दशहरा महोत्सव है तो रावण का पुतला तो दहन के लिये हर शहर और गांव मे बनाया जाता है, लेकिन राजस्थान के झालावाड़ जिले के झालरापाटन शहर में रावण दहन स्थल पर रावण का पूरा कुनबा ही मौजूद है.
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Jhalrapatan: विजयादशमी के अवसर पर देश व प्रदेश के हर शहर और कस्बो में रावण का पुतला बनाने व दहन करने का चलन तो आम है, लेकिन क्या आपने सुना है कि राजस्थान के एक शहर में रावण दहन स्थल पर रावण का पूरा कुनबा मौजूद है,और यह केवल दशहरे ही नहीं बल्कि पूरे साल भर खड़ा रहता है.
दशहरा महोत्सव है तो रावण का पुतला तो दहन के लिये हर शहर और गांव मे बनाया जाता है, लेकिन राजस्थान के झालावाड़ जिले के झालरापाटन शहर में रावण दहन स्थल पर रावण का पूरा कुनबा ही मौजूद है. रावण का पूरा परिवार ही यहां मौजूद है और यह सब वर्षों पुरानी रियासतकालीन परम्परा के चलते है.
यहां रावण,मन्दोदरी ,विभिषण,सोयी मुद्रा मे कुम्भकरण, मेघनाथ और रावण के सेवक द्वारपाल यानि पूरा का पूरा रावण दरबार ही यहां वर्ष भर लगा होता है. रावण परिवार के इन पुतलों का निर्माण यहां रियासत काल में मिट्टी से किया जाता था, अब नगर पालिका ने इन्हें सीमेन्ट की मजबूती दे दी है और आकर्षक रंग रोगन करवा दिया है.
स्थानीय नागरिकोंं ने बताया कि रावण दरबार और उसके परिवार के पुतले झालावाड़ के तत्कालीन रियासत के महाराज ने ही बनवाये थे,उस समय कागज के पुतलों का दहन नहीं किया जाता था, तब मिट्टी के पुतले से बने रावण की नाभि में रंग से भरा एक मटका रखा जाता था, जिस पर बाण चलाकर रावण वध की परंपरा निभाई जाती थी. देश के हर शहर गांव कस्बों में दशहरे के दिन रावण के पुतलों का दहन हो जाता है, लेकिन झालरापाटन के मेला मैदान में रावण का यह पूरा परिवार साल भर ऐसे ही स्थाई रूप से खड़ा रहकर लोगों को बुराई से दूर रहने की प्रेरणा देता है.
इन पुतलों के पास ही कागज के दूसरे पुतले बनाकर दशहरे के दिन दहन किए जाते हैं, लेकिन इन स्थाई पुतलों को इसी प्रकार बरसों से सुरक्षित रखा गया है, पूरे वर्ष भर कुछ लोग यहां मन्नत मांगने भी आते है ,वही दूसरी ओर अपने बच्चो को बुरी नजर लगने पर भी यहां लाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि रावण परिवार के सामने बच्चों का शीश झुकवाने से बुरी नजर उतर जाती है.
खैर हकीकत जो भी हो... लेकिन झालावाड़ के झालरापाटन शहर के इन्दौर मार्ग पर स्थित रावण दरबार के ये विशाल पुतले इंंदौर हाईवे से निकलने वाले राहगीरों के लिये वर्ष भर कोतूहल का केन्द्र बने रहते है.
Reporter-Mahesh Parihar
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