दलितों की पार्टी बसपा ने पूर्वांचल में पिछड़ों पर लुटाया प्यार, मायावती की सोशल इंजीनियरिंग से NDA और PDA को छूटा पसीना
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दलितों की पार्टी बसपा ने पूर्वांचल में पिछड़ों पर लुटाया प्यार, मायावती की सोशल इंजीनियरिंग से NDA और PDA को छूटा पसीना

Lok Sabha Chunav 2024:  सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले से सत्ता हासिल करने वाली बसपा की इस लोकसभा चुनाव में यही रणनीति देखने को मिल रही है. बसपा उम्मीदवारों की लिस्ट पर नजर डालें तो पार्टी जातीय समीकरण साधकर बीजेपी और समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ाती हुई दिख रही है.

दलितों की पार्टी बसपा ने पूर्वांचल में पिछड़ों पर लुटाया प्यार, मायावती की सोशल इंजीनियरिंग से NDA और PDA को छूटा पसीना

Lok Sabha Chunav 2024: 2007 विधानसभा चुनाव में सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले से सत्ता हासिल करने वाली बसपा की इस लोकसभा चुनाव में यही रणनीति देखने को मिल रही है. बसपा उम्मीदवारों की लिस्ट पर नजर डालें तो पार्टी जातीय समीकरण साधकर बीजेपी और समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ाती हुई दिख रही है. पूर्वांचल में भी बसपा ने सोशल इंजीनियरिंग का दांव चला है. जिससे त्रिकोणीय लड़ाई की संभावना को बल मिला है. 

बीते चुनाव के आंकड़े देखें तो पूर्वांचल में बसपा का प्रदर्शन बेहतर रहा है. 2009 लोकसभा चुनाव में बसपा के 20 सांसद चुने गए थे. इनमें से पूर्वांचल की 13 में 5 लोकसभा सीटों पर बसपा प्रत्याशी जीते थे. 2014 में पार्टी खास प्रदर्शन नहीं कर पाई.  2019 में सपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ी बसपा ने 7 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और चार सीटों (घोसी, गाजीपुर, जौनपुर, लालगंज) पर परचम लहराया था. इनमें मछलीशहर सीट पर उसे महज 181 वोट से हार मिली थी. 

पूर्वांचल की 10 सीटों पर बसपा ने उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिसमें 5 पिछड़े, 3 अगड़े और एक मुस्लिम और एक एससी-एसटी प्रत्याशी शामिल है. इसे बसपा की अगड़े, पिछड़े और मुस्लिम वोटरों को साधने की सोशल इंजीनियरिंग के तौर पर देखा जा रहा है. लेकिन इस चुनाव में बसपा प्रमुख मायावती ने गठबंधन में शामिल होने की बजाय अकेले चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है. और नई रणनीति पर काम कर रही है. 

कई सीटों पर बीजेपी-सपा की बढ़ाई मुश्किलें
बसपा जौनपुर, आजमगढ़, बदायूं, बस्ती, मेरठ और मैनपुरी से लेकर कई सीटों पर सपा और बीजेपी की राह में कांटे बनने की तैयारी है. जौनपुर में 2019 में बीजेपी को बसपा के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. इस बार बीजेपी ने कृपा शंकर सिंह को टिकट दिया है. वहीं बसपा ने यहां से धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकाला सिंह को टिकट दिया है. सपा ने पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा को टिकट देकर सियासी लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है. 

आजमगढ में सपा से धर्मेद्र यादव और बीजेपी से दिनेश लाल निरहुआ चुनाव लड़ रहे हैं. यहां राजभर वोटरों की तादाद अच्छी है. बसपा ने यहां से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को टिकट दिया है. जबकि बस्ती में बीजेपी के सिटिंग सांसद और प्रत्याशी हरीश द्विवेदी के मुकाबले ब्राह्मण समाज के ही दयाशंकर मिश्र को टिकट देकर भाजपा की मुश्किलें बढ़ाई हैं. ऐसे ही सपा का गढ़ मानी जाने वाली मैनपुरी सीट पर भी बसपा दो-दो हाथ करने की तैयारी में है. पार्टी ने सपा प्रत्याशी डिंपल यादव के मुकाबले पहले घोषित उम्मीदवार गुलशन शाक्य का टिकट काटकर शिव प्रसाद यादव पर दांव लगाया है. जो 2007 में भरथना से विधायक रह चुके हैं. 

25 मुस्लिमों को टिकट 
बसपा ने अब तक 55 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए हैं. इनमे से 14 मुस्लिम हैं. यानी पार्टी ने करीब 25 फीसदी से ज्याद मुस्लिम प्रत्याशियों पर दांव लगाया है. यह संख्या बढ़ भी सकती है क्योंकि पार्टी को अभी 25 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान करना बाकी है. 

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