R K Chaudhary: सपा सांसद आरके चौधरी ने कहा कि संविधान लोकतंत्र का प्रतीक है. अपने पिछले कार्यकाल में, पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने संसद में सेंगोल स्थापित किया था. इसका मतलब 'राजदंड' है.
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संसद में INDIA गठबंधन की संख्या बढ़ते ही विपक्षी दलों के सांसद अपनी हर वो बात मुखरता से कह रहे हैं, जो वे पिछली सरकार में नहीं कह पा रहे थे. मोहनलालगंज से समाजवादी पार्टी के लोकसभा सांसद आरके चौधरी ने एक नई मांग करते हुए बहस छेड़ दी है. उन्होंने स्पीकर और प्रोटेम स्पीकर को चिट्ठी लिखी है जिसमें संसद में लगे सेंगोल पर सवाल उठाए हैं.
सेंगोल की जगह संविधान की विशालकाय प्रति लगाएं
सपा सांसद ने चिट्ठी में कहा है कि आज, मैंने इस सम्मानित सदन में आपके समक्ष सदस्य के रूप में शपथ ली है कि 'मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा' लेकिन मैं सदन में पीठ के ठीक दाईं ओर सेंगोल देखकर हैरान रह गया. महोदय, हमारा संविधान भारतीय लोकतंत्र का एक पवित्र ग्रंथ है, जबकि सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है. हमारी संसद लोकतंत्र का मंदिर है, किसी राजे-रजवाड़े का महल नहीं." सांसद आरके चौधरी ने आगे कहा, "मैं आग्रह करना चाहूंगा कि संसद भवन में सेंगोल हटाकर उसकी जगह भारतीय संविधान की विशालकाय प्रति स्थापित की जाए."
#WATCH | Samajwadi Party Lok Sabha MP RK Chaudhary says, "The Constitution is the symbol of democracy. In its previous tenure, the BJP govt under the leadership of PM Modi installed 'Sengol' in Parliament. 'Sengol' means 'Raj-Dand'. It also means 'Raja ka Danda'. After ending the… pic.twitter.com/LXM8iS0ssO
— ANI (@ANI) June 26, 2024
लोकतंत्र का प्रतीक संविधान है...
सपा सांसद आरके चौधरी ने कहा कि संविधान लोकतंत्र का प्रतीक है. अपने पिछले कार्यकाल में, पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने संसद में सेंगोल स्थापित किया था. इसका मतलब 'राजदंड' है. राजसी व्यवस्था खत्म होने के बाद देश आजाद हो गया है. देश अब 'राज डंड' से चलेगा या संविधान से? मैं मांग करता हूं कि संविधान को बचाने के लिए सेंगोल को संसद से हटाया जाए.
नेहरू को आजादी की रात अंग्रेजों ने सौंपा था
गौरतलब है कि नए संसद भवन में सेंगोल को स्थापित किया गया था. इस सेंगोल को देश को आजादी मिलने के वक्त 14 अगस्त 1947 की रात अंग्रेजों ने सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक स्वरूप पंडित जवाहर लाल नेहरू को सौंपा था. बाद में यह कई हाथों से होते हुए गुम सी हो गई. मोदी सरकार ने इसका पता लगवाया और फिर तमिलनाडु के एक मंदिर से इसे लाया गया. मोदी सरकार ने इसे बड़े ही धूमधाम से स्थापित किया था. अब सपा सांसद ने इस पर सवाल खड़े कर नई बहस को जन्म दे दिया है.
क्या है सेंगोल का इतिहास
सेंगोल दरअसल सोने की छड़ी है, जिस पर पारंपरिक कलाकृति बनी है. इसके सिर पर नंदी विराजमान हैं. सेंगोल का चोल वंश से गहरा नाता है. चोल काल के दौरान, राजाओं के राज्याभिषेक समारोहों में सेंगोल का बहुत महत्व था. यह एक भाले या ध्वजदंड के रूप में कार्य करता था, जिसमें बेहतरीन नक्काशी थी. सेंगोल को अधिकार का प्रतीक माना जाता था, जो एक शासक से दूसरे शासक को सत्ता सौंपते वक्त देता था.