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गोपेश्वर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narenrdra Modi) के पांच नवंबर के दौरे से पहले सोमवार को उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) को देवस्थानम बोर्ड को लेकर केदारनाथ (Kedarnath) में आंदोलनरत तीर्थ पुरोहितों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा. विरोध के चलते रावत को बाबा के दर्शन के बिना ही उल्टे पांव लौटना पड़ा.
पूर्व मुख्यमंत्री के केदारनाथ (Kedarnath) पहुंचने पर हेलीपैड से मंदिर के रास्ते में तीर्थ पुरोहितों ने उन्हें काले झंडे दिखाए और उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए उन्हें वहां से वापस जाने को मजबूर कर दिया. इस दौरान त्रिवेंद्र सिंह बाबा केदार के दर्शन भी नहीं कर पाए. हालांकि, इससे पहले एक अन्य हैलीकॉप्टर से वहां पहुंचे प्रदेश के कैबिनेट मंत्री डॉक्टर धनसिंह रावत और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने भगवान केदारनाथ के दर्शन और पूजा अर्चना की. तीनों नेता शुक्रवार को प्रधानमंत्री के प्रस्तावित दौरे से जुड़ी व्यवस्था देखने के लिए केदारनाथ पहुंचे थे.
गौरतलब है कि चारधाम सहित प्रदेश के 51 मंदिरों के रखरखाव और प्रबंधन के लिए चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के गठन के प्रावधान वाला अधिनियम दो साल पहले त्रिवेंद्र सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में ही राज्य विधान सभा में पारित किया गया था. चारों धामों- बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहितों का आरोप है कि बोर्ड का गठन उनके पारंपरिक अधिकारों का हनन है. इसे भंग करने की मांग को लेकर वे लंबे समय से आंदोलनरत हैं.
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पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद जुलाई में उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड अधिनियम के परीक्षण और उसमें 'सकारात्मक संशोधन' का सुझाव देने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की थी. इस समिति ने पिछले महीने अपनी अंतरिम रिपोर्ट दी है हालांकि, अभी उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई है. देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांग पर अड़े तीर्थ पुरोहितों को कांग्रेस महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आश्वासन दिया है कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो उनकी मांगें मान ली जाएंगी.
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