Raksha Bandhan 2024: रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाई की कलाई पर उनकी सलामती के लिए व्रत रखती है. राखी हमेशा शुभ मुहूर्त में ही बांधनी चाहिए. लेकिन, इस साल रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा. ये समय अशुभ माना जाता है. राखी बांधने के समय को लेकर थोड़ा सावधान रहने की जरुरत है, क्योंकि इस बार भद्रा के साथ ही अशुभ पंचक भी लग रहा है. जानें भद्रा का साया कितने समय तक रहेगा.
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Raksha Bandhan 2024: रक्षाबंधन के दिन सावन सोमवार है और श्रावण पूर्णिमा भी है. इस साल रक्षाबंधन का त्योहार कई शुभ संयोगों में पड़ा है. इस बार रक्षाबंधन 19 अगस्त को मनाया जाएगा. रक्षाबंधन पर 7 घंटे 39 मिनट तक भद्रा का साया है. इस लेख में जानते हैं कि भद्रा का साया कितने समय और कब तक रहेगा. साथ ही जानते हैं राखी बांधने का शुभ मुहूर्त.
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वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि में रक्षाबंधन मनाते हैं, उसमें भी खासकर भद्रा का साया न हो, इसका विशेष ध्यान रखते हैं. राखी बांधने के लिए भद्रा रहित शुभ मुहूर्त का विचार करना उत्तम रहता है. भद्रा अशुभ है, उस समय में आप जो काम करते हैं, उसका शुभ फल प्राप्त नहीं होता है. ऐसी धार्मिक मान्यता है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बता रहे हैं रक्षाबंधन पर राखी बांधने का सही समय क्या है?
राखी बांधने का सही समय
19 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने का सही समय दोपहर में ही है. दोपहर में 1 बजकर 32 मिनट से रात 9 बजकर 8 मिनट के बीच कभी भी राखी बांध सकती हैं.
कब रहेगा भद्रा का साया
भद्रा काल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है. इस दौरान बहनों के लिए अपने भाइयों को राखी बांधना अशुभ माना जाता है. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस बार रक्षाबंधन पर सुबह में भद्रा लग जा रही है. भद्रा सुबह 05:53 से दोपहर 01:32 तक रहेगी. इस भद्रा का वास स्थान धरती से नीचे पाताल लोक में है. अब कुछ लोगों का कहना है कि पाताल की भद्रा को नजरअंदाज कर सकते हैं.
अगर बांधनी पड़े भद्रा के दौरान राखी तो क्या करें उपाय
हिंदू धर्म में भद्रा के दौरान राखी बांधना वर्जित माना जाता है,अगर किसी कारण या मजबूरी में भद्रा के दौरान राखी बांधनी पड़े तो बहनें ये उपाय कर सकती है.बहनें भद्रा के दौरान अपने भाई को राखी बांध रही हैं तो वह व्रत रखें. इस दौरान बहनों को भद्रा के 12 नामों का स्मरण करना होगा.
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भद्रा के 12 नाम
धन्या, दधमुखी, भद्रा, महामादी, खराना, कालरात्रि, महारुद्रा, विष्टि, कुलपुत्रिका, भैरवी, महाकाली और असुरक्षयकारी.
क्या होता है भद्रा काल?
धार्मिक पुराणों के अनुसार भद्रा सूर्य देव की पुत्री और शनि देव की बहन हैं. इनका स्वभाव बहुत कठोर होता है. इनके स्वभाव के कारण हमेशा शुभ और मांगलिक कार्य भद्रा से पहले या बाद में करने की सलाह दी जाती है।
भद्रा काल में क्यों नहीं बांधते राखी?
पौराणिक कथा की मानें तो जब भद्रा का जन्म हुआ तो तब पूरी सृष्टि में तबाही मचने लगी थी.पूजा-पाठ व अनुष्ठान जैसे मांगलिक कार्यों में जाकर भद्रा रुकावट पैदा करती थीं. इसलिए इसे पाताल लोक में भेज दिया गया ताकि पृथ्वी पर पूजा और अनुष्ठान बिना किसी बाधा के किए जा सकें. हिंदू धर्म के मुताबिक भद्रा कुछ समय के लिए पृथ्वी पर आती है और उस समय को अशुभ समय माना जाता है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ZEE UPUK किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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