Chandrababu-Revanth: चंद्रबाबू के साथ रेवंत रेड्डी की गलबहियां... यह फोटो देख बीजेपी के सीने पर लोट जाएगा सांप!
Advertisement
trendingNow12325430

Chandrababu-Revanth: चंद्रबाबू के साथ रेवंत रेड्डी की गलबहियां... यह फोटो देख बीजेपी के सीने पर लोट जाएगा सांप!

Telangana Andhra Negotiations: तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और आंध्र प्रदेश के सीएम एन चंद्रबाबू नायडू ने शनिवार शाम को हैदराबाद के बेगमपेट में ज्योतिराव फुले प्रजा भवन में मुलाकात की. रेड्डी के साथ उनके डिप्टी भट्टी विक्रमार्क और वरिष्ठ मंत्री डी श्रीधर बाबू और पोन्नम प्रभाकर भी थे. वहीं, नायडू के साथ मंत्री के दुर्गेश, सत्य कुमार यादव और बी सी जनार्दन थे. 

 

Chandrababu-Revanth: चंद्रबाबू के साथ रेवंत रेड्डी की गलबहियां... यह फोटो देख बीजेपी के सीने पर लोट जाएगा सांप!

Revanth Reddy Hugging Chandrababu Naidu: तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने गले मिलकर दोनों राज्यों के बीच जारी संघर्ष के मुद्दे पर बातचीत का मुश्किल दौर शुरू किया है. एक दशक बाद दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच इतनी गर्मजोशी दिखी है. हालांकि, कांग्रेस के सीएम के साथ टीडीपी प्रमुख की गलबहियां देखकर केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के सीने पर सांप जरूर लोट जाएगा.

एनडीए की सहयोगी टीडीपी और कांग्रेस के सीएम की मुलाकात

तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने हैदराबाद में प्रजा भवन पहुंचने पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू का स्वागत किया. तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री भट्टी विक्रमार्क मल्लू भी नायडू की आगवानी में मुस्तैद दिखे. एनडीए की सहयोगी टीडीपी और कांग्रेस नेताओं की नजदीकियां देखकर दिल्ली तक राजनीतिक सरगर्मियां और चर्चाएं तेज हो गईं. हालांकि, इस खास मुलाकात की वजहें स्थानीय, प्रशासनिक और बेहद अहम थी.  

कैबिनेट के कई साथियों सहित दोनों मुख्यमंत्रियों के बीच मुलाकात

जून 2014 में आंध्र प्रदेश के विभाजन के करीब 10 साल बाद दोनों राज्यों तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने लंबित मुद्दों पर चर्चा और समाधान के लिए शनिवार को हैदराबाद में मुलाकात की. तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और उनके आंध्र के समकक्ष एन चंद्रबाबू नायडू बेगमपेट में ज्योतिराव फुले प्रजा भवन में मिले. रेड्डी के साथ उनके डिप्टी भट्टी विक्रमार्क और वरिष्ठ मंत्री डी श्रीधर बाबू और पोन्नम प्रभाकर भी थे. वहीं, नायडू के साथ मंत्री के दुर्गेश, सत्य कुमार यादव और बी सी जनार्दन थे.

दोनों राज्यों के रिश्ते में वर्षों से जमी बर्फ को तोड़ने की कोशिश

दोनों मुख्यमंत्रियों के साथ उनके संबंधित मुख्य सचिव और अन्य आईएएस अधिकारी भी थे. उन्होंने एक-दूसरे से अपनी मांगों और अपेक्षाओं पर पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन दिए. तेलंगाना सीएमओ के सूत्रों ने कहा कि बैठक दोनों राज्यों के बीच वर्षों से जमी बर्फ को तोड़ने के लिए थी. दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को बताया कि वे क्या चर्चा करना चाहते हैं. साथ ही इस मुद्दे पर एक रोडमैप प्रस्तुत किया कि इसे कैसे हासिल किया जा सकता है. उन्होंने गोदावरी और कृष्णा नदियों के पानी के बंटवारे समेत उन मुद्दों पर भी चर्चा की, जहां केंद्र के हस्तक्षेप की आवश्यकता है.

लंबी चर्चा और बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने के लिए बैठक

एक अधिकारी ने कहा कि चर्चा मुख्य रूप से दोनों सरकारों के लिए बिना किसी कड़वाहट के अहम मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक मंच और एक चैनल स्थापित करने के बारे में थी. यह बैठक लंबी चर्चा और बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने के लिए है. बैठक में मौजूद अधिकारियों के अनुसार, दोनों मुख्यमंत्री पुराने दोस्तों की तरह मिले. उन्होंने बातचीत की मेज पर बैठने से पहले एक-दूसरे को गले लगाया. बाद में दोनों ने मुलाकात की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर डालीं.

क्यों वर्षों से लंबित है तेलंगाना और आंध्र के मुद्दों का निपटारा?

दूसरे सीनियर अधिकारी ने कहा, “चाहे तेलंगाना हो या आंध्र प्रदेश, अगर कोई राज्य किसी मुद्दे पर सहमति जताता है, तो तुरंत आलोचना होगी कि राज्य के हितों की अनदेखी की गई है. यही कारण है कि जगन (आंध्र के पूर्व सीएम वाई एस जगन मोहन रेड्डी) और केसीआर (तेलंगाना के पूर्व सीएम के चंद्रशेखर राव) अपनी बातचीत को आगे नहीं बढ़ा सके. मुद्दों के समाधान और संपत्ति और नकदी का बंटवारा का मतलब कुछ चीजों को छोड़ना होगा. इसे दोनों राज्यों के लोगों और आलोचकों द्वारा खरीद-फरोख्त के रूप में भी देखा जा सकता है.”

चंद्रबाबू नायडू और जगन मोहन से केसीआर की नहीं बनी बात

चंद्रबाबू नायडू 2014 से 2019 तक अपने पहले कार्यकाल में और केसीआर 2014 से 2023 तक सत्ता में रहते हुए लंबित मुद्दों को हल करने के लिए कोई बैठक करने में असमर्थ रहे. इसे एक-दूसरे के लिए शत्रुतापूर्ण रवैया माना गया. जब 2019 में जगन सत्ता में आए, तो केसीआर ने उनका स्वागत किया. दोनों राज्यों के अधिकारियों के बीच कई बैठकें हुईं, लेकिन गतिरोध जारी रहा. क्योंकि किसी ने भी कोई भी आधार छोड़ने से इनकार नहीं किया.

आंध्र में नायडू की सरकार बनने के बाद रेवंत की बढ़ी उम्मीद

जब नायडू की टीडीपी के नेतृत्व वाली एनडीए ने हाल के चुनावों में भारी जीत हासिल की, तो रेवंत ने उन्हें बधाई देते हुए फोन पर दोस्ती का हाथ बढ़ाया. उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों को आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 से संबंधित लंबित मामलों को दोस्ताना माहौल में सुलझाना चाहिए. नायडू ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और 2 जुलाई को रेवंत को एक पत्र लिखकर 6 जुलाई को हैदराबाद में एक बैठक का सुझाव दिया.

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच कम से कम 14 मुद्दे लंबित

दोनों राज्यों के बीच कम से कम 14 मुद्दे लंबित हैं. इनमें दोनों राज्यों द्वारा एक-दूसरे को दिए जाने वाले बिजली के बकाए का भुगतान, 91 संस्थानों का विभाजन और नकद शेष और बैंक में जमा रकम का बंटवारा भी शामिल है. नकदी और परिसंपत्तियों का प्रभावी बंटवारा उन निधियों को अनलॉक करेगा जिनकी दोनों राज्यों को कल्याणकारी योजनाओं के लिए जरूरत है. 

ये भी पढ़ें - Rahul Gandhi: लोको पायलटों से राहुल गांधी की मुलाकात पर मचा बवाल, BJP बोली- किराए के एक्टर्स से मिले!

रेवंत रेड्डी और चंद्रबाबू नायडू के बीच बहुत पुराने सियासी संबंध

रेवंत और नायडू के बीच संबंध बहुत पुराने हैं. रेवंत कई वर्षों तक टीडीपी के साथ रहे और कोडंगल से पार्टी के टिकट पर दो बार 2009 और 2014 में चुने गए. अक्टूबर 2017 में टीडीपी से इस्तीफा देने और कांग्रेस में शामिल होने से पहले रेवंत रेड्डी को चंद्रबाबू नायडू का करीबी माना जाता था. इससे दोनों राज्यों के बीच मामले सुलझने के आसार हैं. हालांकि, इससे केंद्र में सत्तासीन एनडीए के अगुवा भाजपा की त्योरियों पर जोर पड़ना भी लाजिमी है.

ये भी पढ़ें - Hathras Stampede: 'बाबा' पर नहीं चला योगी का बुलडोजर, मायावती खफा और अखिलेश के बदले सुर, जानिए यूपी उपचुनाव का कितना असर

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news