BJP leader Lal Krishna Advani News: केंद्र में लगातार तीसरी बार सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लौह पुरुष के नाम से लोकप्रिय और भारत रत्न से सम्मानित पूर्व उप प्रधानमंत्री और पूर्व गृह मंत्री भारत लालकृष्ण आडवाणी की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया. बीते दो हफ्तों से उनकी हालत नाजुक बनी हुई है.
Trending Photos
Bharat Ratna Lal Krishna Advani: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के मौजूदा सबसे उम्रदराज राजनेता और लौह पुरुष के नाम से लोकप्रिय देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री और पूर्व गृह मंत्री भारत रत्न लालकृष्ण आडवाणी की तबीयत एक बार फिर बिगड़ गई. रूटीन चेकअप और जूरी इलाज के लिए उन्हें नई दिल्ली के अपोलो अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया. जानकारी के मुताबिक, बीते दो हफ्तों से उनकी हालत नाजुक बनी हुई है.
मेडिकल बुलेटिन के मुताबिक आडवाणी की हालत स्थिर
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में न्यूरोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. विनीत सूरी की देखरेख में उनका इलाज किया जा रहा है. अपोलो अस्पताल के अधिकारियों के मुताबिक, भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आडवाणी की स्थिति फिलहाल स्थिर बताई जा रही है. भाजपा की नींव रखने वाले लाल कृष्ण आडवाणी को शुक्रवार को देर रात भर्ती कराए जाने के बाद आज अपोलो अस्पताल की तरफ से उनके स्वास्थ्य की ताजा जानकारी सार्वजनिक की गई. मेडिकल बुलेटिन के मुताबिक उनकी हालत स्थिर है.
7 महीने में चौथी बार बिगड़ चुकी है आडवाणी की तबीयत
इससे पहले 4 जुलाई, 2024 को भी लाल कृष्ण आडवाणी को अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उससे कुछ दिन पहले उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में रेगुलर चेकअप के लिए ले जाया गया था. उन्हें एम्स में जांच के अगले दिन ही छुट्टी दे दी गई थी. इसके बाद 6 अगस्त को भी उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था. हालांकि उनकी बेटी प्रतिभा आडवाणी ने तब भी बताया था कि आडवाणी रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल ले जाया गया था. इस तरह बीते 7 महीने में चौथी बार उनकी तबीयत बिगड़ चुकी है.
साल 1927 में कराची में हुआ था लाल कृष्ण आडवाणी का जन्म
लाल कृष्ण आडवाणी का जन्म कराची (अब पाकिस्तान में) में साल 1927 में हुआ था. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवक के रूप में की थी. साल 2002 से 2004 तक वह अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में उपप्रधानमंत्री थे. साल 2015 में लाल कृष्ण आडवाणी को भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण और 2024 में सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.
97 वर्षीय लाल कृष्ण आडवाणी को बढ़ी सर्दी-खांसी की परेशानी
परिजनों के मुताबिक, 97 वर्षीय लाल कृष्ण आडवाणी को पॉल्यूशन के चलते बढ़ी सर्दी-खांसी की परेशानी के चलते करीब दो दिन पहले अस्पताल लाया गया था. फिलहाल उन्हें 48 घंटे के लिए न्यूरोलॉजी विभाग में डॉ. विनीत सूरी की देखरेख में रखा गया है. डॉक्टर्स की टीम के मुताबिक, उन्हें रविवार को डिस्चार्ज किया जा सकता है. इससे पहले, 26 जून को एम्स, दिल्ली में यूरोलॉजी डिपार्टमेंट में एक छोटे ऑपरेशन के अगले दिन उन्हें डिस्चार्ड कर दिया गया था.
उम्र ज्यादा होने के कारण डॉक्टर्स की निगरानी में ही रहने की जरूरत
उसके करीब एक हफ्ते बाद 3 जुलाई को रात 9 बजे अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तब भी एक दिन के बाद ही उन्हें घर भेज दिया गया था. इसके बाद 6 अगस्त को भी उन्हें रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उम्र ज्यादा होने के कारण आडवानी को लंबे समय से लगातार डॉक्टर्स की निगरानी में ही रहना पड़ रहा है.
भाजपा के संस्थापक सदस्य और देश के सातवें उप प्रधानमंत्री रहे आडवाणी
हाल ही में 8 नवंबर, 2024 को लालकृष्ण आडवाणी के जन्मदिन और उसके पहले लोकसभा चुनाव 2024 में NDA की लगातार तीसरी बार जीत के बाद 7 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे आशीर्वाद लेने उनके आवास पर पहुंचे थे. भाजपा के संस्थापक सदस्य और देश के सातवें उप प्रधानमंत्री रहे आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची में हुआ था. आडवाणी ने 1987 में सोमनाथ से अयोध्या तक राम रथ यात्रा निकाली थी. तब नरेंद्र मोदी और प्रमोद महाजन ने इसकी जिम्मेदारी संभाली थी. हालांकि यह रथ यात्रा बिहार के समस्तीपुर में आडवाणी की गिरफ्तारी के साथ थम गई थी.
ये भी पढ़ें - लालकृष्ण आडवाणी की तबीयत बिगड़ी, दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती
आडवाणी की यात्रा से भाजपा और हिंदुत्व की राजनीति को मिली पहचान
साल 1984 में दो सीट जीतने वाली भाजपा को लाल कृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा के चलते साल 1991 के लोकसभा चुनाव में 120 सीटें मिली थी. इस यात्रा से आडवाणी पूरे देश में एक हिन्दूवादी नेता के तौर पर मशहूर हुए और मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात और बिहार जैसे राज्यों में भाजपा को नई पहचान मिली थी. वहीं, राजनीतिक तौर पर मंडल की काट के रूप में हिंदुत्व का समीकरण सामने आया था. आडवाणी का राजनीतिक जीवन बेदाग रहा और उन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद का सम्मान भी मिला हुआ है.
ये भी पढ़ें - LK Advani: पहले चुनाव से आज तक राजनीति को कैसे प्रभावित कर रहे आडवाणी? आजादी के बाद क्यों शिक्षक-पत्रकार से नेता बने