Prayagraj Lakhpati Sweeper: हालांकि यह साफ नहीं है कि धीरज ने उधार लिए पैसे कभी लौटाए या नहीं और अगर दिए भी तो लोन वापस करने के लिए उसे पैसे कहां से मिले. धीरज प्रयागराज के जिला लेप्रोसी अस्पताल में स्वीपर और सुरक्षा गार्ड के पद पर काम करता था.
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UP Sweeper Dies: इंसान सारी उम्र पैसा जोड़ने के लिए मशक्कत करता है और अंत में सब यहीं रह जाता है. ये बात अकसर आपने बुजुर्गों से सुनी होगी. ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश में सामने आया है. प्रयागराज के एक अस्पताल में सफाई कर्मचारी धीरज की रविवार तड़के ट्यूबरक्लोसिस (TB) से मौत हो गई. उनके परिवार में उनकी 80 वर्षीय मां और एक बहन है. धीरज के पिता भी उसी अस्पताल में सफाई कर्मचारी थे और उनकी मौत के बाद धीरज को नौकरी मिल गई थी. अस्पताल में उसकी कंजूसी के किस्से खूब चर्चा में रहते थे.
किसी अजीब कारण से, पिता और फिर धीरज ने कभी भी अपने सैलरी अकाउंट से एक भी पैसा नहीं निकाला था. मृतक के एक दोस्त ने बताया, 'धीरज ने कभी भी अपने खाते से पैसे नहीं निकाले. वह और उनकी मां पेंशन पर जीवित रहे और अगर उन्हें पैसे की जरूरत होती, तो वह दोस्तों, कार्यकर्ताओं और यहां तक कि बाहरी लोगों से भी मांगते थे. उनके खाते में 70 लाख रुपये से अधिक है.' उसने टीबी के इलाज तक के लिए भी अपने अकाउंट से पैसे नहीं निकाले थे.
कुछ महीने पहले, कुछ अधिकारी धीरज से पैसे के बारे में पूछताछ करने आए और उन्होंने अपने स्पष्टीकरण से उन्हें संतुष्ट किया. दोस्त ने कहा, 'उसने शादी नहीं की क्योंकि उसे डर था कि महिला उसके पैसे लेकर भाग जाएगी.वह हर साल आयकर रिटर्न भी दाखिल करते थे.'
लोग अकसर उसे भीख मांगकर जिंदगी जीने वाला बताते थे. हालांकि यह साफ नहीं है कि धीरज ने उधार लिए पैसे कभी लौटाए या नहीं और अगर दिए भी तो लोन वापस करने के लिए उसे पैसे कहां से मिले. धीरज प्रयागराज के जिला लेप्रोसी अस्पताल में स्वीपर और सुरक्षा गार्ड के पद पर काम करता था. वह अपनी मां और बहन के साथ अस्पताल परिसर के अंदर रहता था. हर कोई यही चर्चा कर रहा है कि अगर उसने कंजूसी नहीं दिखाई होती और टीबी का इलाज करा लिया होता तो शायद उसे दुनिया छोड़कर नहीं जाना पड़ता.
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