Kumbh Mela 2025: कुछ लोग इंटरनेट के सहारे जानने की कोशिश में जुट गए तो कुछ लोग अपने आस-पास के बड़े बुजुर्गों से जानकारी हासिल करने में जुट गए. तो ऐसे में चलिए हम भी आज आपके मन में उठ रहे कुछ सवालों का जवाब बता देते हैं कि आखिर कुंभ मेला कहां-कहां और क्यों लगता है.
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Kumbh Mela 2025: इन दिनों उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन किया गया है. दुनिया भर से श्रद्धालु इस महाकुंभ में पवित्र डुबकी लगाने के लिए यहां पहुंच रहे हैं. लेकिन जैसे ही प्रयागराज में कुंभ स्नान की शुरुआत हुई लोगों के बीच यह बात चर्चा का विषय बन गया कि आखिर ये कुंभ क्या सिर्फ प्रयागराज में ही लगता है या किसी अन्य शहर में भी लगता है?
कुछ लोग इंटरनेट के सहारे जानने की कोशिश में जुट गए तो कुछ लोग अपने आस-पास के बड़े बुजुर्गों से जानकारी हासिल करने में जुट गए. तो ऐसे में चलिए हम भी आज आपके मन में उठ रहे कुछ सवालों का जवाब बता देते हैं कि आखिर कुंभ मेला कहां-कहां और क्यों लगता है.
हर 12 साल बाद लगता है कुंभ
महाकुंभ मेला एक पवित्र धर्म समागम है. यह मेला हर 12 सालों में एक बार लगता है. कुंभ मेले के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु एक साथ पवित्र नदी की जलधारा में आस्था की पवित्र डुबकी लगाते हैं. लेकिन इस बार प्रयागराज में लोगों का अलग ही उत्साह दिख रहा है. बताया जा रहा है कि महाकुंभ 2025 पूरे 144 साल बाद आया है.
कुंभ मेला देश में कुल चार जगहों पर लगता है. जिनमें प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक शामिल है. कुंभ के दौरान करोड़ों की संख्या में भक्त पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं. लेकिन, अब लोगों के मन में सवाल उठता है कि आखिर ये कुंभ सिर्फ इन्हीं चार जगहों पर ही क्यों होता है?
ये है मान्यता
धार्मिक मान्यता के मुताबिक इसकी कहानी समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है. धार्मिक मान्यता है कि एक बार राक्षसों ने मिलकर युद्ध के दौरान देवताओं को हरा दिया. जिसके बाद सभी देवता मदद के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे. जिसके बाद भगवान विष्णु ने देवताओं को एक उपाय सुझाया.
भगवान विष्णु के कहे अनुसार देवातओं ने राक्षसों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया. इसी दौरान समुद्र मंथन से अमृत का कलश सामने आया. अमृत कलश देखते ही देवों और दैत्यों के बीच इसे हासिल करने के लिए युद्ध छिड़ गया. दोनों के बीच युद्ध 12 दिनों तक चला.
अमृत के बूंद छलके
इस युद्ध के दौरान अमृत कलश की छीना-झपटी हुई जिससे कि कलश से छलकर कुछ बूंदें धरती के चार जगहों पर गिरी. जिन जगहों पर ये गिरे वह हरिद्वार, उज्जैन, प्रयागराज और नासिक थे. इसलिए इन्हीं चार जगहों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है.
प्रयागराज में आयोजित कुंभ मेले का महत्व इसलिए सबसे ज्यादा माना जाता है क्योंकि यहां पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी का संगम है. ऐसे में मान्यता के मुताबिक जो भी व्यक्ति इस संगम में डुबकी लगाता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. त्रिवेणी के संगम पर आयोजित कुंभ मेला न सिर्फ देश बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध है.