Govardhan Puja 2023: 5 दिनों का त्योहार दीपोत्सव जारी है. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा की जाती है. आज दिवाली के दूसरे दिन ये पर्व मनाया जाएगा. आज बने सर्वार्थ सिद्धि के चलते गोवर्धन पूजा विशेष लाभ देने वाली बन गयी है.
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Govardhan Puja 2023: 5 दिनों का त्योहार दीपोत्सव जारी है. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा की जाती है. आज दिवाली के दूसरे दिन ये पर्व मनाया जाएगा. आज बने सर्वार्थ सिद्धि के चलते गोवर्धन पूजा विशेष लाभ देने वाली बन गयी है.
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 2023 (Govardhan Puja Shubh Muhurat 2023)
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि- सुबह 4 बजकर 19 मिनट से आरंभ
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 15 नवंबर बुधवार को दोपहर 2 बजकर 41 मिनट
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त- शाम 4 बजकर 18 मिनट से लेकर 8 बजकर 42 तक
गोवर्धन पूजा 2023 पर बने शुभ योग (Govardhan Puja Shubh Yog 2023)
अनुराधा नक्षत्र के साथ शोभन और सर्वार्थ सिद्धि योग रहने वाला है. बता दें सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 3 बजकर 23 मिनट से शुरू हो रहा है.
गोवर्धन पूजा 2023 पूजा विधि (Govardhan Puja Puja Vidhi 2023)
दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा होती है. इस दिन कई जगहों पर गाय के गोबर से गोवर्धन के रूप में पहाड़ भी बनाये जाते है साथ ही भगवान कृष्ण का रूप गोबर से बनाकर पूजा होती है. आज के दिन मुख्य द्वार की सफाई और आंगन की सफाई के बाद गोबर या शुद्ध मिट्टी से इसे लेप लिया जाता है. फिर गाय के गोबर से पहाड़ बनाकर पेड़-पौधों बनाकर पूजा की जाती है. फूल, माला, सिंदूर अक्षत चढ़ाने के साथ भोग भी लगाया जाता है. जिसमें चने की दाल और चावल खास होते हैं. फिर सरसों के तेल का दीपक जलाकर बैल और गायों की भी पूजा की जाती है.
गोवर्धन पूजा 2023 की कथा (Govardhan Puja Katha 2023)
हिंदू पौराणिक कथा गोकुल वाले लोग भगवान इंद्र देव की पूजा करने लगे थे और उन्हें वर्षा का देवता कहा गया था. वहीं दूसरी ओर श्री कृष्ण का कहना था कि वो इंद्र देव की पूजा न करके गोवर्धन पहाड़ की पूजा शुरू कर दें. क्योंकि वह सबसे शक्तिशाली है और गोकुल की रक्षा भी वही करते है. वह भोजन, जड़ी-बूटियां से लेकर हमें देते हैं. श्रीकृष्ण की बात मानकर गोकुल के लोगों ने गोवर्धन पूजा शुरू की जिससे इंद्र नाराज हुए और बारिश और बाढ़ आ गयी. जिसके बाद श्रीकृष्ण ने पूरे गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अगुंली पर उठा लिया और सभी लोगों की रक्षा की. श्रीकृष्ण ने इद्रदेव का घमंड तोड़ दिया था.
(डिस्क्लेमर- ये लेख सामान्य जानकारी है, जिसकी जी मीडिया पुष्टि नहीं करता है)