Lok Sabha Election 2024: डूंगरपुर-बांसवाड़ा सीट पर BAP के साथ गठबंधन के फेर में उलझी कांग्रेस,शीर्ष नेतृत्व और स्थानीय नेताओं के बीच अड़चन!
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Lok Sabha Election 2024: डूंगरपुर-बांसवाड़ा सीट पर BAP के साथ गठबंधन के फेर में उलझी कांग्रेस,शीर्ष नेतृत्व और स्थानीय नेताओं के बीच अड़चन!

Lok Sabha Election 2024: डूंगरपुर-बांसवाड़ा सीट पर BAP के साथ गठबंधन के फेर में कांग्रेस उलझ गई है. शीर्ष नेतृत्व और स्थानीय नेताओं के बीच अड़चन की स्थिति है.

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Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा और नई बनी भारत आदिवासी पार्टी डूंगरपुर-बांसवाड़ा लोकसभा सीट से अपने प्रत्याशी उतार चुकी है. लेकिन कांग्रेस अब तक गठबंधन में उलझी हुई है. डूंगरपुर -बांसवाड़ा में कांग्रेसी नेता कांग्रेस आलाकमान से बीएपी (भारत आदिवासी पार्टी)से गठबंधन नहीं करने का आग्रह कर चुके हैं. जबकि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व गठबंधन की बात कर रहा है. ऐसे हालात में कांग्रेस को बीएपी को घोषित प्रत्याशी को समर्थन करना पड़ेगा. ऐसी स्थिति में कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक भी कांग्रेस से खिसक सकता है. वहीं कांग्रेस नेताओं को भी अपना वर्चस्व कम होने का खतरा लग रहा है.

बांसवाड़ा जिले के कांग्रेस नेता भारत आदिवासी पार्टी से गठबंधन की संभावनाओं को लेकर खफा है. यही वजह है कांग्रेस से खेरवाड़ा विधायक डॉ दयाराम परमार, बांसवाड़ा के घाटोल विधायक नानालाल निनामा, अर्जुन सिंह बामनिया, कुशलगढ़ विधायक रमिला खड़िया, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य दिनेश खोड़निया, बांसवाड़ा जिलाध्यक्ष रमेश पंड्या, डूंगरपुर जिलाध्यक्ष वल्लभराम पाटीदार ने कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को एक माह पहले ही पत्र लिख चुके हैं. पत्र में कहा है कि लोकसभा चुनावों में बीएपी से किसी तरह का गठबंधन नहीं किया जाए. उदयपुर और बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर कांग्रेस का प्रत्याशी चुनाव लड़ना भविष्य के लिए पार्टी के हित में होगा.

प्रत्याशी उतारने में भाजपा ओर बीएपी आगे

लोकसभा चुनावों को लेकर भाजपा ने महेंद्रजीत सिंह मालवीया को प्रत्याशी घोषित कर दिया है. मालवीया एक महीने पहले ही कांग्रेस से भाजपा में आए है और इसके बाद भाजपा ने उन्हें टिकट दे दी. जबकि मालवीया कांग्रेस में भी इस सीट के लिए एकमात्र उम्मीदवार थे. वहीं भारत आदिवासी पार्टी ने चोरासी से विधायक राजकुमार रोत को लोकसभा प्रत्याशी घोषित कर दिया है. जबकि कांग्रेस अपना प्रत्याशी उतारने में अभी तक गठबंधन की संभावनाओं को लेकर अटकी हुई है.

कांग्रेस नेताओं को जनाधार खिसकने की चिंता

बीटीपी से अलग होकर बीएपी नई पार्टी बनी है. इस बार विधानसभा चुनावों में बीएपी ने डूंगरपुर जिले में चोरासी और आसपुर, प्रतापगढ़ जिले में धरियावद सीट पर जीत दर्ज की है. वहीं डूंगरपुर, सागवाड़ा समेत बांसवाड़ा के बागीदौरा और अन्य सीटों पर बीएपी दूसरे नंबर की पार्टी रही है. यही वजह से कांग्रेस इस सीट को जीतने के लिए बीएपी से गठबंधन करना चाहती है. जबकि डूंगरपुर बांसवाड़ा जिले में कांग्रेस के पास 8 में से 4 विधायक है. यानी आधे विधायक कांग्रेस के है लेकिन भारत आदिवासी पार्टी से गठबंधन होने पर कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक बीएपी की और खिसक जाएगा. इसके कांग्रेस नेताओ का जनाधार खत्म होगा और कांग्रेस की स्थिति खराब होने की चिंता सता रही है.

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