Karnataka Assembly Election 2023: बेलगावी की 18 विधानसभा सीटों में 2018 के चुनावों के दौरान बीजेपी को 10 और कांग्रेस को 8 सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन कांग्रेस के तीन विजयी विधायक बाद में बीजेपी में शामिल हो गए थे.
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Tough fight between bjp-congress in Belagavi: बेंगलुरु सिटी (Bengaluru City) के बाद कर्नाटक में सर्वाधिक विधानसभा सीट वाले बेलगावी जिले में स्थानीय मुद्दों की अपेक्षा लिंगायत राजनीति (Lingayat Politics) छाए रहने के कारण बीजेपी (BJP) और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला होने के आसार हैं, लेकिन सीमा संबंधी मुद्दों को उठाने की कोशिश कर रही महाराष्ट्र एकीकरण समिति (MES) कुछ सीटों पर इन दोनों दलों का खेल बिगाड़ सकती है.
बेलगावी का सियासी समीकरण
सीमावर्ती बेलगावी जिले में 18 विधानसभा क्षेत्र हैं. यह जिला लिंगायत समुदाय का मजबूत गढ़ है और पिछले दो दशक से बीजेपी का गढ़ रहा है. पिछले 3 चुनावों की तरह ही अधिकतर विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना है. केवल 5 सीट पर शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) समर्थित महाराष्ट्र एकीकरण समिति उन्हें कुछ नुकसान पहुंचा सकती है. इन सीटों से एमईएस ने स्थानीय उम्मीदवारों को खड़ा किया है. एमईएस बेलगावी और अन्य मराठी भाषी इलाकों को महाराष्ट्र में शामिल किए जाने की मुखर समर्थक है.
दिग्गज नेता बी एस येदियुरप्पा को दरकिनार करने के बाद लिंगायत समुदाय में पैदा हुई नेतृत्व की कमी, सुरेश अंगड़ी एवं उमेश कट्टी जैसे कुछ प्रमुख स्थानीय लिंगायत बीजेपी नेताओं के निधन और अनुसूचित जनजाति समुदाय से संबंध रखने वाले एवं राजनीतिक रूप से प्रभावशाली जारकीहोली परिवार के बढ़ते दबदबे का असर मतदान पर भी पड़ने की संभावना है.
कड़े मुकाबले में कौन मारेगा बाजी?
आगामी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं दिए जाने से नाराज तीन बार के विधायक और पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी सहित कई असंतुष्ट भाजपा नेताओं के पार्टी छोड़ देने से यहां बीजेपी को कुछ नुकसान हो सकता है.
दूसरी ओर, एमईएस बेलगावी में सीमा संबंधी मुद्दों को जीवित रखने की भरसक कोशिश कर रही है. बेलगावी में मराठी भाषी जनसंख्या करीब 40 प्रतिशत है. उन पांच निर्वाचन क्षेत्रों में त्रिकोणीय मुकाबले से राष्ट्रीय दलों को नुकसान हो सकता है, जहां मराठी भाषी लोग बहुसंख्यक हैं.
मराठों का वर्चस्व और तीन शक्तिशाली राजनीतिक परिवार
इस जिले के पांच निर्वाचन क्षेत्रों में मराठों का वर्चस्व है, जबकि शेष 13 निर्वाचन क्षेत्रों में से अधिकतर में लिंगायत बहुसंख्यक हैं. इसके अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और अनुसूचित जाति/ जनजाति (SC/ST) की भी अच्छी खासी आबादी है और जिले में इन समूहों के लिए दो सीट आरक्षित हैं.
इस जिले में कई निर्वाचित प्रतिनिधि चीनी के व्यापारी हैं और तीन शक्तिशाली राजनीतिक परिवार - जारकीहोली, जोले और खट्टी- का अच्छा खासा प्रभाव है.
जारकीहोली परिवार से रमेश जारकीहोली और बालचंद्र जारकीहोली क्रमशः गोकक और अराभवी विधानसभा क्षेत्रों से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. परिवार के एक अन्य सदस्य सतीश जारकीहोली यमकनमर्दी सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
एक अन्य प्रमुख परिवार जोले है, जिसका प्रतिनिधित्व वर्तमान मुजराई (धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती) मंत्री शशिकला जोले करती हैं. वह निप्पनी निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. उनके पति अन्ना साहब जोले बेलगावी जिले के चिकोडी से भाजपा के लोकसभा सदस्य हैं.
खट्टी परिवार से, रमेश खट्टी चिकोड़ी -सदलगा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि उनके भतीजे निखिल खट्टी अपने पिता उमेश खट्टी के असामयिक निधन के बाद हुक्केरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं. उमेश खट्टी आठ बार विधायक और छह बार मंत्री रहे थे.
18 सीटों पर फिलहाल ये है स्थिति
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक बेलगावी जिले की 18 विधानसभा सीटों में 39 लाख से ज्यादा वोटर्स हैं जिनमें 1968928 पुरुष और 1932576 महिला मतदाता वहीं 141 अन्य के रूप में पंजीकृत हैं. 2018 के चुनावों में बीजेपी ने 10 और कांग्रेस ने 8 सीट पर जीत हासिल की थी, लेकिन कांग्रेस के तीन विजयी नेता बाद में बीजेपी में शामिल हो गए थे.
(एजेंसी इनपुट के साथ)