Rajasthan News : वैसे तो राजस्थान को केंद्रीय बजट से ज्यादा कुछ नहीं मिला है. लेकिन प्रदेश के जनजातीय इलाकों के 5 करोड़ लोगों को फायदा जरूर होने वाला है. खासतौर पर तब जब पिछले कुछ दिनों से भील प्रदेश की मांग जोर पकड़ने लगी है. बजट में प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान के तहत राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर और उदयपुर, सिरोही, राजसमंद में एसटी वर्ग के 63 हजार गांवों के 5 करोड़ लोगों को इस सरकारी योजना का फायदा मिलेगा.
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Rajasthan News : वैसे तो राजस्थान को केंद्रीय बजट से ज्यादा कुछ नहीं मिला है. लेकिन प्रदेश के जनजातीय इलाकों के 5 करोड़ लोगों को फायदा जरूर होने वाला है. खासतौर पर तब जब पिछले कुछ दिनों से भील प्रदेश की मांग जोर पकड़ने लगी है. बजट में प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान के तहत राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर और उदयपुर, सिरोही, राजसमंद में एसटी वर्ग के 63 हजार गांवों के 5 करोड़ लोगों को इस सरकारी योजना का फायदा मिलेगा.
जिन इलाकों का जिक्र ऊपर किया गया है, यहां पर भील और मीणा जैसी जनजातियां ज्यादा हैं. राजस्थान की कुल जनसंख्या में ये आबादी 13.48 फीसदी है. ऐसे में समझा जा सकता है कि केंद्र सरकार ने बजट में जनजातीय इलाकों पर विशेष ध्यान दिया है. जिसके पीछे एक वजह भील प्रदेश की जोर पकड़ती मांग को माना जा सकता है.
सबसे पहले समझे की भील प्रदेश क्या है ?. भील प्रदेश में राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर और उदयपुर जिले के कुछ इलाकों के साथ ही मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ इलाके शामिल हैं. हालांकि भील प्रदेश की मांग बहुत पुरानी है और समय समय पर उठती भी रही है. लेकिन फिलहाल लोकसभा चुनाव हो चुके हैं और जिसके बाद बांसवाड़ा-डूंगरपुर से सांसद बने राजकुमार रोत और तेजी से उभरती उनकी पार्टी भारतीय आदिवासी पार्टी, भील प्रदेश की मांग को लेकर आंदोलन कर रही है.
कुछ दिन पहले ही भील प्रदेश की मांग को लेकर बांसवाड़ा के मानगढ़ में महासम्मेलन हुआ और 4 राज्यों से 49 जिलों को अलग करके एक अलग प्रदेश- भील प्रदेश कर देने की मांग फिर उठी. अब देखना होगा की बजट में जनजातीय इलाकों के लिए की गयी घोषणा का कितना असर राजस्थान विधानसभा उपचुनाव पर होगा. वैसे भी उपचुनाव में महज कुछ ही समय बाकी है, ऐसे में भील प्रदेश और जोहार उलगुलान वाले नारे ज्यादा सुनने को मिलेंगे.
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