Ajmer News: विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस में कवायद तेज हो गई है. राजस्थान चुनाव को लेकर पार्टियां पूरी ताकत लगा रही हैं. उम्मीदवारों के चयन को लेकर फिलहाल दोनों ही दलों ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले है, लेकिन कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के एक बयान के बाद से कई दावेदारों की दावेदारी मुश्किल में आती दिख रही हैं.
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Ajmer: साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. उम्मीदवारों के चयन को लेकर फिलहाल दोनों ही दलों ने अभी अपने पत्ते पूरी तरह से नही खोले है लेकिन कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के एक बयान के बाद से कई दावेदारों की दावेदारी मुश्किल में आती दिख रही हैं. देखिए यह रिपोर्ट...
कांग्रेस प्रदेश प्रभारी रंधावा प्रदेश के दौरे पर है और लगातार मैराथन बैठके कर संगठन को मजबूत करने के साथ ही चुनावी रणनीति पर काम कर रहे है. प्रदेश भर से पधाधिकारी और कार्यकर्ताओ से मुलाकात भी हो रही हैं. इस सबके बीच में रंधावा के एक बयान ने कई टिकट दावेदारों की बेचनी बढ़ा दी है. दरअसल रंधावा ने बयान दिया था की लगातार दो बार चुनाव हार चुके प्रत्याशियों को फिर से टिकट देने के बारे में इस बार सोचना पड़ेगा.
दो बार हार झेल चुके कांग्रेस प्रत्याशियों में टेंशन
रंधावा का यह बयान आते ही कांग्रेस खेमे में हलचल बढ़ गई हैं. अजमेर की बात करे तो तीन ऐसी विधानसभा सीट है जहां कांग्रेस के एक ही प्रत्याशी लगातार दो बार से चुनाव हारे है. रंधावा के बयान का वैसे तो यह प्रत्याशी स्वागत कर रहे है लेकिन साथ ही हार का मार्जिन और भीतरघात करने वालो पर भी विचार करने की बात कहते हुए अपनी दावेदारी को मजबूती से रख रहे है.
साल 2013 में अजमेर साउथ सीट के रिजल्ट (Year 2013 ajmer South seat result)
साल 2013 में पुष्कर सीट के रिजल्ट (Year 2013 pushkar seat result)
साल 2008 में अजमेर नॉर्थ सीट के रिजल्ट (Year 2008 ajmer north seat result)
आइए अब आपको बताते है की अजमेर में की वो कौनसी तीन सीट है जहां कांग्रेस प्रत्याशी लगातार दो बार से हार रहे है. पुष्कर विधानसभा सीट से पूर्व मंत्री और पीसीसी उपाध्यक्ष नसीम अख्तर इंसाफ साल 2013 और 2018 का चुनाव हारी, वही अजमेर उत्तर और दक्षिण की सीट पर तो कांग्रेस पिछले चार चुनाव हार रही है. अजमेर उत्तर से कांग्रेस प्रत्याशी श्रीगोपाल बाहेती साल 2008 और 2013 में हारे तो वही अजमेर दक्षिण की सीट से कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत भाटी भी साल 2013 और 2018 का चुनाव हार चुके है. लेकिन यह सभी नेता इस बार फिर से अपनी टिकट दावेदारी मजबूती से रख रहे है और इसके पास उनके अपने तर्क भी है.
चुनावी साल में पार्टियां नाराजगी दूर कर कुनबे को बढ़ाने और मजबूत करने के प्रयास करती है. ऐसे में चुनाव से 5 महीने पहले प्रभारी रंधावा का यह बयान जाहिर तौर पर लगातार हार रहे प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ाने के साथ ही धड़ेबंदी को भी हवा देगी.
Reporter- Asheesh Maheshwari
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