Dara Shikoh: क्या शाहजहां के अतिरेक प्रेम ने दारा शिकोह को बना दिया था अयोग्य शासक? भाई औरंगजेब के हाथों मिली थी भयानक मौत
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Dara Shikoh: क्या शाहजहां के अतिरेक प्रेम ने दारा शिकोह को बना दिया था अयोग्य शासक? भाई औरंगजेब के हाथों मिली थी भयानक मौत

Power Struggle in Mughals: क्या मुगल बादशाह शाहजहां के ज्यादा प्यार ने बड़े बेटे दारा शिकोह को अयोग्य शासक बना दिया था. जिसके चलते उसे भाई औरंगजेब के हाथों भयानक मौत झेलनी पड़ी. आज इतिहास की ऐसी ही एक घटना से आपको रूबरू करवाते हैं. 

Dara Shikoh: क्या शाहजहां के अतिरेक प्रेम ने दारा शिकोह को बना दिया था अयोग्य शासक? भाई औरंगजेब के हाथों मिली थी भयानक मौत

Struggle for Power in Mughals between Dara Shikoh and Aurangzeb: भारत पर हमला कर उसे अपना गुलाम बनाने वाले मुस्लिम हमलावरों में सबसे लंबा राज मुगल वंश ने किया था. इस वंश में एक कहावत बड़ी मशहूर थी, तख्त या ताबूत. यानी कि सुल्तान के बेटों को या तो सत्ता मिलेगी या फिर मौत. बाबर से शुरू होकर यह सिलसिला लगातार औरंगजेब के समय तक लगातार चलता रहा. औरंगजेब ने भी दारा शिकोह समेत अपने 3 भाइयों की गर्दन काटकर सुल्तान की गद्दी हासिल की थी. 

शाहजहां ने भाइयों को मारकर हासिल की थी सत्ता

इतिहासकारों के मुताबिक जब शाहजहां (Shah Jahan) मुगल बादशाह बना तो उसने अपने सगे भाइयों शहरयार और खुसरो को मरवा दिया था, जिससे वे बाद में गद्दी पर दावा न कर सकें. इसके साथ ही अपना रास्ता साफ करने के लिए चचेरे भाइयों और 2 भतीजों की गर्दन भी कलम करवा दी थी. जो काम शाहजहां और उससे पहले के मुगल बादशाहों ने किया था, उसी को औरंगजेब भी शिद्दत से आगे बढ़ाया. 

दारा शिकोह से बेहद लगाव रखता था शाहजहां

दरअसल शाहजहां (Shah Jahan) के 4 बेटे थे, जिनके नाम औरंगजेब, दारा शिकोह, मुराद और शाहशुजा थे. इनमें से शाहजहां, दारा शिकोह (Dara Shikoh) से बहुत लगाव रखता था. उसने बाकी तीनों बेटों में सैन्य अभियानों की जिम्मेदारी बांट रखी थी. मुराद बख्श को गुजरात, शाहशुजा को बंगाल और औरंगजेब (Aurangzeb) को दक्षिण की जिम्मेदारी दी गई थी. जबकि दारा शिकोह से बेहद लगाव होने की वजह से शाहजहां उसे सैन्य अभियानों में भेजने से बचता था और उसे हमेशा अपने सामने महलों में रखता था. 

युद्ध रणनीति की समझ न होना दारा को पड़ा भारी

शाहजहां (Shah Jahan) के इस अतिरेक प्यार की वजह से दारा शिकोह (Dara Shikoh) को न तो युद्ध की रणनीतियों की समझ हो पाई और न ही वह शासन चलाने का हुनर सीख पाया. हालांकि वह एक सूफी विचारक, कवि, धर्मशास्त्री और ललित कला का प्रेमी था. उसे जंग के मैदन, प्रशासन, जंग का मैदान और सैन्य अभियानों में कोई दिलचस्पी नहीं थी, जो आखिरकार औरंगजेब के साथ हुई सत्ता की जंग में उस पर भारी पड़ी. जिसके चलते दरबारीगण उसे अयोग्य शासक मानने लगे थे.

शाहजहां ने दारा शिकोह को बनाया उत्तराधिकारी

अपने वंश के गद्दी के लिए खूनखराबे के इतिहास का शाहजहां (Shah Jahan) को अच्छी तरह पता था. इसलिए उसने अपने जीवित रहते दारा शिकोह (Dara Shikoh) को बादशाह घोषित करने का फैसला कर लिया. उसने एक दिन दरबार में ऐलान किया कि उसकी मौत के बाद दारा शिकोह मुगल सल्तनत का अगला बादशाह बनेगा. इस ऐलान के साथ ही शाहजहां ने उसे 2 लाख रुपये इनाम का नजराना और रोजाना 1 हजार रुपये भत्ता देने की घोषणा की. 

औरंगजेब ने बाप के खिलाफ कर दी थी बगावत

शाहजहां (Shah Jahan) की इस घोषणा से औरंगजेब (Aurangzeb) अंदर तक तिलमिला गया. उसे लगा कि शाहजहां ने उसके साथ अन्याय किया है. उसने खुद को अगला बादशाह बनाने की ठान ली और गद्दी के लिए बगावत कर दी. सत्ता की इस जंग में औरंगजेब ने दारा शिकोह (Dara Shikoh) को हराकर कैद कर लिया. इसके बाद उसका सिर कटवाकर उसे पूरी दिल्ली में घुमवाया. साथ ही बाकी दोनों भाइयों को भी मार दिया. 

बदल सकता था मुगलों का इतिहास!

इतिहासकार कहते हैं कि दारा शिकोह (Dara Shikoh) ने अगर वक्त रहते युद्ध रणनीति और शासन की कला सीख ली होती तो उसे औरंगजेब (Aurangzeb) के हाथों इस तरह भयानक मौत हासिल नहीं होती. साथ ही मुगलों का इतिहास भी कुछ ओर होता.

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