जैसलमेर के मरु सांस्कृतिक केंद्र के 'कठपुतली शो' के मंच का नाम लता मंगेशकर के नाम रखने की घोषणा की गई है. लता दीदी को श्रद्धांजलि देते हुए यह फैसला किया गया है.
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Jaisalmer news: जैसलमेर के मरु सांस्कृतिक केंद्र के 'कठपुतली शो' के मंच का नाम लता मंगेशकर के नाम रखने की घोषणा की गई है. लता दीदी को श्रद्धांजलि देते हुए यह फैसला किया गया है. सांस्कृतिक केंद्र के संचालक वरिष्ठ इतिहास नन्द किशोर शर्मा ने भी बताया कि लता मंगेशकर आज से 34 साल पहले जैसलमेर आई थी. तब उन्होंने अपनी बहनों के साथ इस म्यूजियम का विजिट किया था. आज इस म्यूजियम में होने वाले कठपुतली शो के मंच को लता मंगेशकर के नाम पर रखने का फैसला किया है. जो हमारी उनके लिए एक छोटी सी श्रद्धांजलि होगी.
कब आई थी घूमने
लता मंगेशकर साल 1988 में अपनी दोनों बहनें आशा भोंसले और उषा मंगेशकर के साथ जैसलमेर घूमने आई थीं. तब उन्होंने म्यूजियम का विजिट किया था, जिसे देखकर वह काफी खुश हुई थीं. म्यूजियम में रखे राजस्थानी वाद्य यंत्र और किताबें देखकर वह बहुत खुश हुई और जाते-जाते उन्होंने नंद किशोर शर्मा के बारे में और म्यूजियम के बारे में अच्छा सा खत भी लिखा. वो खत आज भी इनके पास रखा है, उन्होंने बताया कि जैसलमेर में "लेकिन" फिल्म की शूटिंग हुई थी. उस फिल्म के गाने " यारा सिली-सिली" की शूटिंग खूहड़ी गांव में हुई थी. फिल्म 'लेकिन' के निर्माता लता मंगेशकर खुद थी. इस दौरान फिल्म के निर्देशक गुलजार के साथ लता मंगेशकर भी शामिल हुई थीं.
जैसलमेर के इस डेजर्ट कल्चरल म्यूजियम में होता है कठपुतली शो
इतिहासकार नंद किशोर शर्मा ने बताया कि उनके म्यूजियम में लंबे समय से कठपुतली का शो हो रहा . जैसलमेर की यह एकमात्र जगह है,जहां कठपुतली का शो दिखाया जाता है. इस कठपुतली शो के स्टेज का नाम हम लता मंगेशकर के नाम पर करके उन्हें श्रद्धांजलि देना चाहते हैं. ताकि जैसलमेर से जुड़ी उनकी यादों को रोज ताजा किया जा सकें.और यहां आने वाले सैलानी भी जैसलमेर और लता मंगेशकर का रिश्ता जान सकें.