कानपुर और आस-पास के इलाकों में फैला प्रदूषण इसकी वजह माना जा रहा है. लगभग हर रोज कानपुर का एक्यूआई चार सौ से लेकर साढ़े चार सौ के बीच दर्ज किया जा रहा है.
Trending Photos
कानपुर: देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहर कानपुर में इस बार विदेशी पक्षियों की आमद घट गई है. एशिया के सबसे बड़े चिड़ियाघरों में शुमार कानपुर चिड़ियाघर में एक प्राकृतिक झील है और सर्दियों के मौसम में यहां प्रवास करने पांच हजार से अधिक पक्षी सरहद पार करके आते हैं, लेकिन इस बार प्रदूषण के कारण अधिकाश ने गुजरात का रूख कर लिया है.
प्रदूषण का असर उत्तर प्रदेश के पर्यटन उद्योग पर भी पड़ता दिख रहा है. 76 हेक्टेअर क्षेत्र में फैले कानपुर चिड़ियाघर में एक विशाल प्राकृतिक झील भी है, जिसमें शीतकालीन प्रवास के लिए विदेशी पक्षी आते हैं और उनकी अठखेलियां देखने के लिए पर्यटकों का जमावड़ा लगता है. लेकिन, इस बाद उनकी आमद बहुत कम दर्ज की जा रही है. इससे चिड़ियाघर प्रशासन में भी बेचैनी है.
कानपुर और आस-पास के इलाकों में फैला प्रदूषण इसकी वजह माना जा रहा है. लगभग हर रोज कानपुर का एक्यूआई चार सौ से लेकर साढ़े चार सौ के बीच दर्ज किया जा रहा है. अब कानपुर वाले भले ही इस जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हों लेकिन, खुले गगन में उड़ने वाले विदेशी मेहमानों को तो ये प्रदूषम मजबूर नहीं कर सकता. इसलिए ये अपने पंख फैलाए गुजरात की तरफ मुड़ते देखे जा रहे हैं.
प्रदूषण के अलावा प्रवासी पक्षियों को दूसरा बड़ा खतरा मगरमच्छ के हमलों का है. ये विदेशी मेहमान जाड़े के मौसम में यहां प्रजनन करते हैं और बसंत ऋतु आने पर अपने नन्हें-मुन्नों के साथ घर वापस लौट जाते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से यहां मगरमच्छों की टोलियों ने आतंक मचाया हुआ है. वे धूप सेंकने के लिए झील के बाहर निकलते हैं और गीली रेत में भोजन के लिए केंचुए पकड़ने आई चिड़िया पर झपट पड़ते हैं. यही नहीं, जलक्रीड़ा कर रहे पक्षियों को पता भी नहीं चलता कि पानी के भीतर उनका दुश्मन छुपा बैठा है. जरा सी चूक होने पर वो अचानक प्रकट होकर झपट्टा मार देता है.
कानपुर प्राणि उद्यान केके सिंह का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के अलावा इन्हें बड़ा खतरा मगरमच्छों से है, जो संख्या में 81 है. गोरखपुर में चिड़ियाघर का निर्माण हो रहा है. हम वहां 25 मगरमच्छ भेज रहे हैं. उन्होंने कहा कि विदेशी मेहमानों की सुरक्षा की खातिर ये जरूरी भी है.