Sambhal: उम्र के आखिरी पड़ाव में भी युवाओं में जगा रहे देशभक्ति की अलख, बुजुर्ग शिक्षक की कहानी जान करेंगे सलाम
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Sambhal: उम्र के आखिरी पड़ाव में भी युवाओं में जगा रहे देशभक्ति की अलख, बुजुर्ग शिक्षक की कहानी जान करेंगे सलाम

Sambhal News: संभल जिले के चंदोसी में रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक विनोद दत्ता का उम्र के आखिरी पड़ाव पर भी देश भक्ति का जज्बा काबिले तारीफ है. वह शहीद भगत सिंह के लिखे गए गीतों को सुनाकर लोगों को देश भक्ति का सन्देश देते हैं. 

Sambhal: उम्र के आखिरी पड़ाव में भी युवाओं में जगा रहे देशभक्ति की अलख,  बुजुर्ग शिक्षक की कहानी जान करेंगे सलाम

सुनील सिंह/संभल:लोगों में राष्ट्रवाद का जज्बा भरने के लिए देश भर में आजादी के अमृतकाल कार्यक्रम के जरिए शहीदों को याद किया जा रहा है, लेकिन संभल में एक ऐसे रिटायर्ड शिक्षक हैं जो पिछले 3 दशक से युवा पीढ़ी में देशभक्ति और राष्ट्रवाद का जज्बा जगाने के लिए जुटे हुए हैं. उन्होंने अपने घर को भी शहीदों के मिनी संग्रहालय में तब्दील कर दिया है. जिसमें शहीद-ए-आजम भगत सिंह सहित देश के लिए कुर्बानी देने वाले तमाम शहीदों से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज और साहित्य मौजूद हैं.

संभल जिले के चंदोसी में रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक विनोद दत्ता का उम्र के आखिरी पड़ाव पर भी देश भक्ति का जज्बा काबिले तारीफ है. वह आज भी देश भर में घूम-घूम कर पोस्टर प्रदर्शनी लगाते हैं, शहीद भगत सिंह के लिखे गए गीतों को सुनाकर लोगों को देश भक्ति का सन्देश देते हैं. कई जानी-मानी हस्तियों ने उन्हें समानित किया है . शहीद भगत के परिजन [भांजे ] उनसे मिलने चंदौसी आ चुके है.

भगत सिंह के तराने सुनाकर युवाओं को देते हैं देशभक्ति का संदेश
उनके मिनी संग्रहालय में शहीद भगत सिंह द्वारा जेल में लिखी गई महत्वपूर्ण डायरी की प्रति भी है. जिसमें सरदार भगत सिंह द्वारा लिखे गए तरानों और पत्रों को सुनाकर वह युवाओं को देश भक्ति का सन्देश देते हैं. शिक्षक विनोद दत्त की मिनी लाइब्रेरी क्रांतिकारी उधम सिंह का स्व हस्ताक्षरित फोटो भी मौजूद हैं, उनके इस मिनी संग्रहालय में देश की आजादी की लड़ाई से संबंधित ऐसे तमाम दस्तावेज और साहित्य रखे हैं, जिसका इतिहास में जिक्र नहीं है.

क्रांतिकारियों की जीवन गाथाओं को पाठ्यक्रम में किया जाए शामिल
युवा पीढ़ी में देशभक्ति का जज्बा जागने में जुटे रिटायर्ड शिक्षक विनोद दत्त को सरकार से शिकायत है कि शैक्षिक पाठ्यक्रम से मुस्लिम शासकों के इतिहास को तो हटाने के लिए पहल की गई लेकिन देश के लिए अपना बलिदान देने वाले क्रांतिकारियों को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए समुचित प्रयास नहीं हुए. उन्होंने सरकार से मांग की है कि युवा पीढ़ी को देश की आजादी के इतिहास से रूबरू कराने के लिए शैक्षिक पाठ्यक्रम में शहीद क्रांतिकारियों की जीवन गाथाओं को शामिल किया जाए.

 

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