Phulpur Seat Bypolls 2024: फूलपुर सीट बीजेपी सांसद प्रवीण पटेल के इस्तीफे के बाद खाली हुई है. जिस पर कांग्रेस नेहरू-गांधी की पारंपरिक सीट होने की दलील देते हुए दावा ठोक रही है. लेकिन बीते साढ़े तीन दशक के आंकड़े इसके उलट दिखाई पड़ते हैं.
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Phulpur Seat Bypolls 2024: यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, तारीखों के ऐलान से पहले एनडीए हो या इंडिया गठबंधन दोनों में सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर पेंच फंसा नजर आ रहा है. फूलपुर सीट बीजेपी सांसद प्रवीण पटेल के इस्तीफे के बाद खाली हुई है. जिस पर कांग्रेस नेहरू-गांधी की पारंपरिक सीट होने की दलील देते हुए दावा ठोक रही है. लेकिन बीते साढ़े तीन दशक के आंकड़े इसके उलट दिखाई पड़ते हैं.
35 साल पहले मिली आखिरी जीत
कांग्रेस की ओर से भले यह दावा किया जा रहा हो कि फूलपुर में उसकी पैंठ मजबूत है लेकिन हकीकत इससे अलग नजर आ रही है. कांग्रेस फूलपुर सीट पर आखिरी बार साल 1985 में जीती थी. 35 साल में एक बार छोड़कर हर बार पार्टी प्रत्याशी की जमानत जब्त हुई है. दरअसल बीजेपी विधायक प्रवीण पटेल फूलपुर सीट से सांसद बने, जिसके बाद यह सीट खाली हुई है. अब यहां विपक्ष से समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीट को लेकर रार छिड़ी दिख रही है.
कांग्रेस का 5 सीटों पर दावा
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि जिन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें समाजवादी पार्टी की जीती हुई 5 सीटें हैं. सपा को उन्हीं पर मैदान में उतरना चाहिए. बाकी बची पांच सीटों को कांग्रेस को दिया जाना चाहिए. कांग्रेस के दावे वाली सीटों में फूलपुर भी शामिल है. कांग्रेस ने यहां इलाहाबाद सीट से सांसद उज्जवल रमण सिंह को पर्यवेक्षक बनाया है.
सपा भी तैयारियों में जुटी
समाजवादी पार्टी भी दमखम के साथ फूलपुर उपचुनाव की तैयारियों में जुटी है. सपा के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल समेत कई बड़े नेताओं की नुक्कड़ सभाएं हो चुकी हैं. बूथ स्तर पर मीटिंग करके सपा अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर चुकी है. सपा ने यहां इंद्रजीत सरोज को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है.
सीट के सियासी समीकरण
फूलपुर में जातीय समीकरण को देखें तो यहां ओबीसी वोटर निर्णायक भूमिका में हैं, एससी वोटर भी अच्छी तादात में हैं. फूलपुर सीट पर बीते दो विधानसभा चुनाव से बीजेपी का कब्जा है. समाजवादी पार्टी यहां आखिरी बार 2012 में जीती थी, सईद अहमद यहां से विधायक बने थे. कांग्रेस के मुकाबले सपा ने यहां ज्यादा बार परचम लहराया है. कांग्रेस उम्मीदवार महेंद्र प्रताप 1985 में यहां से जीते. 1989 में कांग्रेस यहां दूसरे नंबर पर रही. सपा ने यहां 1993 में पहली बार जीत का स्वाद चखा, जवाहर पंडित यहां से विधायक बने, इसके बाद 1996 में उनकी पत्नी दो बार विधायक बनीं. 2007 में प्रवीण पटेल बसपा के सिंबल पर चुनाव जीते थे.
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