धोद: लंपी स्किन से पीड़ित गोवंशों की दिन-रात सेवा कर रहे लोगों का किया सम्मान
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धोद: लंपी स्किन से पीड़ित गोवंशों की दिन-रात सेवा कर रहे लोगों का किया सम्मान

प्रवासी भामाशाह आरपी पंसारी द्वारा संचालित आरपी पंसारी जन सेवा ट्रस्ट की ओर से गोवंश के इलाज के लिए पिछले 2 महीने से आइसोलेशन शिविर संचालित हो रहा है. आइसोलेशन शिविर में कस्बे के युवाओं द्वारा दिन रात गोवंश की सेवा की जा रही है. 

धोद: लंपी स्किन से पीड़ित गोवंशों की दिन-रात सेवा कर रहे लोगों का किया सम्मान

Dhod: कस्बे में आरपी पंसारी जन सेवा ट्रस्ट की ओर से लंपी स्किन बीमारी से पीड़ित गोवंशों के इलाज के लिए संचालित आइसोलेशन शिविर में गो सेवा कर रहे गो भक्तों और पशु चिकित्सकों का सम्मान किया गया. 

प्रवासी भामाशाह आरपी पंसारी द्वारा संचालित आरपी पंसारी जन सेवा ट्रस्ट की ओर से गोवंश के इलाज के लिए पिछले 2 महीने से आइसोलेशन शिविर संचालित हो रहा है. आइसोलेशन शिविर में कस्बे के युवाओं द्वारा दिन रात गोवंश की सेवा की जा रही है. 

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गोवंश की सेवा कर रहे युवाओं के सम्मान के लिए प्रवासी भामाशाह आरपी पंसारी शुक्रवार को लोसल पहुंचे. इस दौरान उन्होंने गौ सेवा कर रहे पशु चिकित्सकों की टीम और युवाओं का भी सम्मान किया. इस मौके पर पशुपालन विभाग सीकर की संयुक्त निदेशक डॉक्टर सुमित्रा खीचड़ भी पंसारी जन सेवा ट्रस्ट की ओर से संचालित आइसोलेशन शिविर में पहुंची और आइसोलेशन शिविर के साथ कस्बे में संचालित गौशालाओं का भी निरीक्षण किया. 

इस दौरान डॉक्टर सुमित्रा ने बताया कि पूरे जिले में करीब 400 आइसोलेशन शिविर चल रहे हैं. इनमें से आरपी पंसारी जन सेवा ट्रस्ट की ओर से संचालित आइसोलेशन सबसे बेहतर दिखाई दिया, जहां पर 300 के करीब गोवंश का इलाज हुआ है और युवाओं की टीम द्वारा की गई सेवा भी सराहनीय है. आइसोलेशन शिविर में बीमारी से ठीक होने वाले गोवंश को कस्बे में संचालित श्री राम गोशाला और श्री मदन गोशाला में भेजा जाएगा. 

बड़ी संख्या में लोग भी सेवा देने के लिए पहुंचने लगे
गौरतलब है कि कस्बे में अगस्त माह में लंपी स्किन बीमारी का प्रकोप दिखाई देने लगा था. इस समय प्रतिदिन 2 दर्जन से अधिक गोवंश की मौत हो रही थी. दर्द से तड़प कर अकाल मृत्यु का शिकार हो रहे गोवंश को देखकर कोलकाता प्रवासी भामाशाह आरपी पंसारी ने अपने ट्रस्ट के द्वारा आइसोलेशन शिविर संचालित किया था. लंपी स्किन बीमारी से पीड़ित को बेसहारा गोवंश को लाकर इलाज शुरू किया गया था. देखते ही देखते इस आइसोलेशन शिविर में कस्बे सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में लोग भी सेवा देने के लिए पहुंचने लगे.

आइसोलेशन शिविर में वर्तमान 2 दर्जन से अधिक युवाओं की टीम सेवा दे रही है और 200 से ज्यादा गोवंश का इलाज चल रहा है. बीमारी से ग्रसित गोवंश के इलाज के लिए यहां पर शाम को युवाओं की टीम के अलावा कस्बेवासी भी पहुंचते हैं और गोवंश की सेवा करते हैं. गोवंश को कस्बे के लोगों द्वारा पौष्टिक आहार और आयुर्वेदिक लड्डू भी खिलाया जाता है. आइसोलेशन शिविर में सबसे खास बात रही कि यहां पर पीड़ित गोवंशों की मृत्यु दर काफी कम रही.

 

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