VIDEO: बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में बरी होने पर देखें क्या रहा आडवाणी-जोशी का रिएक्शन
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VIDEO: बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में बरी होने पर देखें क्या रहा आडवाणी-जोशी का रिएक्शन

बाबरी ​मस्जिद विध्वंस मामले में फैसले पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा है कि स्पेशल कोर्ट का आज का निर्णय अत्यंत महत्वपूर्ण है. जब ये समाचार सुना तो जय श्री राम कहकर इसका स्वागत किया.

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लखनऊ: बाबरी ​मस्जिद विध्वंस मामले में फैसले पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा है कि स्पेशल कोर्ट का आज का निर्णय अत्यंत महत्वपूर्ण है. जब ये समाचार सुना तो जय श्री राम कहकर इसका स्वागत किया. बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में फैसला आने के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के घर के बाहर लड्डू बांटे गए. 

मुरली मनोहर जोशी ने क्या कहा
बाबरी विध्वंस मामले के फैसले पर मुरली मनोहर जोशी ने कहा है कि निर्णय इस बात को सिद्ध करता है कि 6 दिसंबर को अयोध्या में हुई घटनाओं के लिए कोई षड्यंत्र नहीं था और वो अचानक हुआ. इसके बाद विवाद समाप्त होना चाहिए और सारे देश को मिलकर भव्य राम मंदिर के निर्माण के ​लिए तत्पर होना चाहिए. 

न्याय की जीत हुई: राजनाथ सिंह 
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीबीआई की विशेष अदालत की ओर से बाबरी विध्वंस मामले पर फैसले पर कहा कि लखनऊ की विशेष अदालत द्वारा बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में लालकृष्ण आडवाणी,कल्याण सिंह, डॉ.मुरली मनोहर जोशी, उमाजी समेत 32 लोगों के किसी भी षड्यंत्र में शामिल न होने के निर्णय का स्वागत करता हूं. इस निर्णय से यह साबित हुआ है कि देर से ही सही मगर न्याय की जीत हुई है.

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गौरतलब है कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया था. 28 साल बाद इस केस में सीबीआई की विशेष अदालत का फैसला आया जिसमें कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं. लिहाजा, सभी 32 आरोपियों को बरी किया जाता है. इस केस में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती, कल्याण सिंह समेत 49 लोगों को आरोपी बनाया गया था. 17 लोगों की पहले ही मौत हो चुकी थी. बाकी 32 लोगों को सबूतों के अभाव में सीबीआई की विशेष अदालत ने बरी कर दिया है. लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत के जज सुरेंद्र कुमार यादव ने अपना फैसला सुनाते कहा कि ये घटना पूर्व नियोजित नहीं थी, बल्कि अचानक हुई. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि भीड़ ने ढांचा गिराया था, जबकि जिन लोगों को आरोपी बनाया गया उन्होंने तो ढांचा गिराने से रोकने की कोशिश की थी.

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28 साल पुराने इस केस में जज सुरेंद्र कुमार यादव ने फैसला सुनाया है. कोर्ट ने इस केस में पेश किए गए सबूतों को पर्याप्त नहीं माना है. 2300 पन्नों के फैसले में कोर्ट ने कहा है कि ढांचा गिराने में विश्व हिंदू परिषद का कोई रोल नहीं था, बल्कि कुछ असामाजिक तत्वों ने पीछे से पत्थरबाजी की थी और ढांचा गिराने में कुछ शरारती तत्वों का हाथ था. कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि कोई भी सबूत आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं था. बता दें कि इस मामले में जो भी आरोपी थे उन पर साजिश रचने जैसे गंभीर आरोप थे लेकिन कोर्ट ने कहा है कि जो सबूत पेश किए गए उनसे यह साबित नहीं होता है और विध्वंस की घटना अचानक हुई थी, वो कोई साजिश नहीं थी.

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