रावण के पास थी मिसाइल तकनीक, श्रीराम के साथ युद्ध में किया था प्रयोग
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रावण के पास थी मिसाइल तकनीक, श्रीराम के साथ युद्ध में किया था प्रयोग

Technology in Ramayana : रामायण (Ramayana)काल में तकनीक के क्षेत्र में हम जिस मुकाम पर थे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है. कि लंकापति रावण के पास मिसाइल तकनीक जैसा ही आविष्कार उस समय भी मौजूद था. लंकापति रावण ने अपने इस हथियार से हर युद्ध जीता था.

प्रतीकात्मक फोटो

Technology in Ramayana : रामायण (Ramayana)काल में तकनीक के क्षेत्र में हम जिस मुकाम पर थे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है. कि लंकापति रावण के पास मिसाइल तकनीक जैसा ही आविष्कार उस समय भी मौजूद था. लंकापति रावण ने अपने इस हथियार से हर युद्ध जीता था.

रामायण काल में लड़ाकू विमान थे. इसका सबूत रावण के पास मौजूद विष्पुक विमान से लगाया जा सकता है. ये ही नहीं रावण के पास लड़ाकू विमानों को नष्ट करने के लिए एक विशाल दर्पण यंत्र था. इससे प्रकाश पुंज, उड़ते वायुयान पर छोड़ने से यान आकाश में ही नष्ट हो जाते थे. 

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जब श्रीराम के साथ रावण का युद्ध हुआ तो विभीषण कुछ दर्षण यंत्र अपने साथ ले आया था. जिसे श्री राम की सेना में शामिल अग्निवेश ने लंका की यान शक्ति को ही नष्ट करने में प्रयोग किया. इसके अलावा त्रिकाल दृष्टा नाम का भी एक यंत्र रामायण काल में था. 

लंका में पुल,दरवाजे और चबूतरे ऐसे थे, जो महज बटन दबाने से खुलते बंद होते थे. यहां शायद चूबतरे आज कल की फिफ्ट जैसे रहें होंगे. ये ही नहीं रामायण काल में मायावी दानव, वानर और राक्षस बेहद शक्तिशाली थे. इस समय एक सामान्य मनुष्य की ऊंचाई 21 फिट के बराबर थी.

महान गणितज्ञ आर्यभट्ट के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म 5114 ईसा पूर्व चैत्र मास की नवमी को हुआ था. यानि कि 7134 वर्ष पूर्व. नए शोध की मानें तो ये सिंधुघाटी सभ्यता का प्रारंभिक काल था. रामायण काल में विभीषण के पास दूर नियंत्रण यंत्र भी था जिसे मधुमक्खी कहा गया और जो मोबाइल की तरह ही प्रयोग होता था. 

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रावण के सैनिकों के पास 10 हजार त्रिशूल नाम के यंत्र थे. जो दूर-दूर तक संदेश को इधर से उधर पहुंचाने का काम करते थे. इसके अलावा दर्पण यंत्र जो अंधेरे में प्रकाश फैलाने का काम करता था.

 

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