Navaratri 2022: यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि जैसे ही देवी मां के मुंह से शराब से भरा चांदी का प्याला लगाते ही शराब गायब हो जाती है.
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Navaratri 2022: भारत में अनेकों मंदिर है, जो अपनी-अपनी विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं. राजस्थान के नागौर जिले में माता काली का मंदिर है, जहां माता रानी प्रसाद के रूप में शराब ग्रहण करती हैं. इस मंदिर की खास बात यह है कि माता रानी को ढाई प्याला शराब ही चढ़ाई जाती है. वहीं, प्याले में अगर एक बूंद शराब भी कम हो तो मां उसे ग्रहण नहीं करती हैं. आज हम आपको बताते हैं कि इस परंपरा की शुरुआत कब कैसे हुई?
यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि जैसे ही देवी मां के मुंह से शराब से भरा चांदी का प्याला लगाते ही शराब गायब हो जाती है. कहते हैं कि यदि मन्नत के हिसाब से प्रसाद चढ़ाया जाए तो माता रानी इसे ग्रहण कर लेती है, लेकिन अगर वही प्रसाद की मात्रा कम या ज्यादा होती है तो माता उसे स्वीकार नहीं करती हैं.
यहां मंदिर के पुजारी शराब से भरा चांदी का प्याला देवी के सामने रखकर आंखें बंद कर उन्हें प्रसाद चढ़ाते हैं. इसके बाद कुछ ही क्षणों में प्याले से शराब जादू की तरह गायब हो जाती है. माता को प्रसाद चढ़ाते हुए ऐसा तीन बार किया जाता है और तीसरी बार में प्याला आधा ही भरा रहता है. कहा जाता है कि माता रानी केवल ढाई प्याला शराब ही ग्रहण करती हैं.
जानकारी के अनुसार, करीब 100 साल पहले यहां डाकुओं का एक झुंड लूट का सामान लेकर आया और वे चबूतरे पर लूट का माल बांटने लगे. इसी के बीच चबूतरे पर बनीं मूर्तियों का चमत्कार डाकुओं ने देखा. इसे देख वह दंह रह गए और उन्होंने उस लूटे हुए सामान से वहां मंदिर बनवा दिया.
नागौर से करीब 105 किलोमीटर दूर रियां तहसील में भवाल (Bhuwal Mata Mandir) गांव हैं, इस गांव का नाम यहां 13वीं सदी में बने इस काली मां के मंदिर के नाम पर रखा गया है. यह मंदिर लाल पत्थरों से बना हुआ है और मंदिर की दीवारों पर पुराने समय की मूर्तियां बनी हुई हैं. ये मूर्तियां यक्ष, किन्नर, गंधर्व और देवी-देवताओं की है.
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