Gyanvapi Case : क्‍या है काशी विश्‍वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी का 352 साल पुराना विवाद, ये 5 बातें बयां कर देंगी सारी सच्चाई
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Gyanvapi Case : क्‍या है काशी विश्‍वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी का 352 साल पुराना विवाद, ये 5 बातें बयां कर देंगी सारी सच्चाई

Gyanvapi Case : काशी विश्‍वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद काफी हद तक अयोध्‍या विवाद जैसा है. काशी विश्‍वनाथ मंदिर का निर्माण हजारों साल पहले महाराजा विक्रमादित्‍य ने करवाया था. काशी विश्‍वनाथ मंदिर से सटा ज्ञानवापी मस्जिद है. हिन्‍दू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी के नीचे आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है.

Gyanvapi Controversy

Gyanvapi Case : ज्ञानवापी के ASI सर्वे पर फैसला आ चुका है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ASI सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. हिन्‍दू पक्ष इसे बड़ी जीत मान रहा है. हाईकोर्ट ने कहा है कि एएसआई सर्वे से किसी को नुकसान नहीं है. ऐसे में एक बार फ‍िर ज्ञानवापी मुद्दा गरमा गया है. तो आइये जानते हैं शुरू से कि ज्ञानवापी को लेकर विवाद क्‍यों हो रहा है. कैसे ज्ञानवापी को लेकर विवाद शुरू हुआ. ASI सर्वे से क्‍या होगा?.  

पहले जानें क्‍या है ज्ञानवापी विवाद
दरअसल, काशी विश्‍वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद काफी हद तक अयोध्‍या विवाद जैसा है. काशी विश्‍वनाथ मंदिर का निर्माण हजारों साल पहले महाराजा विक्रमादित्‍य ने करवाया था. काशी विश्‍वनाथ मंदिर से सटा ज्ञानवापी मस्जिद है. हिन्‍दू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी के नीचे आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है. मुगल सम्राट औरंगजेब ने साल 1669 में मंदिर को तुड़वाकर यहां मस्जिद का निर्माण करवा दिया, जो अब ज्ञानवापी के रूप में जाना जाता है. इसके बाद साल 1991 में भी एक याचिका वाराणसी जिला कोर्ट में दायर की गई. इसमें ज्ञानवापी परिसर में पूजा करने की अनुमति मांगी थी.  

सालों बाद कब चर्चा में आया ज्ञानवापी 
दरअसल, अगस्‍त 2021 में पांच महिलाओं ने वाराणसी जिला कोर्ट में एक वाद दायर किया. इसमें उन्‍होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में प्रतिदिन पूजा और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की. इसके बाद ज्ञानवापी को लेकर चर्चाएं शुरू हो गईं. याचिका पर जिला कोर्ट ने मस्जिद परिसर का सर्वे कराने का आदेश दिया. कोर्ट के आदेश के बाद तीन दिन सर्वे हुआ. 

सर्वे में शिवलिंग मिलने का दावा 
सर्वे के बाद हिन्‍दू पक्ष ने यहां शिवलिंग मिलने का दावा किया. हिन्‍दू पक्ष ने दावा किया कि मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग है. वहीं, इसे लेकर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई. मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वह शिवलिंग नहीं बल्कि फव्‍वारा है, जो हर मस्जिद में होता है. इसके बाद हिन्‍दू पक्ष ने विवादित स्‍थल को सील करने की मांग की. कोर्ट ने सील करने का आदेश भी दे दिया. इस पर मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. 

21 जुलाई को जिला कोर्ट ने सुनाया था फैसला 
सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को जिला कोर्ट जाने का आदेश दिया. इसके बाद पांच महिलाओं ने मई 2023 में एक वाद दायर कर ज्ञानवापी मस्जिद के विवादित हिस्‍से को छोड़कर पूरे परिसर का ASI सर्वे कराने की मांग की. जिला कोर्ट ने एएसआई सर्वे का आदेश दे दिया. इसके बाद 21 जुलाई को वाराणसी जिला अदालत ने ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुमति दी थी. 

क्‍या है ASI  
भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) भारत के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत आता है. यह संस्था देश में ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण का काम करती है. इसे अंग्रेजों के शासनकाल के समय साल 1861 से बनाया गया था. मौजूदा समय में देश की सभी ऐतिहासिक धरोहर जैसे कि ताजमहल, लालकिला और कुतुबमीनार इसी के संरक्षण में हैं. इन ऐतिहासिक इमारतों के रखरखाव, मेंटनेंस और अन्य जरूरी काम ASI के जिम्मे ही है. इसके अलावा, देश के किसी हिस्से में पुरातात्विक इमारतें, संरचनाएं या वस्तुएं मिलने पर भी उसकी जांच-पड़ताल ASI ही करता है

ASI सर्वे से क्‍या पता चलेगा  
ASI द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण में यह पता लगाया जाएगा कि क्या वर्तमान संरचना का निर्माण एक हिंदू मंदिर की पूर्व-मौजूदा संरचना के ऊपर किया गया था? एएसआई संरचना के तीन गुंबदों के ठीक नीचे ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) सर्वेक्षण करेगी. जरूरत पड़ी तो खुदाई भी की जा सकती है. 

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