Rajasthan News: राजस्थान के उदयपुर को यूनेस्को के रामसर द्वारा वेटलैंड सिटी में शामिल किया गया है. इंदौर के साथ, उदयपुर भी विश्व के 31 शहरों की इस प्रतिष्ठित सूची का हिस्सा बना है. हालांकि, झीलों की स्थिति को लेकर अव्यवस्था और देखरेख की कमी पर सवाल उठ रहे हैं.
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Rajasthan Wetland City: राजस्थान के उदयपुर (Udaipur) शहर को यूनेस्को (UNESCO) के रामसर द्वारा 'वेटलैंड सिटी' (Wetland City) का दर्जा दिया गया है. विश्व के 31 शहरों की इस सूची में मध्यप्रदेश का इंदौर भी शामिल हुआ है. झीलों की नगरी के लिए यह बड़ी उपलब्धि है, लेकिन जिन झीलों ने यह गौरव दिलाया, उनकी देखरेख और अव्यवस्था पर चिंता गहराती जा रही है.
उदयपुर की पिछोला झील में सीवरेज की गंदगी
पिछोला झील, जिस पर उदयपुर के डेढ़ से दो लाख लोग पीने के पानी के लिए निर्भर करते हैं, गंभीर प्रदूषण का सामना कर रही है. एनडीटीवी की जांच में झील के करीब साढ़े 8 किलोमीटर की परिधि में सीवरेज के नाले गिरते हुए पाए गए और झील में गंदगी स्पष्ट रूप से देखी गई. स्थानीय लोगों ने भी झील में बढ़ती गंदगी और सीवरेज की समस्या को उजागर किया. यह स्थिति झीलों की नगरी को 'वेटलैंड सिटी' का दर्जा मिलने के बावजूद प्रशासन की उदासीनता को दर्शाती है.
वन विभाग के रिटायर अधिकारी और पर्यावरण विशेषज्ञ सतीश शर्मा ने बताया कि पहले रामसर द्वारा केवल वेटलैंड एरिया को ही संरक्षित क्षेत्र के रूप में घोषित किया जाता था, लेकिन अब पूरे शहरों को 'रामसर शहर' का दर्जा दिया जाने लगा है. रामसर शहर का दर्जा केवल जलाशयों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें पूरे पर्यावरणीय तंत्र को शामिल किया जाता है, जिसमें जल और थल दोनों आवासों का संतुलित तालमेल होता है. रामसर शहर का मतलब है कि ऐसा क्षेत्र जो पर्यावरण संरक्षण की नियमावलियों को पूरी तरह फॉलो करता हो और जहां प्राकृतिक आवासों का बेहतर तालमेल नजर आए. उदयपुर का वेटलैंड सिटी के रूप में चयन इसी दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है.
वन विभाग के रिटायर्ड अधिकारी सतीश शर्मा ने उदयपुर को वेटलैंड सिटी के रूप में चुने जाने को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया. उन्होंने कहा कि यह एक तरह का अंतरराष्ट्रीय अवार्ड है, और विश्व के 31 शहरों में उदयपुर का चयन होना गौरव की बात है. इसका सबसे बड़ा लाभ पर्यटन उद्योग को होगा, क्योंकि लोग यह जानने के लिए उत्सुक होंगे कि इस शहर को रामसर की उपाधि क्यों मिली. सतीश शर्मा ने यह भी कहा कि इस उपलब्धि से राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन को अधिक सक्रिय होकर काम करने की प्रेरणा मिलेगी. जलीय और स्थलीय जीवों के संरक्षण के लिए बेहतर प्रयास किए जाएंगे. यह अंतरराष्ट्रीय पहचान न केवल गौरव का विषय है, बल्कि इसे बनाए रखने और बेहतर करने के लिए निरंतर कार्य करने की आवश्यकता है.
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