Jhalawar: आबादी में रहते है फिर भी अंत्येष्टि के लिए शमशान घाट नहीं, जंगल में करना पड़ता है अंतिम संस्कार
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Jhalawar: आबादी में रहते है फिर भी अंत्येष्टि के लिए शमशान घाट नहीं, जंगल में करना पड़ता है अंतिम संस्कार

Jhalawar News: राजस्थान के झालावाड़ जिले के सागोनी ग्रामवासी गांव के लोग अंत्येष्टि कार्यक्रमों में समस्या का सामना कर रहे हैं .ग्रामीण बता रहे हैं कि केंद्र और प्रदेश सरकारें कई जनकल्याणकारी योजनाएं चला रही हैं, लेकिन योजनाओं का लाभ गांववालों को नहीं मिल रहा है.

Jhalawar: आबादी में रहते है फिर भी अंत्येष्टि के लिए शमशान घाट नहीं, जंगल में करना पड़ता है अंतिम संस्कार

Jhalawar News: राजस्थान के झालावाड़ जिले के सागोनी ग्रामवासी गांव के लोग अंत्येष्टि कार्यक्रमों में समस्या का सामना कर रहे हैं क्योंकि उनके गांव में शमशान घाट नहीं है. गांव में करीब 50 घरों की बस्ती है, लेकिन इसके बाद भी उन्हें मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रहीं हैं.

ग्रामीण बता रहे हैं कि केंद्र और प्रदेश सरकारें कई जनकल्याणकारी योजनाएं चला रही हैं, लेकिन योजनाओं का लाभ गांववालों को नहीं मिल रहा है. शमशान घाट नहीं होने के कारण गांववालों को मृत्यु के समय खेतों के रास्ते जंगल में जाकर अंतिम संस्कार करना पड़ता है.

शमशान भूमि तक पहुंचने के लिए लोगों को खेतों की मेड पर होकर गुजरना पड़ता है, जिससे अर्थी ले जाने में भी काफी समस्याएं होती हैं. गांव में किसी की मृत्यु होने पर उसके परिजन तो शोक में डूबे रहते हैं, जबकि ग्रामीणों को अंतिम संस्कार की फिक्र रहती है. बारिश के मौसम में तो अंतिम संस्कार करना किसी चुनौती की तरह हो जाता है.

समस्या के निराकरण के लिए दर्जनों बार प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से इसकी गुहार की जा चुकी है, लेकिन इसके बाद भी हालत जस के तस बने हुए हैं.ग्रामीण पवन शर्मा ने बताया कि आज सुबह धूलीलाल लोधा की मृत्यु होने पर अंतिम संस्कार के लिए खेतों की मेढ़ पर होकर अर्थी को जंगल तक ले जाया गया.

अंतिम संस्कार करने से पहले यहां पर उगी हुई कंटीली झाड़ियों को काटा जाता है उसके बाद ही अन्तिम संस्कार किया जाता है.गांववालों का कहना है कि इस मुद्दे पर प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से बार-बार मिलकर बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ है.

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