GPS हुआ पुराना, UP सरकार ने बना रही GIS प्‍लेटफॉर्म, यात्रियों को मिलेगी सड़कों की सटीक जानकारी
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GPS हुआ पुराना, UP सरकार ने बना रही GIS प्‍लेटफॉर्म, यात्रियों को मिलेगी सड़कों की सटीक जानकारी

UP PWD GIS: उत्तर प्रदेश में लोक निर्माण विभाग एक भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) आधारित प्लेटफॉर्म विकसित कर रहा है, जो यूजर्स को सड़क की वास्तविक स्थिति प्रदान करेगा.

GPS हुआ पुराना, UP सरकार ने बना रही GIS प्‍लेटफॉर्म, यात्रियों को मिलेगी सड़कों की सटीक जानकारी

Geographic Information System: सड़क पर यात्रा के दौरान सुरक्षा के साथ सुहाना सफर हो इसके लिए उत्तर प्रदेश में लोक निर्माण विभाग (UP PWD) ने गजब का प्लान बनाया है और एक भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) आधारित प्लेटफॉर्म विकसित कर रहा है. इस प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों को सड़क की वास्तविक स्थिति प्रदान मिलेगी.

यूजर्स को मिलेगी सड़कों की सही जानकारी

उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग (UP PWD) के भौगोलिक सूचना प्रणाली (Geographic Information System) आधारित इस प्लेटफॉर्म के जरिए सड़कों की सही जानकारी मिलेगी. यूजर्स इस प्लेटफॉर्म के जरिए अपनी यात्रा शुरू करने से पहले सड़क की स्थिति की सटीक जानकारी हासिल कर सकते हैं.

आंतरिक कार्यो के लिए किया जा रहा प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल

पीडब्ल्यूडी (PWD) के प्रधान सचिव नरेंद्र भूषण ने संवाददाताओं से कहा कि भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) आधारित इस प्लेटफॉर्म का उपयोग आंतरिक कार्यो के लिए किया जा रहा है, जैसे कि लागत मीट्रिक के साथ सिस्टम पर जानकारी को अपडेट करना, इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के लिए एक नेविगेशन पैनल प्रदान करना आदि. इसकी निगरानी के लिए तीन लाख किलोमीटर का रोड नेटवर्क होगा. विभाग राज्य के राजमार्गो और इसके तहत आने वाली अन्य सड़कों के 55,000 किलोमीटर के विवरण को एकीकृत कर रहा है.

मूल्यांकन सॉफ्टवेयर प्रणाली 'प्रहरी' शुरू

विभाग द्वारा कॉन्ट्रैक्ट देने के लिए तकनीकी बोली मूल्यांकन सॉफ्टवेयर प्रणाली 'प्रहरी' शुरू की गई है. अधिकारी ने कहा, 'ए, बी, सी और डी समूहों के तहत सभी कॉन्ट्रैक्टर कैटेगिरी को दो साल पहले लॉन्च किए गए सॉफ्टवेयर के महत्व के बारे में प्रशिक्षित किया गया है.' सॉफ्टवेयर पेश करने से पहले ठेकेदारों द्वारा प्रदान की गई तकनीकी बोलियों का मैन्युअल रूप से मूल्यांकन किया गया था और वरिष्ठ अधिकारियों से पक्षपात से संबंधित शिकायतें की गई थीं. प्रहरी ने न केवल वैज्ञानिक मूल्यांकन पद्धति लाई, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि प्रक्रिया निर्धारित समय सीमा के भीतर समाप्त हो जाए और सबसे उपयुक्त बोलीदाता को शॉर्टलिस्ट किया जाए.
(इनपुट- न्यूज एजेंसी आईएएनएस)

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