Farrukhabad News: फर्रुखाबाद में अब कैदियों के लिए ओपन जेल की व्यवस्था लाई जा रही है जिसके मुताबिक खुले आसमान के नीचे रहकर वो अपनी सजा काट पाएंगे.
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फर्रुखाबाद: फर्रुखाबाद में अब कैदी भी खुले में सांस ले पाएं और खुले आसमान के नीचे रहकर अपनी सजा काट पाएंगे. दरअसल, सेंट्रल जेल के 35 एकड़ में प्रस्तावित ओपन जेल का खाका तैयार कर लिया गया और इस ओपन जेल के अस्तित्व में आते ही कैदी भी खुले में रहकर अपनी सजा काट पाएंगे. सजा काटते समय कैदी अपने परिवार को भी साथ रख पाएंगे.
लखनऊ में है सेमी ओपेन जेल
बंदियों में सुधार को मद्देनजर रखते हुए फतेहगढ़ सेंट्रल जेल के बागी सुधार गृह परिसर को ओपन जेल बनाने की फिलहाल बहुत चर्चा है. ध्यान देने वाली बात है कि प्रदेश में पहली ओपन जेल का खाका तैयार किया गया है जोकि फर्रुखाबाद की सेंट्रल जेल में ही बनाई जाएगी. मौजूदा समय में प्रदेश में केवल लखनऊ में ही सेमी ओपेन जेल है क्योंकि पहले की जो प्रदेश में जेल थी वह उत्तराखंड में चली गई.
30 एकड़ का फार्म हाउस
बीजे शुक्रवार की दोपहर सेंट्रल जेल पहुंचकर यहां के बागी सुधार गृह को डीजी जेल एसएन साबत ने देखा और साढ़े तीन घंटे तक पड़ताल की. पांच एकड़ में बने बागी सुधार गृह के बाहर की ओर 30 एकड़ का फार्म हाउस स्थिति है और 5 एकड़ में फैला तालाब भी है. सेंट्रल जेल का बागी सुधार गृह के प्रदेश की पहली ओपन जेल बनने को लेकर उन्होंने कहा कि प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह कांसेप्ट पहले का है, इस पर अब आगे बढ़ेंगे.
अलग तरह की व्यवस्था
दरअसल,ओपन जेल यानी खुली जेल की भारत में सबसे पहले शुरुआत ब्रिटिश शासनकाल में हुई जोकि जेल एक ऐसी व्यवस्था है, जहां कैदियों को दिन के वक्त बाहर काम पर भेजा जाता है और रात को वो जेल में लौट आते हैं. इस तरह का ओपन जेल पहली बाल साल 1905 में मुंबई में खोली गई थी, माना जाता है कि ऐसी जेल पहली दफा भारत में कोली गई. हालांकि तब के समय में जेल की यह एकदम अलग तरह की व्यवस्था ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाई. फिर अंग्रेजी अधिकारियों ने साल 1910 में इस तरह की जेल को बंद कर दिया. हालांकि आजाद भारत में ऐसी ओपन जेल की व्यवस्था कई चुनिंदा जेलों में है.
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