Padma Awards 2024: जोधपुर के शीन काफ निजाम को पदमश्री सम्मान देने की घोषणा के साथ ही पूरे जोधपुर प्रदेश में खुशी का माहौल है. उर्दू भाषा के विख्यात साहित्यकार निजाम का असली नाम शिव किशन बिस्सा है.
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Padma Awards 2024: जोधपुर के शीन काफ निजाम को पदमश्री सम्मान देने की घोषणा के साथ ही पूरे जोधपुर प्रदेश में खुशी का माहौल है. उर्दू भाषा के विख्यात साहित्यकार निजाम का जन्म का नाम शिव किशन बिस्सा है. इनका जन्म जोधपुर के पुष्करणा ब्राहम्ण परिवार में हुआ था, लेकिन उर्दू साहित्य के महान जानकार है. जोधपुर के कल्लों की गली में गणेश दास बिस्सा के घर 26 नवम्बर 1945 को जन्मे थे शिव किशन.
ब्राहम्ण परिवार से होने के बावजूद उन्हे उर्दू भाषा के साहित्य में शुरू से ही रूचि रही है. उनकी कई शाइरी की कई पुस्तकें, जिसमें लम्हों की सलीब,नाद,दश्त में दरिया,साया कोई लम्बा न था,सायों के साये में,बयाजें खो गई है,गुमशुदा दैर की गूंजती घंटिया ,रास्ता ये कहीं नहीं जाता,और भी है नाम रस्ते का प्रकाशित हुई. वहीं तनकीद यानि आलोचना में तज्किरा,मुआसिर शो रा-ए-जोधपुर,मंटो-एहतिजाज और अफसाना,लफ्ज दर लफ्ज मा नी दर मा नी संपादित पुस्तकें गालिबयात और गुप्ता रिजा,भीड़ में अकेला,दीवाने-गालिब है.
निजाम के कई लेख जो राष्ट्रीय एवं अर्न्तराष्ट्रीय सेमिनारों में पढ़े गए एवं प्रकाशित हुए. इसमें साहित्यिक पत्रिकाए भी शामिल है. शीन काफ निजाम को कई पुस्कार एवं सम्मान मिले. जिसमें राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित,साहित्य अकादमी अवार्ड 2010,राष्ट्रीय इकबाल सम्मान 2006-07,राष्ट्रीय भाषा भारती सम्मान केन्द्रीय भाषा संस्थान मैसूर,बैगम अख्तर गजल अवार्ड 2006,रामानन्द आचार्य सप्त शताब्दी महोत्सव समिति काशी द्वारा सम्मानित,राजस्थान उर्दू अकादमी जयपुर के सर्वोच्च सम्मान महमूद शीरानी अवार्ड से सम्मानित,मेहरानगढ म्यूजियम ट्रस्ट द्वारा मारवाड़ रत्न एवं राजा मानसिंह सम्मान,शाने-उर्दू अवार्ड,आचार्य विद्यानिवास मिश्र स्मृति सम्मान और संस्कृति सौरभ सम्मान कोलकता में दिया गया.
इसके साथ निजाम कई संस्थान में सदस्य भी रहे हैं. निजाम को लेकर कई लेख व साहित्यकार ने अपने अपने विचार भी प्रकट किए है. निजाम साहब के काव्य में एक और बात विशेष आकृष्ट करती है, वह है उसमें भावना और विचार का विलक्षण सामंजस्य. सीधा-सादा मानवीय सत्य कितना बड़ा चमत्कार होता है,यह वह जानते है और उसी को अपने भीतर से पाना,उसी को दूसरे के भीतर उतार देना उनका अभीष्ट है. निजाम एक भारतीय कवि है,लेकिन उन की कविता राष्ट्रीयताओं ,धार्मिक आस्थाओं और भाषाओं को भेद कर उस सार तत्व को अनुभव करना चाहती है, जो मानव जाति ही नहीं,सृष्टि मात्र को धारण करता है.
पदमश्री सम्मान की घोषणा के साथ ही जोधपुर सहित प्रदेश में खुशी की लहर है. वहीं साहित्यकारों में भी खुशी दिखाई दी है कि निजाम साहब को सम्मान मिल रहा है. इस मौके पर निजाम साहब ने कहा कि मुझे लगता है आदमी को सम्मान की बजाय काम पर ध्यान देना चाहिए. मेरा यह मानना है कि साहित्य तो एक ही है. इसके लिए कबीर ने एक दोहा कहा था कबीर कुआं एक है भरने वाले अनेक,भांडे के ही भेद है सबमे पानी एक. पानी तो एक ही होता है लिखने वाले अलग है. हिन्दी हो या संस्कृत,अरबी हो या फारसी... हिन्दुस्तान में जितनी भाषा है वो सब मेरे लिए बराबर हैं.