने उनके पति डॉ. एच.पी. दिवाकर की गोली मारकर हत्या कर दी. पति की मौत के बाद पूर्णिमा अपनी ससुराल और संपत्ति में हिस्सा छोड़कर पटना चली गईं और अपनी मौसी के यहां गाना सीखा और रेडियो पर गाना गाने लगीं. इसके बाद पूर्णिमा ने अपनी कमाई से बच्चों का भरण-पोषण किया और धीरे-धीरे पटना के एक स्कूल में म्यूज़िक क्लास देने लगीं, साथ ही कई स्टेज शोज किए.
बेटी टीवी सीरियल में काम कर रही
1990 में झारखंड के गढ़वा से शुरू हुआ गाने का सफर 2002 तक बदस्तूर जारी रहा. बेटा भी ऑर्केस्ट्रा में रफी के गाने गाया करता था, लेकिन कुछ समय के बाद लड़का डिप्रेशन का शिकार हो गया. पटना से पढ़ाई लिखाई करने के बाद बेटी मुंबई चली गई और टीवी सीरियल में अभिनेत्री बन गई. अभिनेत्री बनकर मां के पास कभी वापस नहीं लौटी, न ही कभी खोज-खबर ली. उनके जानने वाले लोग कहते हैं कि उनकी बेटी बहुत टीवी सीरियलों में काम कर चुकी है. आए दिन टीवी पर दिखाई देती हैं, लेकिन अब वह अपनी मां को भूल चुकी है. 90 साल की उम्र में लाचार और बेसहारा बुजुर्ग पूर्णिमा देवी भीख मांगने को मजबूर है.
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