Shashi Tharoor News: ...जब UN में सेवा के दौरान थरूर को मांगना पड़ा 'लाइसेंस टू राइट', खुद बताया वो दिलचस्प किस्सा
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Shashi Tharoor News: ...जब UN में सेवा के दौरान थरूर को मांगना पड़ा 'लाइसेंस टू राइट', खुद बताया वो दिलचस्प किस्सा

Shashi Tharoor New Book: कांग्रेस सांसद शशि थरूर अंग्रेजी भाषा में लेखनी के धनी माने जाते हैं लेकिन वे जब संयुक्त राष्ट्र में काम करते थे तो उनके लिए लेखन करना इतना आसान न था. इसके लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी थी.

Shashi Tharoor News: ...जब UN में सेवा के दौरान थरूर को मांगना पड़ा 'लाइसेंस टू राइट', खुद बताया वो दिलचस्प किस्सा

Licence to Kill Anecdote: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर अंग्रेजी भाषा की शब्दावली और इसके लेखन में महारथी माने जाते हैं. हालांकि संयुक्त राष्ट्र में अपने कार्यकाल की शुरुआत में उन्हें लेखन को लेकर मशक्कत करनी पड़ी. तब लेखन के अपने शौक को जारी रखने के लिए उन्हें संस्था के कार्मिक प्रमुख से मशहूर जासूसी पात्र जेम्स बॉड के 'लाइसेंस टू किल' की तर्ज पर लिखने का अधिकार (लाइसेंस टू राइट) मांगना पड़ा था. 

10 साल की उम्र में छपी थरूर की कहानी

कांग्रेसी सांसद थरूर की पहली कहानी 10 साल की उम्र में एक भारतीय अंग्रेजी पत्रिका में प्रकाशित हुई थी. द्वितीय विश्व युद्ध में एक एंग्लो-इंडियन लड़ाकू पायलट के बारे में उनके एक उपन्यास को उस वक्त अखबार में श्रृखंला के तौर पर स्थान मिला था. तब वह 11 साल के भी नहीं हुए थे. अपनी नई पुस्तक ‘द वंडरलैंड ऑफ वर्ड्स’’ के विमोचन के मौके पर शुक्रवार को थरूर ने लेखन के प्रति अपने प्रेम व इस सफर का उल्लेख किया. साथ ही संयुक्त राष्ट्र में सेवा के दौरान 'कर्मचारियों के लिए सख्त आचार संहिता' के बीच अपने लेखन को जारी रखने का दिलचस्प किस्सा भी साझा किया. 

बचपन से लिखने की पड़ गई थी आदत- शशि थरूर

शशि थरूर (68) ने कहा, ‘मुझे बचपन से लिखने की आदत पड़ गई थी और सभी भारतीय पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में मेरी रचनाएं प्रकाशित होती थी. लेखन के कीड़े ने मुझे कभी नहीं छोड़ा. मैं अकसर जॉर्ज बर्नाड शाह के प्रसिद्ध वाक्य 'मैं उसी कारण से लिखता हूं जिस कारण गाय दूध देती है' का उल्लेख करता हूं.... ’’ उनके अनुसार, 1978 में जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) में एक स्टाफ सदस्य के रूप में शामिल होने के बाद वह ‘किसी भी वाह्य गतिविधियों’ के लिए अनुमति मांगने को अपने कार्मिक प्रमुख के पास पहुंचे. 

'आप किसी भी सदस्य देश को नाराज नहीं करेंगे'

तिरुवनंतपुरम से चुनाव जीतने वाले कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘मैं कार्मिक प्रमुख के पास गया और बोला कि अगर लोग सप्ताहांत में क्रिकेट खेल सकते हैं या तितलियां पकड़ सकते हैं तो मैं क्यों नहीं लिख सकता? मुझे बताया गया कि आपको लिखने की अनुमति दी जा सकती है, बशर्ते कि आप किसी भी सदस्य देश को नाराज नहीं करें. यही एकमात्र शर्त थी, इसलिए मुझे वह अनुमति मिल गई.’

'मैंने कई किताबें लिखीं', थरूर ने बताया अनुभव

उन्होंने कहा, ‘मैं मज़ाक में कहता था कि जैसे जेम्स बॉन्ड के पास ‘लाइसेंस टू किल’ था, वैसे ही मेरे पास ‘लिखने का लाइसेंस’ है और इसलिए मुझे इस लाइसेंस का हर साल नवीनीकरण कराना होगा.’ थरूर ने संयुक्त राष्ट्र में अपने करियर के दौरान ने "रीज़न्स ऑफ स्टेट", "द ग्रेट इंडियन नॉवेल", "द फाइव डॉलर स्माइल एंड अदर स्टोरीज़", और "इंडिया: फ्रॉम मिडनाइट टू द मिलेनियम’ समेत कई किताबें लिखीं.

(एजेंसी भाषा) 

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